स्मार्ट सिटी पर दाग साबित हो रहा नयापुरा बस स्टैंड

छह दशक में कोटा में बने रोडवेज के तीन बस स्टैंड

स्मार्ट सिटी पर दाग साबित हो रहा नयापुरा बस स्टैंड

पिछले साठ साल में राजस्थान पथ परिवहन निगम ने तीन बस स्टैंड का सफर तय किया । लेकिन जिस प्रकार से शहर की आबादी बढ़ी उसके अनुसार ना तो बस स्टैंड का विस्तार हुआ ना ही बसों का।

कोटा। शहर में यूआईटी की ओर से स्मार्ट सिटी के तहत कई विकास कार्य कराए जा रहे है। शहर पर्यटकों को रिझाने के लिए रिवरफ्रंट से लेकर आक्सीजोन पार्क, और रेलवे स्टेशन से लेकर नयापुरा तक चौराहे का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। नयापुरा में निजी भवनों को धोलपुरी पत्थर लगाकर सजाया गया है लेकिन कोटा हार्ट बने नयापुरा रोडवेज बस स्टैंड जर्जर होती बिल्डिंग के सौंदर्यीकरण का किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। शहर में अधिकांश घरेलु पर्यटक रोडवेज से ही सफर करते है ऐसे में कोटा के सुंदर शहर में नयापुरा बस स्टैंड टाट में पैबंद  काम कर है। पिछले साठ साल में राजस्थान पथ परिवहन निगम ने तीन बस स्टैंड का सफर तय किया । लेकिन जिस प्रकार से शहर की आबादी बढ़ी उसके अनुसार ना तो बस स्टैंड का विस्तार हुआ ना ही बसों का। शहवासियों का कहना है कि आज कोटा देश में शिक्षा नगरी के नाम से अपनी अलग पहचान बनाए हुए है । लेकिन यहां आज भी परिवहन के संसाधन सीमित ही हैं। 

आमजन के लिए रोडवेज सस्ता व सुगम साधन है  लेकिन कोटा का दुर्भाग्य ही कहें ही यहां के बस स्टैंड में 157 बसें हुआ करती थी वह अब घटकर महज 70 रह गई है। यह कोटा की आबादी के हिसाब से बहुत कम है। संजय नगर में बना नया रोडवेज बस स्टैंड तो विशाल बन गया लेकिन अभी यहां से बसें कम ही संचालित होती है। जिससे लोगों को नयापुरा बस स्टैंड जाना पड़ता है। बूंदी, जयपुर, नैनवां, टौंक, उनियारा, झालावाड़, बारां की बसें अभी नयापुरा बस स्टैंड की सवारियों से पूरी बस भरती है। नवज्योति ने नयापुरा बस स्टैंड के भवन मरम्मत और सौंदर्यीकरण को लेकर आमजन से चर्चा की सभी कहना है कि स्मार्ट सिटी में नयापुरा बस स्टैंड का भी हो विकास जिससे लोगों मिले बेहतर सुविधाएं रिवर फ्रंट के पास होने से इसका सौंदर्यीकरण जरूरी है। 

नयापुरा बस स्टैंड के जर्जर होते भवन को मरम्मत की दरकार
शहर की जिस प्रकार से आबादी बढ़ रही है उस प्रकार से रोडवेज की बसे नहीं बढ़ी ना ही नयापुरा बस स्टैंड का जिर्णोद्धार हुआ है। पिछले दो दशक से भवन की ना तो मरम्मत हुई ना ही रंगरोगन जर्जर भवन में प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्री बसों की प्रतिक्षा करते है। रोजवेज प्रशासन की ओर से नया बस स्टैंड बनने के बाद इसकी सुध लेना ही छोड़ दिया है। कोटा में स्मार्ट सिटी के कार्य चल रहे नयापुरा बस स्टैंड का भी जिर्णोद्धार करना चाहिए। यहां सीवरेज ढक्कन खुले है। बिल्डिंग का लंबे समय से रंगरोगन नहीं हुआ। जगह जगह से प्लास्टर गिर रहा है। पेयजल की व्यवस्था नहीं है। टायलेट टूटे है। यात्रियों की सुविधा के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। पानी की प्याऊ पूरी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। भवन में जगह जगह से दरारे पड़ रही है। यात्रियों बसों के जानकारी के सूचना पट मिट गए है। ग्रामीण क्षेत्र के लिए लगने वाली बसों के स्टैंड ज्यादा खतरनाक है। 
-अंचल शर्मा, निवासी आकाशवाणी

छत से गिर प्लास्टर, टूटे छज्जों से यात्रियों के जानमाल का खतरा
करीब पांच दशक पुराने नयापुरा बस स्टैंड अपने साथ कई यादे संजोए हुए है। छह दशक पहले तक  रोडवेज बसों का संचालन श्रीपुरा से हुआ करता था। कालांतर में शहर का विकास हुआ जिससे श्रीपुरा का बस स्टैंड छोटा पड़ने लगा। 1964 में  नयापुरा बस स्टैंड से रोडवेज बसों का संचालन होना शुरू हुआ था।  यहां पर करीब 157 बसों का विभिन्न रूटों पर संचालन होता था। 1964 में जब नयापुरा बस स्टैंड के आंगन में पहली बस ने कदम रखा तो काफी खुला-खुला शहर था, उसके बाद शहर बढ़ता गया, लोग बढ़ते गए। जरूरत बढ़ती गई और बसों को खड़ा रहने की जगह कम पड़ने लगी। संजय नगर में 2007 में नया बस स्टैंड बनने के बाद से इस बस स्टैंड की उपेक्षा होना शुरू हो गया। बीच में इस बस स्टैंड को बंद करने रोडवेज प्रस्ताव भी भेजा था लेकिन लोगों की मांग पर इस जोनल बस स्टैंड बना दिया। तब से इसका विकास कार्य रूक गया है। छत से प्लास्टर गिर रहा है। छज्जे टूट गए है। कभी बड़ा हादसा हो  सकता है।
-शशि कुमार, निवासी बजरंग नगर

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रोडवेज बस स्टैंड की व्यवस्था की  टूट चुकी कमानियां 
नयापुरा बस स्टैंड दुर्दशा का शिकार हो रहा है। यहां पर प्रतिदिन 2 से 3 हजार यात्री दिन भर में यात्रा के लिए आते है। बस स्टैंड की बिल्डिंग पर रंगरोगन नहीं होने चहुंओर काई जमी हुई है। खिड़कियां टूटी हुई है। प्याऊ के नल गायब है। महिलाओं पुरुषों के टायलेट गंदे रहते है। बसों खड़ा करने की जगह बने सीवरेज के चेम्बर खूले पड़े है। मुख्य बिल्डिंग बाहर से प्लास्टर गिर गया है। राजस्थान रोडवेज में चालकों और परिचालकों की कमी के चलते कोटा के विभिन्न रूटों पर बसों को कम कर दिया गया है।  इस कारण यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।  पहले कोटा डिपो में रोडवेज की 120 बसें थी जो अब 70 रह गई हैं।  इतना ही नहीं रोडवेज के पास मैकेनिक के 96 पद हैं, लेकिन फिलहाल 65 कार्यरत हैं।  इस कारण इन 70 बसों की रूटिंग में होने वाली चैकिंग भी समय पर नहीं हो पाती है, जिससे कई बार बसें रास्ते में ही खराब हो जाती है और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
-बृजेश प्रजापति, निवासी नयापुरा 

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नयपुरा की तस्वीर बदली, बस स्टैंड की बदले तभी कोटा छवि दिखेगी सुंदर
शहर में यूआईटी की ओर से स्मार्ट सिटी के तहत नयापुरा चौराहे और आसपास के क्षेत्र विकास कर चौराहे और पूरे नयापुरा मुख्य मार्ग को सुंदर बना दिया है। लेकिन रोडवेज बस स्टैंड जहां दिनभर में 1500 से 2000 हजार यात्री रोज विभिन्न स्थानों के लिए यात्रा करते और विभिन्न स्थानों से कोटा आते है वो स्थान उपेक्षा का शिकार हो रहा है। मंत्री शांतिधारीवाल ने शहर काफी विकास कराया है। फिर बस स्टैंड को क्यों छोड़ दिया। इसका विकास होगा तो लोगों को बेहतर सुविधा मिलेगी। इनको भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में लेकर इसका सौंदीर्यीकरण करें और यात्री सुविधाएं बढ़ाए है। आधा कोटा इसी बस स्टैंड से यात्रा करता है। यही उपेक्षित है। इसका विकास होना चाहिए।
-तनुजा गौतम, निवासी कैथूनीपोल

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