सतरंगी सियासत

विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए की एकता को लेकर संदेह पहले दिन से ही जताया गया

सतरंगी सियासत

पाक इन दिनों भारत और सउदी अरब की बढ़ती निकटता से बेहद परेशान। बदलते समय के साथ दोनों देशों के बीच बात अब मजहबी नहीं बल्कि कारोबारी।

जी- 20 का हासिल...  
जी- 20 का सफलतापूर्वक आयोजन करके भारत ने मानो महफिल लूट ली। अगुवा बने पीएम मोदी। चारों ओर से उनके नेतृत्व की प्रशंसा हो रही। इसकी तैयारियों में चार हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होने की बात की जा रही। अब सवाल यह कि इससे भारत को हासिल क्या हुआ? सबसे पहले तो यही कि भारत को जी- 20 की अगुवाई एक तय क्रम एवं परंपरा के अनुसार मिली। फिर पीएम मोदी की अगुवाई में जी- 20 में अफ्रीकन यूनियन का शामिल होना, एक महत्वपूर्ण कदम रहा। पहले ही दिन सर्वसम्मति से दिल्ली डिक्लेरेशन पर सभी सदस्य देशों द्वारा सहमति जताया जाना। इसके अलावा एक और दूरगामी कदम एवं सहमति। भारत से शुरू होकर खाड़ी देशों से लेकर यूरोप तक एक बिजनेस कोरिडोर का संकल्प। इसकी भी खासी चर्चा। यह एक तरह से चीन को भी जवाब माना जा रहा।

कयास.. अटकलें...
संसद के विशेष सत्र को लेकर अभी भी कयास एवं अटकलों का दौर खत्म नहीं हुआ। कई अनुमान। एक, पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर कोई निर्णय होने की बात। यह सब तो सही। लेकिन कोई भी गारंटी के साथ कुछ नहीं कह सकता। हां, यह सभी को विश्वास। कुछ तो मोदी के पिटारे से नया निकलेगा। जिसका अनुमान कोई नहीं लगा पा रहा। हां, विपक्ष सत्र के एजेंडे को लेकर मोदी सरकार को घेर रहा। हालांकि सरकार ने एजेंडा सार्वजनिक कर दिया। लेकिन जो होना बताया जा रहा। उस पर विपक्ष को विश्वास नहीं। फिर सत्र के दौरान जी- 20 के सफल आयोजन और चंद्रया- 3 की सफलता का जिक्र होना तय। फिर सूर्ययान अभियान कैसे पीछे रहेगा। सो, उसकी भी चर्चा होगी ही। बाकी महिला आरक्षण, ‘एक देश-एक चुनाव’ और एससी-एसटी एवं ओबीसी के आरक्षण को लेकर भी प्रस्ताव या संकल्प संभव!

भारत-सउदी की दोस्ती!
पाक इन दिनों भारत और सउदी अरब की बढ़ती निकटता से बेहद परेशान। बदलते समय के साथ दोनों देशों के बीच बात अब मजहबी नहीं बल्कि कारोबारी। इस बार गजब तो यह हुआ कि सउदी अरब के किंग सलमान भारत से उड़कर पाकिस्तान में नहीं उतरकर सीधे रियाद पहुंच गए। पाक यह बदलाव देखता ही रह गया। असल में, सउदी अरब समझ रहा। एक दिन दुनिया तेल का विकल्प तलाश ही लेगी। फिर सउदी अरब का क्या होगा? सिर्फ  मजहबी पर्यटन से तो काम चलने से रहा। सो, अभी से विकल्प के तौर पर अपनी अर्थव्यवस्था और बाजार खोल रहा। फिर सउदी अरब यह अच्छे से जानता। भारत में करोड़ों की संख्या में मिडिल क्लास। जिसमें खरीददारी की असीम ताकत। सो, वहां के शासक अब उदारवाद एवं खुलेपन के रास्ते पर। इसीलिए उसे पाक को उसके हाल ही छोड़ना श्रेयकर लग रहा!

बढ़ता कद...
जी- 20 के सफल आयोजन के बाद पीएम मोदी का विश्व फलक पर कद बढ़ सा गया। लगातार इस तरह की मीडिया में सर्वे एवं खबरें आ रहीं। यह सभी स्वीकार कर रहे। भारत अब ग्लोबल साउथ का लीडर। चीन की हनक और धौंस लगातार कम हो रही। रही सही कसर शी जिनपिंग ने जी- 20 सम्मेलन में भाग नहीं लेकर पूरी कर दी। पीएम मोदी की कूटनीति की हर ओर तारीफ  हो रही। उन्होंने सभी आलोचकों को अपनी योजना एवं रणनीति का लौहा मनवा दिया। बात चाहे अमरीका की हो या यूरोप की। जो बाइडेन तो तुरंत नई दिल्ली उतरते ही पीएम आवास पहुंच गए। फिर लंबा चौड़ा सा बयान भी आया। यहां तक कि सउदी अरब के किंग एमबीएस तो जी- 20 के अगले दिन भी दिल्ली में पीएम मोदी से वार्ता के लिए रूके। यह मोदी की कार्यशैली का असर!

गुगली!
नरेन्द्र मोदी मानो ऐसा करने जा रहे। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। इसीलिए जानकार समझ रहे कि मोदी की नजर कहां! एक निमंत्रण पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसमें देश के राष्ट्रपति की ओर से जी- 20 में विदेशी अतिथियों को रात्रिभोज का आमंत्रण दिया गया। जिसमें निवेदक के रूप में ‘प्रेसीडेंट आॅफ  इंडिया’ नहीं होकर ‘प्रेसीडेंट ऑफ  भारत’ लिखा गया। ऐसे में बवाल होना लाजमी। जिस तरह से विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए का शोर। उससे निपटने के लिए मोदी की योजना का कुछ अंदाजा लगाया जा रहा। सो, ‘इंडिया’ के बजाए अब देश का नाम ‘भारत’ लिखने पर जोर। फिर नाम बदलने की योजना को मूर्तिरुप दिया गया। तो इसे संसद से मंजूरी मिलना जरूरी। जिसमें कई पेंच बताए जा रहे। विपक्षी दल संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने को इससे भी जोड़कर देख रहे! क्या अब यह पीएम मोदी की गुगली?

कितनी एकता?
विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए की एकता को लेकर संदेह पहले दिन से ही जताया गया। खासकर सीट बंटवारे के मामले में पश्चिम बंगाल, केरल, पंजाब एवं दिल्ली को लेकर खासी चर्चा। फिर जिस नेता ने इस मुहिम की शुरूआत की। वह नीतीश कुमार जी- 20 नेताओं को राष्ट्रपति द्वारा दिए गए भोज में शामिल हुए। क्योंकि नीतीश का भाजपा से मिलने एवं गठबंधन तोड़ने का अनूठा रिकार्ड। हालांकि राष्ट्रपति के इस भोज में झारखंड और कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश के सीएम भी शामिल हुए। जबकि विपक्ष शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इससे दूरी बनाई। इसके बाद आईएनडीआईए की समन्वय समिति की बैठक हुई नई दिल्ली में शरद पवार के अवास पर। जिन पर अभी भी कई घटक दलों को विश्वास नहीं। यानी पवार की साख पर सवाल। जो उनकी एनसीपी तोड़ने वाले भतीजे अजित पवार से लगातार अकेले में मिल रहे। सो, एकता कितनी?

-दिल्ली डेस्क
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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