राष्ट्र का पुनरुत्थान जल शक्ति के लिए अभिसरण
लगभग 22 हजार गांवों को आदर्श (मॉडल) गांव का नाम दिया
स्वच्छ भारत मिशन फेज-2 के तहत अब तक 41,450 गांवों में ठोस और तरल कचरा प्रबंधन की व्यवस्था की जा चुकी है और करीब 4 लाख गांवों में न्यूनतम अपशिष्ट पानी रुका हुआ है।
स्वच्छ भारत मिशन फेज-2 के तहत अब तक 41,450 गांवों में ठोस और तरल कचरा प्रबंधन की व्यवस्था की जा चुकी है और करीब 4 लाख गांवों में न्यूनतम अपशिष्ट पानी रुका हुआ है। ओडीएफ प्लस योजना के तहत लगभग 22 हजार गांवों को आदर्श (मॉडल) गांव का नाम दिया गया है और अन्य 51,000 गांव इस प्रतिष्ठित तमगे को हासिल करने की राह पर हैं। हम सभी ने लकड़ियों के गट्ठर की कहानी सुनी होगी। उस कहानी का आधार यह है कि एक अकेली लकड़ी टूट सकती है, लेकिन जब कई लकड़ियों को एक साथ बांध कर रख दिया जाता है तो फिर उन्हें तोड़ना कठिन होता है उसी तरह जब विचारों, परियोजनाओं और योजनाओं का आपस में विलय होता है, तो चमत्कार होते हैं। प्रधानमंत्री इस विचार के ध्वज वाहक हैं। इस सरकार के लिए अभिसरण (कन्वर्जेन्स) की अवधारणा के महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि सरकार के पहले कार्यकाल के पहले बजट भाषण (2014) के दौरान स्वर्गीय अरुण जेटली ने अभिसरण (कन्वर्जेन्स) को सरकार के प्राथमिक संचालन सिद्धांतों में से एक के रूप में प्रस्तुत किया था। जल शक्ति मंत्रालय में हमने इस अवधारणा का परीक्षण किया है। इसका सबसे अच्छा प्रदर्शन इसका जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन है, जो एक साथ मिलकर काम करते हैं और परस्पर एक दूसरे को सक्षम बनाते हैं।
हमारी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान खुले में शौच की समस्या को रोकना सर्वोच्च प्राथमिकता थी और इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया गया था। एक रिकॉर्ड सेटिंग के रूप में 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया था, लेकिन जो अब दिखता है वह एक दुस्वप्न भी हो सकता था, अगर इस सरकार के पास ट्विन पिट डिजाइन पर शौचालय बनाने की दूरदर्शिता नहीं होती, जिसमें मल एवं कीचड़ का एक साथ उपचार होता है। दूसरे कार्यकाल में जल जीवन मिशन के माध्यम से घरेलू नल के पानी के कनेक्शन के मुद्दे को हल किया जा रहा है। अगस्त, 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की घोषणा के बाद से अब तक 50 प्रतिशत से अधिक यानी 9.6 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल के पानी की आपूर्ति मिल रही है और विशेष रूप से 6.36 करोड़ से अधिक घरों में नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए है, लेकिन जल जीवन मिशन को अब एक वैसी ही समस्या का सामना करना पड़ रहा है जैसी स्वच्छ भारत मिशन के सामने मल कीचड़ प्रबंधनयानी अपशिष्ट जल गंदले (भूरे पानी) की निकासी के सफल प्रबंधन के साथ आई थी। चूंकि सभी घरेलू घरों से अपशिष्ट रूप में बाहर जाने वाले पानी का 70 प्रतिशत गंदले (ग्रे) पानी में बदल जाता है और जिसे अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, उसके तो अवांछनीय परिणाम होते है।
ऐसे यही वह जगह है, जहां सरकार ने अभिसरण की अवधारणा का उपयोग किया है। सरकार ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, जैविक रूप से विखण्डनीय (बायो डिग्रेडेबल) ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, ग्रेवाटर प्रबंधन और मल कीचड़ प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ ही स्वच्छ भारत मिशन, चरण 2 शुरू किया। इस प्रकार, यह ध्यान देने योग्य है कि सरकार अपनी सोच में कैसे एकदम तैयार और नवीन होने में सक्षम रही है। स्वच्छ भारत मिशन के लिए अभिनव प्रयोग था जब उसने ऐसे ट्विन पिट शौचालयों का उपयोग किया, जिन्हें घरेलू नल कनेक्शन और कम मात्रा के कीचड़ की आवश्यकता नहीं थी और जब इसे घरेलू नल कनेक्शन प्रदान किया जाना था, तब इसने समग्र स्वच्छता प्राप्त करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के साथ अभिसरण कर लिया, जिससे यह ग्रे वाटर प्रबंधन का उपचार एक महत्वपूर्ण घटक बन गया। स्वच्छ भारत मिशन फेज-2 के तहत अब तक 41,450 गांवों में ठोस और तरल कचरा प्रबंधन की व्यवस्था की जा चुकी है और करीब 4 लाख गांवों में न्यूनतम अपशिष्ट पानी रुका हुआ है।
ओडीएफ प्लस योजना के तहत लगभग 22 हजार गांवों को आदर्श (मॉडल) गांव का नाम दिया गया है और अन्य 51,000 गांव इस प्रतिष्ठित तमगे को हासिल करने की राह पर हैं। कम समय में ही जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन दोनों ने उल्लेखनीय प्रगति का प्रदर्शन किया है, जो इस बात का जीवंत प्रमाण है कि अभिसरण (कन्वर्जेन्स) से क्या हासिल किया जा सकता है। अभिसरण के अलावा हमारी सोच का एक और हृदयस्पर्शी पहलू पूर्णता की निरंतर खोज करना, सभी ढीले सिरों को समाहित करने, सेवा प्रदान करने में मौजूदा अंतराल को पाटने और हाशिए पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने के लिए अडिग इच्छाशक्ति है। इसका एक उदाहरण यह है कि कैसे स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) चरण-2 में एसबीएम चरण-1 से पहले की समस्याओं से किस तरह निपटा जा रहा है। एसबीएम की शुरुआत से पहले लगभग 1,20,000 टन मल कीचड़ को अनुपचारित छोड़ दिया गया था, क्योंकि सभी शौचालयों में से दो-तिहाई मुख्य सीवर लाइनों से जुड़े ही नहीं थे। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में, भारत के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रदूषण का पैमाना चौंका देने वाला है। ये दोनों समस्याएं एसबीएम चरण-2 के एजेंडे में अब खुद को पाती हैं। कुछ ही समय में3.50 लाख गांव प्लास्टिक डंप मुक्त हो गए हैं और जिसमें लगभग 4.23 लाख गाँव अपने यहां न्यूनतम कूड़ा दिखा रहे हैं। इसी तरह इसके लिए लगभग 178 मल कीचड़ उपचार संयंत्र और लगभग 90,000 किलोमीटर नालियों का निर्माण किया गया है।
- गजेंद्र सिंह शेखावत
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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