Parliament Special Session: 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के मौके पर होगा नई संसद में कार्यवाही का श्रीगणेश
नई संसद में लोकसभा में 888 सासंदों और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है
19 सितंबर को गणेश चतुर्थी भी है। इसी दिन नई संसद में कार्यवाही का श्रीगणेश होगा। नई संसद का उद्घाटन पीएम मोदी ने 28 मई 2023 को किया था।
केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र की शुरुआत 18 सितंबर को पुराने संसद भवन में ही होगी। लेकिन चर्चा है कि अगले दिन से यानी 19 सितंबर से सदन की कार्यवाही नई संसद में की जाएगी। संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से 22 सितंबर तक चलेगा। 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी भी है। इसी दिन नई संसद में कार्यवाही का श्रीगणेश होगा। नई संसद का उद्घाटन पीएम मोदी ने 28 मई 2023 को किया था।
देशभर में चर्चा है कि विशेष सत्र में केंद्र सरकार कई बड़े और चौंकाने वाले फैसले ले सकती है। सरकार महिला आरक्षण विधेयक, एक देश एक चुनाव विधेयक और समान नागरिक संहिता विधेयक को संसद में पेश कर सकती है। भारत और इंडिया के विवाद के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि देश का नाम केवल भारत रखने वाला कोई विधेयक भी लाया जा सकता है।
नई संसद की क्या है खासियत
नई संसद में लोकसभा में 888 सासंदों और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। पुरानी संसद में लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 250 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है। नई संसद में कई अत्याधुनिक सुविधाएं है। इसमें प्रवेश के लिए तीन द्वारों को ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार एवं कर्म द्वार नाम दिए गए हैं।
नई संसद में इमारती लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से, लाल और सफेद संगमरमर राजस्थान से लगाए गए हैं। इसमें उदयपुर से लाए गए हरे पत्थर लगे हैं। इसके अलावा लाल ग्रेनाइट अजमेर के लाखा की है। कुछ सफेद संगमरमर राजस्थान में ही अंबा जी से लाकर लगाया गया है। इसमें हवा की गुणवत्ता के लिए अल्ट्रावायलेट लैम्प जैसी सुविधाएं हैं। आर्द्रता नियंत्रण के लिए अल्ट्रासोनिक ह्यूमिडी फायर काम करेगा। बता दें कि पीएम मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नई संसद का शिलान्यास किया था।
65 हजार मजदूरों ने बनाई नई संसद
नई संसद को बनाने में करीब 65 हजार मजदूरों का श्रम लगा था। नई संसद को करीब 64500 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनाया गया है। जो भूतल से चार मंजिला है। नए संसद भवन में करीब 1700 खिड़कियां हैं। इसे पूरी तरह से भूकंपरोधी बनाया गया है। इस भवन का जीवनकाल करीब 150 वर्ष आंका गया है। इस 20 हजार करोड़ रुपये की लागत वाले प्रोजेक्ट का नाम सेंट्रल विस्टा परियोजना था।
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