अभी दशहरा मेले में सर्कस को लेकर असमंजस
दशहरा मेले में आकर्षण बढ़ाने वाले कार्यक्रम तक तय नहीं : 5 अक्टूबर को हो सकती है मेला समिति की बैठक
निगम सूत्रों के अनुसार मेला समिति की बैठक 5 अक्टूृबर को हो सकती है।
कोटा। नगर निगम की ओर से आयोजित होने वाले 130 वें राष्ट्रीय दशहरा मेले के शुभारम्भ का काउन डाउन शुरू हो गया है। अभी तक मेले में आकर्षण का केन्द्र सर्कस तक आने पर असमंजस बना हुआ है। हालांकि 5 अक्टूबर को प्रस्तावित मेला समिति की बैठक में मेले के कार्यक्रमों पर चर्चा होने की संभावना है। दशहरा मेले का शुभारम्भ 15 अक्टूबर को नवरात्र स्थापना से होगा। जबकि दशहरा मेला 24 अक्टूबर को है। अभी तक तो मेला समिति की बैठक तक नहीं हो सकी है। जिससे मेले के कार्यक्रमों को तय किया जा सके। मेले को किस तरह से भव्य बनाया जाएगा इसकी रूपरेखा भी तय नहीं है। मेले में दुकानों के आवंटन से लेकर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम तक तय नहीं हुए हैं। जबकि मेले के दौरान राजस्थानी व अखिल भारीय कवि सम्मेलन, मुशायरा, फिल्मी नाइट, पंजाबी कार्यक्रम, कव्वाली, भोजपुरी समेत कई बड़े कार्यक्रम भी होते हैं। जिनमें कौन से कलाकार व कवि आएंगे वह भी तय नहीं है। जबकि उन्हें बुलाने के लिए इवेंट कम्पनियों से सम्पर्क करना और उनकी टेंडर प्रक्रिया में भी समय लगेगा।
सूत्रों के अनुसार कलााकार व कार्यक्रम तय करने में जितनी देर होगी बाद में जल्दबाजी में न तो मनपसंद व अच्छे कलाकार उपलब्ध हो सकेंगे। क्योंकि कलाकारों के बुकिंग काफी समय पहले ही एडवानस में हो जाती है। यदि कोई उपलब्ध होगा भी तो उसके लिए मनमाना बजट खर्च करना पड़ेगा। सूत्रों के अनुसार सर्कस जैसे बड़े आयोजन के लिए टेंडर प्रक्रिया में भी समय लगेगा। साथ ही सर्कस आने में भी समय लगता है। ऐसे में उसे तय करने में जितनी देर होेगी उतनी उसके आने की संभावना कम होती जाएगी।
निगम सूत्रों के अनुसार मेला समिति की बैठक 5 अक्टूृबर को हो सकती है। जिसमें मेले के कार्यक्रम व अन्य आयोजनों पर चर्चा कर फाइनल किया जा सकता है। उसके बाद आचार संहिता लगने पर मेला समिति का मेले के आयोजन में दखल समाप्त हो जाएगा। आचार संहिता के बाद अधिकारी ही मेले का आयोजन करेंगे। मेले की तैयारी में जितनी देर होगी आचार संहिता के बाद तैयारी में समय कम रहने से किसी भी तरह की कमी का ठीकरा अधिकारियों पर ही फूटेगा।
सूत्रों के अनुसार नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण में पुराने अधिकारी भी नहीं है। दोनों निगमों के अधिकतर अधिकारी पहली बार मेला भरवाएगी। सिर्फ कर्मचारी ही पुराने हैं। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि अभी तक उनके पास मेले से संबंधित किसी भी काम की कोई जानकारी व आदेश नहीं है। वहीं अभी तो नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण में मेले के बजट को लेकर भी विवाद बना हुआ है। मेले का बजट उत्तर खर्च करेगा या दक्षिण निगम। कोटा उत्तर निगम इस बार पूरा मेला अपने हाथ में रखना चाहता है। जबकि कोटा दक्षिण निगम के पार्षदों का कहना है कि मेला कोटा दक्षिण का है। इधर मेला समिति की अध्यक्ष मंजू मेहरा का कहना है कि शीघ्र ही मेला समिति की बैठक की जाएगी। जिसमें अधिकतर विषयों पर समिति सदस्यों व अधिकारियों से चर्चा की जाएगी।
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