जोधपुर में बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के अधिवक्ता भवन के लोकार्पण समारोह में बोले CM गहलोत : एडवोकेट एक्ट में संशोधन कर दुबारा करेंगे पारित
कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी और राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अकील कुरैशी भी मौजूद रहे।
जयपुर। बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के जोधपुर में नए भवन का रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्चुअल लोकार्पण किया। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी और राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अकील कुरैशी भी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मैं भी वकील समाज से ही राजनीति में आया हूं। राजनीतिक व्यवस्थाओं के चलते वकीलात में पीछे मुड़ कर देखने के लिए समय नहीं मिला, लेकिन आज भी वकीलों के हितों के लिए तैयार रहता हूं। गहलोत ने कहा कि देश में आज हर व्यक्ति सुलभ और सस्ता न्याय चाहता है। राजस्थान हाई कोर्ट में भी जजों के काफी पद खाली पड़े हैं। इन खाली पदों को भरने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बहस होनी चाहिए, ताकि सरकारों पर दबाव बने। आज देश में जिस तरह का माहौल बना हुआ है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। लोगों का अगर न्यायपालिका पर भी भरोसा नहीं रहा तो वह तो फिर किस पर भरोसा करेंगे। गहलोत ने कहा कि हमने अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एडवोकेट एक्ट बनाया था, लेकिन कुछ अधिवक्ताओं ने उस पर आपत्तियां जाहिर की थी। इसी कारण वह हमें राज्यपाल से वापस मंगवाना पड़ा। अगले सत्र में हम इसे संशोधित कर वापस एक्ट को पारित करेंगे। हमने जो अब अधिवक्ता कल्याण कोष बनाया उससे करो ना काल में कई जरूरतमंद वकीलों को सहायता मिली। हाई कोर्ट की तरफ से जब भी कोई सरकार को सलाह दी गई तो हमने उसकी पालना करने की पूरी कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दिनेश महेश्वरी ने कहा कि कोरोनाकाल मे न्यायपालिका ने बेहतरीन काम किया। मैं नहीं राजस्थान हाई कोर्ट जोधपुर से ही अपना करियर शुरू किया था उस समय के अनुभव आज मेरे सुप्रीम कोर्ट में काम करते समय उपयोग में आ रहे हैं। कोर्ट के जस्टिस को भी वकीलों से सीखने को मिलता है। लोकार्पण समारोह में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अकील कुरैशी ने कहा की विधायिका और न्यायपालिका एक दूसरे का सम्मान करते हैं, यही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। लोगों के सामने जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं। न्यायपालिका समाज में दबाव को कम करने का काम करती हैं। समाज में यदि न्यायपालिका व्यवस्था नहीं होती तो बड़ा विस्फोट हो जाता।
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