
मगरमच्छों से आंख मिलाने का रोमांच दे सकता है केएसटी
पक्षियों व जलीय जीवों का संरक्षण स्थल है किशोर सागर, पक्षियों और मगरमच्छों के लिए बने आईलैंड तो पर्यटन को लगे चार चांद
किशोर सागर में बड़ी संख्या में मगरमच्छ मौजूद हैं। सर्दियों में मगरमच्छ धूप सेकने के लिए बड़ी संख्या में पानी से बाहर आते हैं। सुरक्षित दूरी होने के चलते लोग इन्हें देखकर रोमांचित हो उठते हैं।
कोटा। शहर का हृदय स्थल किशोर सागर दिनोंदिन जवां होता जा रहा है। अपनी खूबसूरती से पर्यटकों को आनंदित कर रहा है, साथ ही जलीय जीवों और पक्षियों के लिए संरक्षण स्थली बना है। अपने फैलाव और सौन्दर्य से आकर्षण का केंद्र बन चुका केएसटी रोमांच का नया व्यू पाइंट बन सकता है। यहां पक्षियों व मगरमच्छों के लिए आईलैंड विकसित करने की जरूरत है। दरअसल, तालाब में आईलैंड नहीं होने से मगरमच्छों को पानी से बाहर आने की कोई ठौर नहीं है। ऐसे में वे छतरियों व नहर की दीवारों पर ही धूप सेंकते नजर आते हैं। यदि, यूआईटी द्वारा यहां आईलैंड विकसित कर दिया जाए तो पर्यटन की दृष्टि से बड़ा कदम साबित हो सकता है।
इन जगहों पर बनाया जा सकता है आईलैंड
किशोर सागर तालाब में कम से कम दो आईलैंड विकसित किए जाने की जरूरत है। इसके लिए प्रशासन को कम गहराई वाले स्थान सरोवर टॉकीज व न्यू क्लॉथ मार्केट के सामने वाली जगह चिन्हित कर टापू बनाने के सुझाव दिए थे। यहां पेड़ भी हैं, जहां परिदे अपना आशियाना बनाते हैं और दलदली जगह होने से भोजन की उपलब्धता भी रहती है। वहीं, स्थाई ठौर मिलने से पक्षियों की अठखेलियों के बीच मगरमच्छों की काया पर्यटकों को डर और रोमांच का अनुभव कराएगी। साथ ही किशोर सागर के पर्यटन को नई दिशा मिलेगी।
रंग-बिरंगे पक्षी भी बन रहे आकर्षण
जैदी बताते हैं, इन दिनों तालाब में रंग बिरंगे, मनमोहक प्रवासी व अप्रवासी विभिन्न प्रजातियों के करीब 4 हजार पक्षियों की मौजूदगी लोगों को आकर्षित करती है। सर्दियों में इनका आना शुरू होता है और तापमान में वृद्धि के साथ ही ये मार्च तक पलायन कर जाते हैं। यदि, आईलैंड विकसित किए जाए तो स्थाई रूप से यहां बस सकते हैं।
झलक पाने को थम जाता ट्रैफिक
किशोर सागर में बड़ी संख्या में मगरमच्छ मौजूद हैं। सर्दियों में मगरमच्छ धूप सेकने के लिए बड़ी संख्या में पानी से बाहर आते हैं। सुरक्षित दूरी होने के चलते लोग इन्हें देखकर रोमांचित हो उठते हैं। गुनगुनी धूप का आंनद लेने के लिए ये बाहर निकलते हैं और थोड़ी भी हलचल हो तो तुरंत पानी में चले जाते हैं। सप्ताह भर से पांच से छह मगरमच्छ किशोर सागर व नहर के बीच बनी दीवार व छतरियों में नजर आ रहे हैं।
देशी-विदेशी पक्षियों का गूंजता है कलरव
किशोर सागर में ब्लेक काइट बड़ी तादाद में हैं। हालांकि, कॉम्ब डक की संख्या कम हो गई है। पहले इनकी संख्या एक हजार के करीब थी। यहां रुडी शेल्डक, कॉमन पोचर्ड, कॉमन टिल, लिटिल ग्रीव, कॉमन कूट, कॉटन टिल, रेड क्रस्टेड पोचर्ड, ब्लेक हैडेड सीगर, लेसर सीगल, रिवर्टन समेत अन्य पक्षियों का जमावड़ा है। वहीं लिटिल कॉरमोरेंट, लार्ज कॉरमोरेंट, इग्रेट्स, पौंड हरोन, ग्रे हैरोन, लेसर विसलिंग टिल, किंग फिशर, परपल मूरहेन, इंडियन मूरहेन की भी मौजूदगी है।
न ठौर है न ठिकाना
किशोर सागर में अनगिनत मगरमच्छ हैं। इनकी संख्या का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। तालाब में 5 से 12 फीट तक के मगरमच्छों की मौजूदगी रहती है। अभेड़ा की तर्ज पर यहां भी आईलैंड विकसित किया जाना चाहिए। ताकि, ये पानी से बाहर निकले तो इन्हें बैठने के लिए जगह नसीब हो सके। विगत वर्षों में सौंदर्यीकरण कार्यों के दौरान भी यूआईटी अधिकारियों के समक्ष मामला उठाया था लेकिन सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में मगरमच्छों को धूप सेंकने के लिए नहर की दीवारों व तालाब में बनी छतरियों को ही अपनी ठौर बनानी पड़ती है।
-एएच जैदी, नेचर प्रमोटर
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