आरटीयू की बदइंतजामी: प्रदेशभर से मार्कशीट लेने आए छात्र खा रहे धक्के

दूर-दराज के जिलों से रोजाना हजारों छात्र आ रहे कोटा, तीन-तीन दिनों तक नहीं मिल रही प्रोविजनल डिग्री व मार्कशीट

आरटीयू की बदइंतजामी: प्रदेशभर से मार्कशीट लेने आए छात्र खा रहे धक्के

राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी में इन दिनों प्रदेशभर से हजारों छात्र प्रोविजनल डिग्री, मार्कशीट, माइग्रेशन सहित अन्य डॉक्यूमेंट लेने कोटा आ रहे हैं। लेकिन, आरटीयू की बदइंतजामी से छात्रों को तीन-तीन दिन तक दस्तावेज नहीं मिल रहे।

 कोटा। राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी में इन दिनों प्रदेशभर से हजारों छात्र प्रोविजनल डिग्री, मार्कशीट, माइग्रेशन सहित अन्य डॉक्यूमेंट लेने कोटा आ रहे हैं। लेकिन, आरटीयू की बदइंतजामी से छात्रों को तीन-तीन दिन तक दस्तावेज नहीं मिल रहे। वहीं, परीक्षा भवन में मार्कशीट वितरण कार्य में लगे संविदाकर्मियों की बदसलूकी से स्टूडेंटस आहत है। हालात यह है, सुबह से शाम तक दस्तावेज मिलने की उम्मीद लगाए बैठे विद्यार्थियों को संविदाकर्मी कल आने की बात कहकर टरका रहे हैं। ऐसे में दूर-दराज के जिलों से आए छात्र रातभर शहर में सिर छिपाने की जगह ढूंढते फिर रहे हैं। कोई होटल तलाशता तो कोई रेलवे स्टेशन पर ही रात बिताता। आरटीयू प्रशासन की लापरवाही से सैंकड़ों छात्र शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं।  यूनिवर्सिटी के परीक्षा भवन में छात्रों ने दैनिक नवज्योति से अपनी पीड़ा बयां की।

दो दिन से धर्मशाला में रह रहा हूं
बीटेक पासआउट छात्र कृपाशंकर मीणा कहते हैं, वे दौसा से कोटा आए हैं। फर्स्ट   ईयर की मार्कशीट खो गई, इसलिए डुप्लीकेट मार्कशीट लेने आया हूं। सुबह 10 बजे से आरटीयू के चक्कर काट रहे हैं। यहां डॉक्यूमेंट वितरण का कार्य करने वाले संविदाकर्मी दोपहर तक मार्कशीट देने की बात कहते हैं लेकिन शाम तक नंबर नहीं आता। किसी तरह नम्बर आ जाए तो रिजल्ट की स्लीप लाने की बात कहते हैं, तब तक ई-मित्र बंद हो जाती है और शाम 6 बजे तक काउंटर बंद कर देते हैं। यदि उन्हें किसी तरह की कोई स्लीप चाहिए तो कर्मचारी सुबह से दोपहर तक नहीं बताते। मजबूरी में दो दिन तक रामपुरा स्थित धर्मशाला में रूका रहा। अगले दिन शाम 5.30 बजे करीब मार्कशीट मिली प्रोविजनल नहीं दी गई।

 रेलवे स्टेशन पर कटी रात
प्रोविजनल डिग्री लेने आए नागौर निवासी गजेंद्र बडीयास ने बताया कि सुबह 11 बजे परीक्षा भवन में स्थित काउंटर पर पहुंचे तो कर्मचारियों ने शाम को आने की बात कही। हमारे पास कोई साधन नहीं होने से भूखे-प्यासे यूनिवर्सिटी में ही बैठे रहे। शाम 4 बजे फिर से काउंटर पर गए तो कल आने की बात कही गई। संबंधित कर्मचारी से वजह पूछी तो बदतमीजी पर उतर आए। प्रोविजनल के लिए हमने फीस भी दी, इसके बावजूद चक्कर कटवा रहे हैं। आरटीयू से टांसपोर्ट का कोई साधन नहीं है। एग्जाम की वजह से आसपास की होटलों में भी रूम नहीं मिला। वहीं, कुछ होटलों में किराया इतना महंगा था जिसे वहन करना हमारे लिए मुश्किल था। रात 10.30 बजे आॅटो कर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे, जहां मजबूरी में रात गुजारनी पड़ी। आरटीयू की बदइंतजामी से हमारे जैसे हजारों छात्र परेशान हो रहे हैं।

बदतमीजी करतेहैं संविदाकर्मी
सीकर निवासी अदिश इंदौरिया ने बताया कि परीक्षा भवन में कार्यरत संविदाकर्मी छात्रों के साथ बदतमीजी करते हैं। इनका व्यवहार बहुत ही खराब है। डॉक्यूमेंट लेने से पहले 450 रुपए का चालान कटवाते हैं, पैसे लेने के बावजूद आरटीयू प्रशासन व्यवस्थाओं में सुधार नहीं कर रहा। रोजाना 100 से ज्यादा छात्र यहां मार्कशीट लेने आ रहे हैं। शुक्रवार सुबह 10 से शाम 5 बजे तक करीब 15 छात्रों को ही मार्कशीट पाई। शेष रहे बच्चों को अगले दिन देने को बोला जा रहा है। किसी को नौकरी तो किसी को इंटरव्यू के लिए मार्कशीट की आवश्यकता है। पिछले बीस दिनों से आरटीयू की ओर से दस्तावेज घरों पर नहीं पहुंचाए गए। ऐसे में मार्कशीट व प्रोविजनल लेने यहां आना पड़ा। 

डेढ़ माह पहले ऑनलाइन प्रोसेज किया फिर भी करेक्शन नहीं हुआ
बांसवाड़ा निवासी मंथन जोशी का कहना है, बीटेक की मार्कशीर्ट में उनका नाम गलत हो रहा है। जिसे सही करवाने के लिए डेढ़ माह पहले ऑनलाइन प्रोसेज किया था। एक माह में तो करेक्शन होकर मार्कशीट स्पीड पोस्ट के माध्यम से घर पहुंच जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मजबूरी में मुझे कोटा आना पड़ा। मैं सुबह 9 बजे से ही यहां हूं और अभी 5.30 बज गए। अभी तक मार्कशीर्ट में नाम सही नहीं हुआ। काउंटर बंद होने में आधा घंटा शेष है, काम होने की कोई संभावना नजर नहीं आती। ऐसे में मेरे पास दो ही विकल्प है, या तो मैं कोटा में ही कहीं होटल या धर्मशाला में रहूं या घर चला जाऊं। समझ में नहीं आ रहा, बहुत परेशान हूं।

पहले ट्रेन में धक्के खाए अब आरटीयू में
नागौर निवासी मनीष कुमार का कहना है, मार्कशीट में नाम सही करवाने को कोटा आए हैं। पहले ट्रेन में धक्के खाए अब आरटीयू में भी धक्के खा रहे हैं। 250 रुपए फीस देने के बावजूद काम नहीं हो रहा। वहीं, जयपुर निवासी वैभव सिंह कहा, बड़ी मुश्किल से ट्रेन का सफर पूरा कर यहां पहुंचे हैं। दिनभर से चक्कर कटवा रहे हैं। कर्मचारी कभी दोपहर तो कभी शाम को प्रोविजनल देने की बात कहते हैं लेकिन शाम होते होते कल आने को कहकर छात्रों को टरका रहे हैं। आरटीयू की लचर व्यवस्था से सैंकड़ों छात्र मानसिक व आर्थिक परेशानी से गुजर रहे हैं। 

600 किलोवॉट का सौलर प्लांट, फिर भी बिजली बंद
राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी परिसर में 300-300 किलोवॉट के कुल 600 किलोवॉट के सौलर प्लांट लगे हुए हैं। जिनसे हर माह हजारों यूनिट बिजली का उत्पादन होता है। हर महीने 7 से 8 लाख रुपए की बचत होती है। जबकि, आरटीयू की औसत बिजली डिमांड 350 से 400 किलोवॉट रहती है। इसके बावजूद यूनिवर्सिटी में आए दिन बिजली गुल रहती है। शुक्रवार को परीक्षा भवन में कई बार बिजली की आंख-मिचौली चलती रही। इससे मार्कशीर्ट लेने आए विद्यार्थियों को गर्मी में परेशान होना पड़ा।

डिप्टी रजिस्ट्रार की फटकार के बादमिली प्रोविजनल डिग्री
जयपुर निवासी धैर्य दीक्षित कहते हैं, जयपुर स्थित कौटिल्य कॉलेज से बीटेक किया है। हैड आॅफ डिपार्टमेंट आरटीयू होने से डिग्री व प्रोविजनल यहीं से मिलती है। ऐसे में कोटा आए लेकिन यहां मार्कशीट देने वाले कर्मचारी सीधे मुंह बात तक नहीं करते। भीड़ अधिक होने पर व्यवस्थाएं बनाने के बजाए सभी कर्मचारी छात्रों से कल आने की बात कहने लगे। हमने परेशानी बताई तो उल्टा-सीधा बोलने लगे, विरोध करने पर धक्का-मुक्की पर उतर आए। इसके बाद हमने डिप्टी रजिस्ट्रार से शिकायत की तो उन्होंने संबंधित कर्मचारी को फटकार लगाई, इसके बाद ही हमें प्रोविजनल मिल पाया।

इमरजेंसी में ही आएं छात्र
मार्कशीर्ट लेनी हो या नाम में करेक्शन करवाना, इसके लिए ऑनलाइन प्रोसेज अपनानी होती है। हम संबंधित छात्र को दस्तावेज बायपोस्ट घर भिजवा देते हैं। इसके लिए उन्हें यहां आने की जरूरत नहीं होती। जिसे इमरजेंसी हो, उसे ही यहां आना चाहिए।  यह जरूरी नहीं कि जिस दिन छात्र आरटीयू आए उसी दिन काम हो जाए, क्योंकि कई चीजे होती हैं जो मौके पर उनके पास मौजूद नहीं होती है। यदि कोई कर्मचारी छात्रों से बदतमीजी करता है तो उन्हें मुझसे शिकायत करनी चाहिए। शिकायत मिलने पर ही हम कार्रवाई कर पाएंगे। वैसे, सभी कर्मचारियों को व्यवहार सही रखने की हिदायत देकर पाबंद कर देंगे।
-धीरेंद्र माथुर, परीक्षा नियंत्रक आरटीयू

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