खाद के अभाव में सरसों की फसल में नहीं हो पा रहा पलेवा

किसानों के सामने फसलों को बचाने की चुनौती, सुबह से ही भूखे प्यासे खाद के लिए लगाते हैं कतार

खाद के अभाव में सरसों की फसल में नहीं हो पा रहा पलेवा

खरीफ के बाद किसानों ने रबी की फसलों को लेकर दिल में जो अरमान संजोए थे वो सरकारी अव्यवस्था के कारण चकनाचूर होते लग रहे हैं। इस बार रबी की फसलों की बुवाई के समय से ही पहले डीएपी खाद की कमी ने परेशान किया। अब यूरिया खाद के लिए तो किसानों को भूखे प्यासे कतारों में लगकर एक दो-कट्टो का इंतजाम करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

इटावा। यूरिया खाद के अभाव में इटावा क्षेत्र के किसानों के सामने फसलों को बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। खाद नहीं मिलने के कारण किसान सरसों की फसल में पलेवा नहीं कर पा रहे हैं। सुबह से ही भूखे-प्यासे रहकर सहकारी के चक्कर काटते रहते हैं। जैसे ही खाद आने की सूचना मिलती है सब काम छोड़कर सुबह से ही लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं। जानकारी के अनुसार इस बार बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण किसानों की खरीफ की फसलें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं। लेकिन मौसम की मार सहन कर जैसे-तैसे रबी की फसलों की तैयारी में लग गया। लेकिन सरकारी अव्यवस्था और प्रशासनिक असंवेदन हीनता के कारण किसानों की रबी की फसलें भी चौपट होती नजर आ रही हैं। खरीफ के बाद किसानों ने रबी की फसलों को लेकर दिल में जो अरमान संजोए थे वो सरकारी अव्यवस्था के कारण चकनाचूर होते लग रहे हैं। इस बार रबी की फसलों की बुवाई के समय से ही पहले डीएपी खाद की कमी ने परेशान किया। अब यूरिया खाद के लिए तो किसानों को भूखे प्यासे कतारों में लगकर एक दो-कट्टो का इंतजाम करने को मजबूर होना पड़ रहा है। क्षेत्र में यूरिया की कमी के कारण किसान सरसों की फसल में पानी नहीं दे पा रहे हैं। जिससे फसलें खराब होने लगी हैं। पहले मौसम की मार और अब यूरिया की कमी, उस पर नेताओं और सरकारी अफसरों के आश्वासनों के आगे किसान बेबस व निराश दिख रहा है। 

सुबह जल्दी ही लग जाती हैं कतारें
खाद के लिए किसानों को सख्त परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। एक तरफ फसलों को बचाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है, वहीं दूसरी ओर खाद पाने के लिए भूखे प्यासे कतारों में लगने के बाद दो कट्टे मिल पा रहे हैं। इटावा मार्केटिंग सहकारी में सुबह से ही सैंकड़ों किसानों की लंबी कतारें लग जाती हैं। जब पता चलता है कि आज खाद नहीं आएगा तो निराश होकर लौट जाते है। इसके अलावा निजी डीलरों के यहां खाद आता है तो बिचौलियों के माध्यम से महंगे दामों में बिक जाता है। गरीब किसान मायूस वापस अपने घर लौट जाता है। 

चूल्हा चौका छोड़ महिलाएं भी लग रहीं लाइन में
खाद की कमी से फसलों को खराब होने से बचाने के लिए पुरुष ही नहीं महिलाएं भी सुबह जल्दी ही मार्केटिंग में चूल्हा चौका छोड़ कतारों में लग जाती हैं। महिलाओं ने बताया कि खेती ही नहीं बचेगी तो परिवार क्या करेंगे। दो-चार दिन भूखे रह लेंगे। लेकिन खाद मिल जाए तो फसलों में समय पर पानी लग जाएगा। पुलिस के पहरे में पुरुष किसानों के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं की भी लम्बी कतार नजर आ रही है। इटावा क्रय-विक्रय सहकारी समिति में बुधवार को किसानों की लंबी कतारों व हंगामे के बीच प्रत्येक किसान को 5-5 कट्टों का वितरण किया गया। 

किसानों ने रोया दुखड़ा! नहीं मिलता उचित मूल्य 
कतारों में लगे किसानों ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि किसानों को हर तरफ परीक्षा से ही गुजरना पड़ता है। पहले बुवाई के लिए खाद व बीज महंगे दामों पर मशक्कत के बाद मिलते हैं।  बदलते मौसम से पैदावर प्रभावित होती है। लेकिन जब किसी तरह पैदावर आती भी है तो उसका उचित मूल्य नहीं मिल पाता। फसल बीमा के नाम पर बीमा कम्पनियां सिर्फ अपनी जेबें भरने में लगी हुई हैं। 

Read More जोधपुर: आपसी विवाद में युवक पर चाकू से हमला

फसलें खराब हुर्इं लेकिन नहीं मिला बीमा क्लेम
क्षेत्र में इस बार खरीफ की उड़द, सोयाबीन व तिल्ली की फसलें बेमौसम बारिश व बाढ़ के कारण पूरी तरह चौपट हो गर्इं थीं।  फसल बीमा के नाम पर झांसे देकर बीमा कंपनियां लगातार किसानों के साथ ठगी करती आ रही हैं। बीमे के फायदे बताकर कम्पनियां किसानों से प्रीमियम भरवा कर पलट कर भी नहीं देखतीं। खरीफ की फसल का समय चक्र पूरा हो चुका है। लेकिन किसानों को बीमा क्लेम का एक नया पैसा तक नहीं मिला है। किसानों की दूसरी फसलों की बुवाई हुए भी एक माह गुजर गया है। लेकिन न बीमा मिला न सरकार की ओर से कोई  मुआवजा। किसानों के नाम पर राजनीति चमकाने वाले नेताओं के आश्वासनों के अलावा किसानों को कुछ भी नहीं मिल पा रहा है। किसानों की रबी की फसल के लिए वापस बीमा प्रीमियम भरने का समय आ गया है। लेकिन कंपनियां किसानों से करोड़ों की खुली लूट के बदले सिवाय आंसुओं के और कुछ भी नहीं दे रही हैं।

Read More मुख्य सचिव दूसरी बार पहुंचे परिवहन मुख्यालय

इनका कहना है

Read More फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर है कापरेन वासी

फसल बीमा किसानों के साथ छलावे के अलावा कुछ भी नहीं है।  केसरीलाल नागर, किसान प्रीमियम कट जाता है। पिछले चार वर्ष से फसलें खराब हो रही हैं। एक बार बीमा मिला, वह भी नाम मात्र का।  -नरेश सुमन, किसान

बुधवार को 1783 यूरिया के कट्टे आए थे। जिनका वितरण करवा दिया है। जैसे-जैसे खाद आ रहा है, सहकारियों व मार्केटिंग के माध्यम से वितरण किया जा रहा है। नवम्बर माह में मार्केटिंग सोसायटी द्वारा लगभग 15 हजार कट्टों का वितरण किया जा चुका है। इसके अलावा सहकारी समितियों के माध्यम से अलग वितरण करवाया गया है। निजी डीलरों द्वारा भी वितरण किया जा रहा है। 
-सीताराम मीना, व्यवस्थापक, इटावा क्रय-विक्रय सहकारी समिति

Post Comment

Comment List

Latest News