
अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी दबदबा कायम हैं ताइक्वांडो में कोटा की बेटियों का
शहर में इस समय लगभग 350 लड़कियां कर रही है अभ्यास, महिला खिलाड़ियों ने दिलवाएं है ताइक्वांडो में कई पदक
ताइक्वांडो से जुड़ी कोटा की बेटियां इस समय श्रीनाथपुरम स्टेडियम, नयापुरा स्टेडियम सहित एक-दो क्लबों में प्रतिदिन 1-2 घंटे प्रैक्टिस कर रही है। कोटा में ताइक्वांडो खेल पिछले 7 वर्षों से अधिक समय से चल रहा है कोटा में ताइक्वांडो खेलने वाली महिलाओं खिलाड़ियों की संख्या 400 से अधिक है।
कोटा। जिस खेल को लेकर कुछ लोगों की ये सोच है कि इसे केवल लड़कें ही खेल सकते हैं या बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। उस ताइक्वांडो खेल में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर ही नहीं बल्कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी कोटा की बेटियों का दबदबा कायम हैं। बड़ी बात तो ये है कि यहां पर इस खेल की ओर लड़कियों और उनके परिजनों का रूझान महज कुछ सालों पूर्व ही हुआ है। इसके बावजूद भी यहां की बेटियों ने अपनी मेहनत और लगन से इस खेल में अच्छा मुकाम हांसिल किया है। लेकिन विचारणीय बात तो ये है कि ताइक्वांडों खेल को खेलने वाली लड़कियों को सरकार की ओर से कोई सुविधा मुहैया नहीं करवाई गई है। इस समय शहर के कुछ क्लब और स्टेडियम में करीब 350 लड़कियां ताइक्वांडो का अभ्यास कर रही हैं। अब तक कोटा की महिला ताइक्वांडो खिलाड़ियों ने 3 अंतरराष्ट्रीय व 10 राष्ट्रीय और 150 से अधिक राज्य स्तर पर पदक जीते है।
ताइक्वांडो से जुड़ी कोटा की बेटियां इस समय श्रीनाथपुरम स्टेडियम, नयापुरा स्टेडियम सहित एक-दो क्लबों में प्रतिदिन 1-2 घंटे प्रैक्टिस कर रही है। कोटा में ताइक्वांडो खेल पिछले 7 वर्षों से अधिक समय से चल रहा है कोटा में ताइक्वांडो खेलने वाली महिलाओं खिलाड़ियों की संख्या 400 से अधिक है। ताइक्वांडो में कोटा की ज्योति हाडा 2016 से ताइक्वांडो खेल का अभ्यास कर रही है। जिसने 7 बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही 4 बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में व 1 बार राष्ट्रीय विश्वविद्यालय खेलों में भाग लिया है। इसके अलावा महज 6 या 7 साल की सानवी चौरसिया ने राज्य स्तर व जिला स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त किए हैं।
इनके अलावा गीतिका लोहामी ने दूसरी भारतीय ओपन इंटरनेशनल एबीसी 2019 में भागीदारी की। कोटा की यह खिलाड़ी भारत की महिला वर्ग अंडर-57 किलोग्राम की टॉप 8 महिला एथलीट में आती है। लोहामी ने एनआईएस ताइक्वांडो कोच का प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया है। यह खिलाड़ी पिछले 6 साल से ताइक्वांडो खेल का अभ्यास कर रही हैं। इनके अलावा भी कोटा की कई महिला खिलाड़ियों ने राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर अपना दबदबा साबित करते रहे हैं, और लड़कियों खिलाड़ियों द्वारा कई पदक हासिल किये हैं। अच्छी बात तो ये है कि ताइक्वांडों का अभ्यास करने वाली इन बेटियों को इनके माता-पिता का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। कई बच्चियों को अभ्यास के लिए खुद परिजन लाते-ले जाते हैं। इन लड़कियों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करने सहित प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए भेजने वाले कहते हैं कि कोटा की इन बेटियों ने इस बात को साबित कर दिया है कि आज हर खेल में लड़कियां लड़कों के बराबर प्रदर्शन करने में सक्षम हैं। ये लड़कियां बिना सरकारी सुविधाओं के भी हर स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास कर रही हैं। अगर इनको सरकार की ओर से अभ्यास के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाए तो ये कोटा की ये बेटियां ताइक्वांडो में ना केवल कोटा का बल्कि देश का नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखवाने की क्षमता रखती हैं।
इनका कहना हैं
ताइक्वांडो खिलाड़ियों के लिए सकारात्मक माहौल और राज्य सरकार के सहयोग की जरूरत है। अगर ऐसा माहौल बनता है तो हमारे कोच भी कोटा के खिलाडिय़ों को संवारने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं। स्थानीय ताइक्वांडो एसोसिएशन न केवल भारत से सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षकों को नियुक्तकरने का प्रयास करेगा बल्कि हमारे चयनित खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए उन्हें विदेशों से भी नियुक्त करेगा।
-मोहम्मद रईस, सचिव, ताइक्वांडो एसोसिएशन आॅफ कोटा।
शुरूआत से ही मुझे ताइक्वांडो पसंद है। मुझे किकिंग में रूचि है। कक्षा 8 से ही ताइक्वांडो का अभ्यास कर रही हूं। लगभग तीन घंटे तक अभ्यास करती हूं। पूरे परिवार वालों का सपोर्ट है। उसका कारण ये है कि घर के कई सदस्य किसी ना किसी रूप में किसी खेल से जुड़े हैं। अभ्यास का पढ़ाई पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
-गीतिका लोहोमी, ताइक्वांडो खिलाड़ी।
मैं तीन साल से ताइक्वांडो का अभ्यास कर रही हंू। रोजाना अकादमी में 2 घंटे प्रैक्टिस करती हंू। मम्मी या पापा में से कोई एक मेरे साथ जाते है। मुझे बेस्ट प्लेयर बनना है और देश के लिए खेलकर पदक लाना है।
-सानवी चौरसिया, ताइक्वांडो खिलाड़ी।
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