ममता की जीत
पश्चिम बंगाल में तीन विधानसभा सीटों भवानीपुर, समसेरगंज और जंगीपुर में तृणमूल कांग्ररेस को शानदार जीत हासिल हुई है। इस जीत से यह जाहिर होता है कि इस राज्य में ममता बनर्जी का दबदबा कायम है
पश्चिम बंगाल में तीन विधानसभा सीटों भवानीपुर, समसेरगंज और जंगीपुर में तृणमूल कांग्ररेस को शानदार जीत हासिल हुई है। इस जीत से यह जाहिर होता है कि इस राज्य में ममता बनर्जी का दबदबा कायम है और उनका मुकाबला करने में कोई भी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय दल सक्षम नहीं है। पांच माह पहले भी राज्य के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी को प्रचण्ड बहुमत मिला था। भवानीपुर उपचुनाव वाली सीट से तो ममता बनर्जी ही उम्मीदवार थी। विधानसभा चुनाव में नंदीग्र्राम सीट से चुनाव हार गई थी। उनका विधायक बनना काफी जरूरी था ताकि वे मुख्यमंत्री पद पर बनी रह सकें। भवानीपुर से जीत हासिल करके अब वे विधानसभा की सदस्य बन गई हैं। ममता ने इस सीट से भाजपा की उम्मीदवार प्रियंका टिबरेवाल को 58,835 मतों से हराया। मुर्शिदाबाद के समशेरगंज और जंगीपुर विधानसभा क्षेत्रों में भी तृणमूल कांग्र्रेस के निकटतम प्रतिद्वंद्वियों को करारी मात दी। जंगीपुर से तो तृणमूल के प्रत्याशी जाकिर हुसैन को 70 फीसदी से अधिक वोट मिले। जबकि जंगीपुर को तो कांग्र्रेस का गढ़ माना जाता है। फिर भी कांग्र्रेस ने इस सीट पर अपना कोई प्रत्याशी ही मैदान में नहीं उतारा। यहां भाजपा दूसरे स्थान पर रही जबकि समसेरगंज में कांग्र्रेस दूसरे स्थान पर रही। भवानीपुर सीट पर भाजपा की प्रत्याशी प्रियंका ने ममता के सामने बखूबी चुनाव लड़ा। हर वार्ड में जाकर प्रचार किया। उन्हें 24 हजार से अधिक मत मिले। सर्वाधिक वोटर बंगाली थे और 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता थे। दोनों समुदायों पर ममता का काफी प्रभाव है, तो ममता की जीत पहले से ही पक्की मानी जा रही थी। ममता की इस जीत ने भाजपा के इस दावे को नकार दिया है कि पश्चिम बंगाल में यह पार्टी अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों की तरह अपना वर्चस्व जमा सकती है। विधानसभा चुनाव और इन उपचुनावों में जीत से ममता की राष्ट्रीय छवि में प्रभाव बनना स्वाभाविक है, लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि ममता की लोकप्रियता देश के अन्य राज्यों में भी प्रभावी हो सकती है। ममता राष्ट्रीय राजनीति में चेहरा बनकर उभरने की महत्वाकांक्षा जरूर रखती है, लेकिन फिलहाल वह दूर की कौड़ी ही है।
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