राजस्थान: समाज सुधार से सोशलिस्ट रिपब्लिक क्रांति के सपनों तक
गर्म दल के क्रांतिकारियों और अहिंसावादी नेताओं ने मिल जुलकर चलाया था अजमेर-मेरवाड़ा क्षेत्र में आजादी का आंदोलन
गोपालसिंह खरवा ने 2000 सशस्त्र सैनिक तैयार कर रखे थे। इसके अलावा 30 हजार से अधिक बंदूकें भी गोलियों के साथ थीं। खरवा ने इन्हें छुपाया लेकिन वे गिरफ्तार कर लिए गए।
अजमेर में जनजाग्रति की शुरुआत दयानंद सरस्वती के वैदिक यंत्रालय की स्थापना के साथ ही हो गई थी। यह 19वीं सदी का समय था। 1883 में यहीं दयानंद सरस्वती ने अंतिम सांस ली और उसके बाद क्षेत्र में धार्मिक पाखंडों, रूढ़िवादिता, अशिक्षा, बालविवाह, दलितों से भेदभाव सहित विभिन्न बुराइयों के खिलाफ अभियान शुरू हो गया था। लेकिन 1914-15 के आते-आते महाविप्लवी नायक रासबिहारी बोस की सशस्त्र क्रांति की शुरुआत हो गई। इस आंदोलन में महिलाओं ने व्यापकतौर पर भाग लिया। ये आम महिलाएं थीं। इनमें ज्यादातर आर्य समाज के समाज सुधारक आंदोलन से निकली थीं।
ब्यावर के सेठ दामोदरदास राठी, ठाकुर गोपालसिंह खरवा, भूपसिंह यानी विजयसिंह पथिक आदि ने मोर्चा संभाल रखा था और इसी बीच वहॉं शचींद्रनाथ सान्याल आए। उन्होंने 21 फरवरी 1915 को देश भर के साथ ही अजमेर से भी क्रांति शुरू करने का कार्यक्रम तय किया, लेकिन खबर लीक हो गई और ब्रिटिश सरकार ने धरपकड़ तेज करवा दी। गोपालसिंह खरवा ने 2000 सशस्त्र सैनिक तैयार कर रखे थे। इसके अलावा 30 हजार से अधिक बंदूकें भी गोलियों के साथ थीं। खरवा ने इन्हें छुपाया लेकिन वे गिरफ्तार कर लिए गए।
इसी दौरान जमनालाल बजाज ने राजपूताना मध्य भारत सभा का गठन किया। इसके माध्यम से अर्जुनलाल सेठी, केसरीसिंह बारहठ, गोपालसिंह खरवा आदि ने भाग लिया और आंदोलन तेज किया। इस समय देश में खिलाफत आंदोलन चला तो अजमेर भी अछूता नहीं रहा। यहॉं सेठ अब्बास अली, डॉ. अंसारी, मौलाना मौयुद्दीन सहित कई लोगों ने खिलाफत आंदोलन में भागीदारी ली। अजमेर की खिलाफत समिति में चांदकरण शारदा भी थे।
अक्टूबर 1920 में अर्जुनलाल सेठी केसरीसिंह बारहठ और विजयसिंह पथिक ने राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की। उस समय रामनारायण चौधरी वर्धा से अजमेर को क्रांतिकारियों का केंद्र बना चुके थे। वे राजस्थान केसरी निकालने लगे। मानहानि का मुकदमा चलाया गया और चौधरी को 3 माह की सजा हुई।
1926 में हरिभाऊ उपाध्याय ने अजमेर में राजनीति शुरू की। एक आश्रम की स्थापना की। नमक सत्याग्रह हुआ तो उपाध्याय, पथिक, सेठी चौधरी और असावा को गिरफ्तार कर लिया गया। 1932 के देशव्यापी सत्याग्रह में बहुत गिरफ्तारियां हो रही थी तो अजमेर में महिलाओं ने बड़ी तादाद में जेल जाकर अपनी साहसिकता और देशप्रेम का परिचय दिया। इसी साल रामचंदर नरहरी बापट ने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी की शुरूआत की और इस दिन उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में अजमेर के इंस्पेक्टर जनरल आॅफ जेल मिस्टर गिब्सन को गोली से उड़ाने की कोशिश की लेकिन उनका रिवाल्वर जाम हो गया और गिब्सन बच गया। बापट को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें 10 साल की सजा हुई।
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