राज्य के हाल-ए-बालिका गृह : कहीं बदहाली तो कहीं व्यवस्थाएं चाकचौबंद

राज्य के हाल-ए-बालिका गृह : कहीं बदहाली तो कहीं व्यवस्थाएं चाकचौबंद

एक वर्ष पूर्व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव ने उदयपुर में किया था पांच अनाथ आश्रमों का निरीक्षण अनेक अनियमितताएं मिली, सभी बंद, तीन मामलों में जांच जारी,जोधपुर में ऑल इज वेल

जोधपुर। मंडोर स्थित बालिका गृह में 28 के करीब बालिकाएं निवासरत हैं। बाल अधिकारिता विभाग की ओर से संचालित इस बालिका गृह में बालिकाओं के संभावित विकास को लेकर काफी बेहतर व्यवस्थाएं की गई है। इनको किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो इसका भी विशेष रूप से पूरा ध्यान रखा जा रहा है। बालिका गृह में सुरक्षा के लिहाज से भी बात करे तो इनके माता-पिता के अलावा किसी अन्य को भी आने की अनुमति तक नहीं है। यहां सुरक्षा कर्मियों की भी नियुक्ति की हुई है। बालिका गृह में शिशु गृह भी संचालित हो रहा है। जहां 13 शिशु हैं। उन्हें गोद देने की प्रक्रिया में चल रहे हैं। नवज्योति टीम ने जब बालिका गृह की व्यवस्थाओं के संबंध में बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक डॉ. बी एल सारस्वत से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि बालिका गृह की बात करे तो यहां पर स्किल डवलपमेंट के कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। अभी 6 महीने पहले ही योगा और नेचुरोपैथी के शिविर लगाकर डिप्लोमा कोर्स भी आयुर्वेद विश्वविद्यालय के माध्यम से करवाए गए थे और इस सर्टिफि केट के आधार पर योगा टीचर भी बन सकते हैं। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष धनपत गुर्जर ने कहा कि यहां बालिकाओं के लिए स्किल डवलपमेंट के कोर्स जैसे सिलाई, सेल्फ  डिफेंस व योग के अलावा हर महीने अलग-अलग कार्यक्रम चलाए जाते हैं। निफ्ट, एनआईएफ टी व एफ डीडीआई के माध्यम से कई महीनों तक प्रशिक्षण कोर्स भी यहां संचालित किए गए।


इनके लिए अलग से आता है फंड:बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष धनपत गुर्जर ने कहा कि सरकार की ओर से काफी बेहतर व्यवस्थाएं की गई है। यहां बच्चियों के शिक्षा से लेकर सभी तरह की जो सुविधाएं होनी चाहिए वह उपलब्ध कराई जा रही है।सरकार इसके लिए बकायदा अलग से फंड देती है जिसके तहत खाना-पीना, रहना व शिक्षा जैसी जरूरतों को बखूबी रूप से पूरा किया जा रहा है। जिससे इनको कभी एहसास नहीं होता है कि वह एक गृह में रह रही है।

अनाथ आश्रम में बच्चों से दुर्व्यवहार पर चेता विभाग
 उदयपुर। जयपुर के एक अनाथाश्रम में 8 से 10 साल के 8 बच्चों से यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद उदयपुर में भी संबंधित विभाग सतर्क हो गया है। इस घटनाक्रम के बाद दैनिक नवज्योति की टीम ने गुरुवार को शहर एवं आसपास के निराश्रित बालगृहों का जायजा लिया। निराश्रित बालगृह जीवन ज्योति सुखेर में बच्चे सुबह दस बजे स्कूल में पढ़ने चले गए थे, जो शाम चार बजे तक लौटते हैं। बालगृह में अधीक्षक ओमप्रकाश बंजारा, कोषाधिकारी अरविंद शर्मा सहित स्टॉफ मौजूद था। उनका कहना था कि बच्चों की सुरक्षा करना उनका दायित्व है। वर्तमान में 60 बच्चे पांच हॉलनुमा कमरों में रहते हैं। एक वर्ष पूर्व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तत्कालीन सचिव रिद्धिमा शर्मा ने अभियान चलाकर जिले में संचालित आश्रय स्थलों का निरीक्षण किया था।  इसमें से करीब पांच स्थलों पर काफी अनियमितताएं सामने आई थी। इसमें कार्रवाई के लिए हाईकोर्ट को पत्र भी लिखा। परिणामस्वरूप सभी स्थल बंद हो गए। तीन मामलों में अभी जांच चल रही है।

 

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