जर्जर नांता महल में बरसों से चल रहा स्कूल

कैसे दें क्वालिटी एजुकेशन, चोर ले गए कम्प्यूटर-प्रोजेक्टर,4 माह में 6 चोरियां, लाखों का सामान चोरी, ग्ांदगी, बदबू और जंगल के बीच कैसे सुधरेगा शिक्षा का स्तर

 जर्जर नांता महल में बरसों से चल रहा स्कूल

नांता के रियासतकालीन पांच मंजिला महल में दो सरकारी स्कूल चल रहे हैं। जहां कदम रखने के लिए हिम्मत जुटानी होगी। महल की इमारतें पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। तेज बारिश के बीच जब बादल गरजते हैं तो बच्चों के साथ शिक्षकों भी सहम जाते हैं, मन में डर बैठा रहता है कि जर्जर भवन ढह न जाए।

कोटा। नांता के रियासतकालीन पांच मंजिला महल में दो सरकारी स्कूल चल रहे हैं। जहां कदम रखने के लिए हिम्मत जुटानी होगी। महल की इमारतें पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। तेज बारिश के बीच जब बादल गरजते हैं तो बच्चों के साथ शिक्षकों भी सहम जाते हैं, मन में डर बैठा रहता है कि जर्जर भवन ढह न जाए। हालात यह है, 5 में से 3 मंजिल तो खंडर हो चुकी है, जिनमें बंदरों का बसेरा है। वहीं, पहली और दूसरी मंजिल पर ही 1 से 12वीं तक कक्षाएं चलती हैं। दोनों मंजिलों को मिलाकर कुल 10 कक्षा-कक्ष हैं, लेकिन बैठने लायक 5 भी नहीं है। छतों की पटिटयां टूटी है, जिन्हें लोहे के लेंटरों से रोका है। वहीं, बंदरों की उछलकूद से जर्जर छज्जे आए दिन गिर रहे, फर्श खुदा पड़ा है।

 वहीं, स्कूल के चारों तरफ घना जंगल बसा है, जहां सांप, बिच्छू, गोयरा सहित कई जहरीले जीव-जंतुओं की मौजूदगी है, यहां सैकड़ों बिल बने हैं। सांपों का कक्षा-कक्ष तक पहुंचना आम बात हो गई है। विद्यालय भवन की जर्जरता देख किसी की भी हिम्मत जवाब दे जाए लेकिन तमाम खतरों से अनजान मासूम बच्चे खौफनाक भवन में पढ़ने को मजबूर हैं। ऐसे जंगल में क्वालिटी एजुकेशन मिलना तो दूर जान बच जाए वो ही बड़ी बात है।

सदियों पुराने भवन में चल रहे दो स्कूल
नांता महल करीब दो शताब्दी से भी पुराना बताया जाता है। इस महल में उच्च प्राथमिक व सीनियर सैकंडरी स्कूल चल रहे हैं। भवन पूरी तरह से जर्जर है। पहली मंजिल पर कई कमरें हैं लेकिन बैठने लायक एक ही है। जिसमें 63 बच्चों की 7वीं क्लास लगती है। जबकि, अन्य कमरें ढह चुके हैं। इस कक्ष का फर्श उखड़ चुका है। परिसर में गंदगी का ढेर है।

10 कक्षा-कक्ष लेकिन बैठने लायक 5 भी नहीं
महल में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय संचालित है। यहां कुल 416 बच्चों का नामांकन है। कहने को तो यहां 10 कक्षा-कक्ष हैं लेकिन बैठने लायक 5 भी नहीं है। पक्के कमरों की जगह तिबारियां हैं, जिनमें 6, 9, व 11वीं की क्लासें एक साथ लगती है। जबकि, तीनों क्लासों के बच्चों की संख्या 120 है। बच्चे ठीक से बैठ भी नहीं पाते। वहीं, शोर-शराबा अधिक होने से शिक्षक अपनी बात भी ठीक से समझा नहीं पाते। यहां क्वालिटी एजुकेशन मिलना तो दूर सिलेबस पूरा करवाना चुनौती है।
 
लाखों का सामान पार, खिड़की अलमारी तोड़ी
नांता स्कूल में पिछले 7 माह में 6 बार चोरियां हो चुकी है। चोर लाखों का सामान चुरा ले गए। प्रिसिंपल ने बताया कि 30 अप्रेल, 2 मई, 4 व 14 जून, 14 व 22 जुलाई को चोरों ने लगातार वारदातों को अंजाम दिया और कम्प्यूटर, प्रोजेक्टर, स्पीकर सेट, माइक्रोफोन, 15 पंखें, पोषाहार के बर्तन व फर्नीचर सहित लाखों का माल चुरा ले गए। साथ ही आलमारी, 10 कक्षों के दरवाजे, बाथरूम में लगे वाशबेसन तोड़ गए।

बोरिंग का पीते हैं पानी
शिक्षकों ने बताया कि स्कूल में वाटर कूलर नहीं है। बोरिंग लगी है लेकिन पानी गंदा आता है। बच्चों व शिक्षकों को मजबूरी में यही पानी पीना पड़ता है। कुछ माह पहले जनप्रतिनिधियों ने यहां प्यूरीफाई वाटरकूलर लगाने का वादा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ। वहीं, शिक्षा विभाग के अधिकारी भी बच्चों के हितों की उपेक्षा कर रहे हैं।

सिर्फ आश्वासन ही मिलता है काम पूरा नहीं होता
शिक्षकों का कहना है, यह स्कूल चलाने लायक भवन नहीं है। चारों तरह जंगली पेड़-पौधे व खरपतवार उगे होने से जंगल बसा हुआ है। बरसात में जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बना रहता है। विभागीय अधिकारी निरीक्षण पर आते हैं तो स्कूल के लिए भवन या जमीन अलॉटमेंट करवाने का कोरा आश्वासन ही देते हैं लेकिन काम नहीं करते। जबकि, विभागीय अधिकारियों को कई बार पत्र लिखकर समस्याओं से अवगत करा चुके हैं, इसके बावजूद सुनवाई नहीं हो रही। यहां हर पल हादसे की आशंका बनी रहती है।

बच्चों के घर लौटने तक लगा रहता है डर
अभिभावकों ने बताया कि इस इलाके में कोई दूसरा सरकारी स्कूल नहीं है। बरसों से जर्जर महल में ही स्कूल चल रहा है। हर पल बच्चों की जान जोखिम में रहती है। उनके घर लौटने तक अनहोनी का डर लगा रहता है। शिक्षक भी अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाते हैं। स्कूल के सुविधाघरों के हाल बहुत खराब हैं। गंदगी व दुर्गंध से बीमारियों का खतरा रहता है। जबकि, निरीक्षण को आए अधिकारियों को भी समस्या बताई थी।

4 कमरों में चलता उच्च प्राथमिक विद्यालय
नांता महल परिसर में ही उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित है। यहां 4 कक्षा कक्ष हैं लेकिन बैठने लायक एक भी नहीं है। मजबूरी में एक जर्जर कक्ष में ही 5वीं की कक्षा चलानी पड़ती है। लेकिन कमरा छोटा होने से 33 बच्चों एक साथ नहीं बिठा पाते। वहीं, 1 से 4 तक की कक्षाएं बाहर चबुतरियों पर लगानी पड़ती है। जबकि, स्कूल में 141 बच्चों का नामांकन है। यहां छोटे बच्चों को व्यवहारिक शिक्षा देने के लिए पर्याप्त संसाधनों का अभाव है। इसके अलावा एबीएल किट तक नहीं है। 3 अन्य कक्षा कक्ष जर्जर अवस्था में है। हादसे की आशंका के चलते उन्हें बंद कर रखा है। खुले में ही बच्चों को पढ़ाना पड़ता है। बारिश होते ही छुटटी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।

बच्चों के सिर व किताबों पर गिरता है चूना
8वी व 10वीं की कक्षाएं जर्जर है। छतों की पट्टियां टूट रही है। दीवारों में सीलन व बड़े-बड़े गडढेÞ हो रहे हैं। पढ़ते वक्त किताबों व बच्चों के सिर पर चूना गिरता है। बारिश के दौरान बिजलियां कड़ने पर बच्चे सहम जाते हैं। हिन्दी शिक्षक ने बताया कि क्षतिग्रस्त स्कूल भवन में कभी भी हादसा हो सकता है। दो माह पहले वे अपनी कक्षा से निकलकर स्टाफ रूम पहुंचे ही थे कि अचानक धमाके की आवाज आई, बाहर निकलकर देखा तो छज्जा टूट कर गिरा हुआ था। एक मिनट की देरी से बाल-बाल जान बच गई।

नांता शाला प्रधान स्कूल से संबंधित समस्याओं को लेकर प्रस्ताव बनाए और सीबीईईओ के माध्यम से हम तक पहुंचाए। प्रस्ताव मिलने पर भवन मरम्मत, बजट व वैकल्पिक भवन की व्यवस्था के लिए रमसा को भेजेंगे। साथ ही जमीन अलॉटमेंट के लिए यूआईटी, नगर निगम, ज्वाइंट डायरेक्टर व जिला कलक्टर को पत्र भेज समाधान निकालेंगे। सरकारी काम व्यवस्थित प्रक्रिया के तहत होते हैं। स्कूल के लिए जमीन प्रिंसिपल के नाम ही अलॉट होती है, उन्हें बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए थोड़ी तो मेहनत करनी ही चाहिए।
 - प्रदीप चौधरी, जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक

नांता महल में संचालित स्कूल के लिए नगर विकास न्यास ने पिछले कुछ साल पहले क्रेशर बस्ती में जमीन आवंटित की थी लेकिन यह जमीन विवादों में रहने के कारण स्कूल भवन नहीं बन सका। इसके बाद इलाके में दूसरी जमीन आवंटन के लिए कोशिश की थी और इसके लिए विभागीय अधिकारियों को पत्र भी लिखें हैं लेकिन सुनवाई नहीं हुई। बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने का पूरा प्रयास कर रहे हैं लेकिन चोर यहां से कम्प्यूटर, स्मार्ट क्लास के लिए लगाए गए प्रोजेक्टर, विज्ञान किट, पंखें  सहित अन्य लाखों के उपकरण चुरा ले गए।
- नंदराम मालव, प्रिंसिपल राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय नांता

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