
खेल की दौड़ में फिसल रही हाड़ौती
सुविधाओं का अभाव
खेल विशेषज्ञों का कहना हैं कि हाड़ौती के खेलों में पिछड़ेपन के कारणों पर गौर करके यदि उनको दूर कर दिया जाए तो हम निकट भविष्य में बच्चों के लिए एक शानदार प्लेटफॉर्म तैयार कर सकते हैं।
कोटा। देशभर में कोटा का नाम कोचिंग नगरी के रूप में भले ही विख्यात हो चुका है लेकिन खेलों को लेकर देश तो दूर की बात हमारे कुछ खिलाड़ियों को छोड़कर शेष प्रदर्शन राज्य में भी सबसे निम्न स्तर पर है। इसकी एक बानगी अभी हाल ही में कोटा में आयोजित बॉस्केटबाल प्रतियोगिता में भी देखने को मिली है जब यहां की लड़कों की टीम पहले ही मैच में हारकर प्रतियोगिता से बाहर हो गई थी। इसी को लेकर खेल विशेषज्ञों और कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने चिंता जताते हुए कहा हैं कि जितनी जनसंख्या हाड़ौती की है उसके हिसाब से हमारे यहां से खिलाड़ी नहीं निकल पा रहे हैं। जिला एथलेटिक्स संघ के सचिव राकेश शर्मा का इस बारे में कहना है कि कोटा जिले का खेलों के मामले में पिछड़ने के कई कारण हैं। केवल सरकारी सुविधाओं और संसाधनों का अभाव ही इसके लिए जिम्मेदार नहीं है बल्कि यहां के अभिभावकों की खेल के क्षेत्र में जागरुकता नही हैं। यहां अभिभावक अपने बच्चों को डाक्टर या इंजीनियर बनते देखना चाहता है और इसके लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार रहता है लेकिन खेल को लेकर उनमें रूचि ही नहीं है। जितनी मेहनत एक बच्चा डाक्टर या इंजीनियर बनने के लिए करता है, उतनी ही मेहनत एक बच्चा खेल को लेकर भी करें तो वो ना केवल अपना मानसिक और शारीरिक विकास ही नहीं करेगा बल्कि स्वयं के साथ शहर और देश का नाम रोशन करने की ताकत भी रख पाएगा। खेल विशेषज्ञों का कहना हैं कि हाड़ौती के खेलों में पिछड़ेपन के कारणों पर गौर करके यदि उनको दूर कर दिया जाए तो हम निकट भविष्य में बच्चों के लिए एक शानदार प्लेटफॉर्म तैयार कर सकते हैं। इन कारणों को दूर करने के बाद हाड़ौती की खेल प्रतिभाएं देश विदेश में अपनी सफलता का परचम फहरा सकती है। ये लोग बताते हैं कि सुविधाओं की बात हो तो हाड़ौती का जिला मुख्यालय कोटा तक खेलों को लेकर कई सुविधाओं का मोहताज है। अभी जिले में और भी स्टेडियम बनाने की आवश्यकता है।
वर्तमान सरकार ने भी खेलों के लिए सुविधाएं मुहैया करवाई हैं परन्तु उनके बड़े और व्यापक स्तर पर करवाना आवश्यक है। तभी हम कोटा व हाड़ौती के खिलाड़ियों को राष्टÑीय और अन्तरराष्टÑीय पटल पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए देख पाएंगे। जानकारों का कहना है कि जब तक सभी जिला मुख्यालयों पर प्रत्येक खेल के लिए स्टेडियम का निर्माण नहीं होगा व ग्रामीण स्तर पर कम से कम पंचायत स्तर पर ग्राउंड नहीं होंगे तब तक हाड़ौती के खिलाड़ियों से राष्टÑीय स्तर पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं की जा सकती है। राज्य सरकार को चाहिए कि स्कूल स्तर पर भी खेलों को अनिवार्य रूप से लागू करें और खेलों की योजनाओं को कागजों से निकालकर जमीनी स्तर तक पहुंचाए।
हाड़ौती में खलों के पिछड़ने के ये है कारण
- जनसंख्या के अनुपात में खेल मैदान का अभाव।
- जागरुकता का अभाव।
- अभ्यास के लिए कई महत्वपूर्ण उपकरणों की अनउपलब्धता।
- छोटे बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण का अभाव।
- यहां के खिलाड़ियों को तकनीकी प्रशिक्षण का अभाव।
- हाड़ौती में राष्टÑीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं के आयोजनों का अभाव।
इनका कहना हैं
हाड़ौती में खिलाड़ियों का अच्छा विकास हो रहा है। हॉकी में एस्ट्रोटर्फ की आवश्यकता है वो भी बन जाए तो ठीक रहे। जनंसख्या के हिसाब से तो बच्चे खेल मैदान तक ही नहीं पहुंचते हैं। हाड़ौती की जनसंख्या का एक प्रतिशत हिस्सा भी ग्राउंड तक नहीं पहुंचता है। बच्चों के माता-पिता उनको जब तक मैदान पर भेजेंगे ही नहीं तो वे खेलों के बारे में कैसे जानेंगे।
- अजीज पठान, जिला खेल अधिकारी, कोटा।
हाडाÞैती के खिलाड़ियों को सुविधाओं का अभाव है। अभ्यास के लिए पर्याप्त उपकरण ही नहीं है। स्टेडियम तो यहां बना दिया गया है लेकिन वहां सुविधाओं का होना भी तो आवश्यक है। हाड़ौती के कई ग्रामीण मैदानों में तो खिलाड़ियों को पीने के पानी तक की सुविधा नहीं है।
- धर्मेश सिनोर, संयुक्त सचिव जिला एथलेटिक्स संघ, कोटा
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