अलर्ट: एक्यूआई पहुंचा 200 पर, शहर की हवा हुई खतरनाक
धूल के कण व गर्म मौसम ने बढ़ाया वायु प्रदूषण, श्वांस के मरीज बाहर निकलने पर रखें सावधानी
शहरवासियों को अब सावधान हो जाना चाहिए । शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 200 तक पहुंच गया है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है। यानि अब यहां की हवा काफी प्रदूषित हो चुकी है।
कोटा। शहरवासियों को अब सावधान हो जाना चाहिए । शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 200 तक पहुंच गया है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है। यानि अब यहां की हवा काफी प्रदूषित हो चुकी है। इसका कारण शहर में चल रहे विकास कार्य हैं। हवा के साथ उड़ रही मिट्टी व अन्य निर्माण सामग्री से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से यही स्तर बना हुआ है।
हवा में सांस लेना भी घातक
शहर में इस समय चारों तरफ निर्माण कार्य चल रहे हैं। रोजाना सैंकड़ों वाहनों से निर्माण सामग्री का परिवहन किया जा रहा है। वहीं विभिन्न स्थानों पर निर्माण सामग्री के ढेर पड़े हुए, जो हवा के स्तर को प्रदूषित कर रहे हैं। निर्माण स्थलों पर कार्य के दौरान सामग्री के कण उड़कर हवा में मिलते रहते हैं। इससे अब हवा में सांस लेना भी घातक साबित हो रहा है। वहीं इस वर्ष शुष्क व गर्म मौसम की परिस्थितियां भी वायु के हिसाब से अनुकूल नहीं थी। अन्य वर्षों की तुलना में इस साल मार्च माह में ही गर्मी ने असर दिखाना शुरू कर दिया था। गर्म मौसम ने हवा का स्तर का भी गड़बड़ा दिया। गर्मी के मौसम में तेज हवाएं भी चली थी। जिसके कारण धूल व अन्य निर्माण सामग्री के कण हवा में घुल गए और वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया।
कोरोनाकालमें शुद्ध हो गई थी हवा
कोरोना का प्रभाव अब आबोहवा में भी खत्म होने लगा है। दो साल तक गर्मियों में धूल भरी हवा बहने के बावजूद वायु काफी हद तक स्वच्छ रही थी। हवा में सांस लेना भी आसान हो रहा था, लेकिन इस साल फिर से हवा में धूल कणों, अन्य हानिकारक गैसों और वाहनों के उत्सर्जी पदार्थों से हवा दूषित होती जा रही है। इस बार जून के प्रथम सप्ताह में वायु गुणवत्ता सूचकांक सामान्य स्तर से काफी ज्यादा बढ़ गया था। जबकि कोरोना की प्रथम लहर के समय वर्ष 2020 में एक्यूआई 100 के नीचे आ गया था। वर्ष 2021 में भी भीषण गर्मी के दौर में दूसरी लहर के समय एक्यूआई 100 के पास ही था।
हरियाली मतलब शुद्ध हवा
शहर में विकास कार्यो के चलते कई क्षेत्रों से हरियाली का सफाया हो गया है। ऐसे में यहां की आबोहवा ज्यादा प्रदूषित हो रही है। चारों तरफ उड़ती धूल ने प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा दिया है। वहीं शहर में पेड़-पौधों से सटे क्षेत्र अभी भी प्रदूषण के स्तर को कम करने के माध्यम बने हुए हैं। अन्य क्षेत्रों के तुलना में यहां की हवा शुद्ध होती है।
यह होता है एक्यूआई
एक्यूआई में पार्टिकुलेट मेटर यानि धूल के कणों का मापन होता है। धूल कण 10 माइक्रोन और 2.5 माइक्रोन तक मापे जाते हैं। इसके अलावा हवा में नाइट्रोजन डाई आॅक्साइड, सल्फर डाई आॅक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड व ओजोन मापी जाती है। इसकी इकाई माइकोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होती है। एक्यूआई के माध्यम से ही यह पता चलता है कि हवा में प्रदूषण का स्तर कहां तक पहुंच चुका है और इसके प्रमुख कारण क्या हैं। इसके बाद हवा के स्तर में सुधार के प्रयास किए जाते हैं।
एक्यूआई यह देता है संकेत
अच्छा यानि कोई दिक्कत नहीं 0-100
बाहर जाने से बचें 101-200
श्वसन के मरीजों को तकलीफ 201-300
लम्बे बीमार रोगियों को दिक्कत 301-400
बाहर बिलकुल नहीं निकलें 401-500
कोरोना काल में निर्माण गतिविधियां व वाहनों का संचालन बंद होने से शहर की हवा काफी शुद्ध हो गई थी। इस समय चारों तरफ निर्माण कार्य चल रहे हैं। ऐसे में निर्माण सामग्री के कण हवा में मिलकर प्रदूषण का स्तर बढ़ा रहे हैं। वहीं इस बार गर्म मौसम से भी काफी फर्क पड़ा है। ऐसे में एक्यूआई 200 तक पहुंच गया, जो सामान्य से अधिक है।
- अमित सोनी, संभागीय अधिकारी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल
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