आइसोलेशन से पैदा हुई मानसिक बीमारियां
रोजमर्रा के जीवन में हम सब तनाव भय, नाराजगी, नफरत जैसी मानसिक स्थितियों से अच्छी तरह परिचित हैं
मानसिक बीमारी अवसाद, अनिद्रा, तनाव, चिंता,भय ये कुछ ऐसी मानसिक स्थितियां हैं ,जिन्हें बीमारी कहना किसी को नागवार भी गुजर सकता है,मनोचिकित्सकों का मानना है कि एक हद तक तो ये स्थितियां ठीक हैं लेकिन जब ये एक सीमा से बाहर चली जाएं तो मानसिक बीमार होती हैं।
कोरोना व लौकडाउन के दौरान बंद कमरे में रहने का सब से बड़ा दुष्परिणाम आइसोलेशन से पैदा हुई मानसिक बीमारियां रही हैं,मानसिक बीमारी अवसाद, अनिद्रा, तनाव, चिंता,भय ये कुछ ऐसी मानसिक स्थितियां हैं ,जिन्हें बीमारी कहना किसी को नागवार भी गुजर सकता है,मनोचिकित्सकों का मानना है कि एक हद तक तो ये स्थितियां ठीक हैं लेकिन जब ये एक सीमा से बाहर चली जाएं तो मानसिक बीमार होती हैं।
रोजमर्रा के जीवन में हम सब तनाव भय, नाराजगी, नफरत जैसी मानसिक स्थितियों से अच्छी तरह परिचित हैं,किसी परिजन की मौत के दुख से भी हम सब कभी न कभी गुजरते ही हैं, लेकिन ये मानसिक स्थितियां बहुत ज्यादा देर तक या दिनों तक नहीं टिकतीं, एक समय के बाद हम स्वाभाविक जीवन में लौट आते हैं,लेकिन अगर कोई ऐसी मानसिक स्थिति से लंबे समय से गुजर रहा हो तो यह खतरे की घंटी है। शरीर के हाथपैर, किडनी, दिल, लिवर और पाचन संस्थान में अगर कोई बीमारी हो तो इस के लक्षण सामने आते हैं,उसी प्रकार एहसास, आवेग, चिंता, दुख,क्रोध मन के भाव हैं और अगर मन में कोई बीमारी घर कर रही हो तो इस के भी कुछ लक्षण सामने आएंगे,शरीर और मन दोनों एकदूसरे से जुड़े हैं, इसीलिए शारीरिक बीमारी का असर मन पर पड़ता है ।
मानसिक बीमारी में : डिप्रैसिव डिसऔर्डर, एंग्जाइटी डिसऔर्डर, फोबिक डिसऔर्डर, औब्सेसिव कंप्लसिव डिसऔर्डर आते हैं,अगर केवल एंग्जाइटी डिसऔर्डर की बात करें तो यह 3 तरह का होता है।
जनरलाइज्ड एंग्जाइटी : इस से पीड़ित हमेशा किसी न किसी बात को ले कर बेचैन व चिंतित रहता है।
फोबिक एंग्जाइटी : इस एंग्जाइटी से पीड़ित व्यक्ति किसी स्थान या माहौल में जाने पर आशंकित हो जाता है या असुरक्षा महसूस करता है ।
पैनिक डिसऔर्डर : किसी विशेष व्यक्ति, माहौल या परिस्थिति के सामने न पड़ने के बावजूद कल्पना के वशीभूत हो कर पीड़ित उत्कंठा बेचैन या व्याकुल हो उठता है।
साइकोसिस : पीड़ित व्यक्ति हरेक को अपना दुश्मन मान लेता है,उस के दिमाग में यह बात घर कर जाती है कि हर कोई उसे नुकसान पहुंचाने वाला है।
मनोचिकित्सक कहते हैं : हमारी आजकल की जीवनशैली भी एक हद तक मानसिक बीमारी के लिए जिम्मेदार है,समाज के लिए यह बड़ी चुनौती बन गई है,लोग सिमट गए हैं,समाज सिमट गया है,लोग अपने घरों में बंद हैं,किसी को किसी कि खबर नहीं होती।
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