चुनाव आयोग की राय पर फैसला लेने में देरी नहीं कर सकते गवर्नर : सुप्रीम कोर्ट
विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर चुनाव आयोग की राय पर फैसला लेने में गवर्नर देरी नहीं कर सकते है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मणिपुर असेंबली के 12 भाजपा विधायकों के ऑफिस ऑफ प्रोफिट मामले में अयोग्यता के मामले में चुनाव आयोग ने अपनी राय दे रखी है और गवर्नर को फैसला लेना है।
नई दिल्ली। विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर चुनाव आयोग की राय पर फैसला लेने में गवर्नर देरी नहीं कर सकते है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मणिपुर असेंबली के 12 भाजपा विधायकों के ऑफिस ऑफ प्रोफिट मामले में अयोग्यता के मामले में चुनाव आयोग ने अपनी राय दे रखी है और गवर्नर को फैसला लेना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मणिपुर के गवर्नर अयोग्यता के मामले में चुनाव आयोग के रेफरेंस के बाद फैसले को लेकर बैठ नहीं सकते हैं। कुछ तो फैसला होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच ने इस तथ्य को देखा कि चुनाव आयोग ने अपना ओपिनियम को दिया था, लेकिन अभी तक गवर्नर ने उस पर फैसला नहीं लिया है। सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर विधानसभा के कांग्रेसी एमएलए डीडी थाईसिल ने अर्जी दाखिल कर ऑफिस ऑफ प्रोफिट के आधार पर भाजपा के 12 विधायकों के अयोग्यता की मांग कर रखी है। याचिका में कहा गया है कि इन्होंने पार्लियामेंटरी सेक्रेटरीज के पद को होल्ड किया था और यह ऑफिस ऑफ प्रोफिट के दायरे में आता है।
चुनाव आयोग की ओपिनियम गवर्नर के लिए बाध्यकारी: धवन
भारतीय चुनाव आयोग की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कहा कि चुनाव आयोग के ओपिनियम गवर्नर के लिए बाध्यकारी हैं। राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल दूसरे केस में व्यस्त हैं लिहाजा सुनवाई टाली जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले को टालने की अर्जी दाखिल नहीं कर सकती है क्योंकि सिर्फ एक महीना ही बचा हुआ है। एक बार कोर्ट ने सुनवाई कुछ देर के लिए टाली लेकिन सॉलिसिटर जनरल पेश नहीं हो पाए जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 11 नवंबर के लिए टाल दी है।
राज्यपाल को कार्यकाल एक माह में समाप्त हो जाएगा : सिब्बल
याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि गवर्नर फैसला पेंडिंग नहीं रख सकते हैं। इनका कार्यकाल खत्म हो रहा है और एक महीने में खत्म हो जाएगा उसके बाद सारा खेल खत्म है। हमें जानना चाहिए कि संवैधानिक अथॉरिटी क्या फैसला ले रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के इस बात से सहमत हैं कि वह फैसले से नहीं बच सकते हैं।
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