बरसात में पार्कों में पानी भरा, दौड़ रहा खतरा

बड़ी घास और खुली पड़ी बिजली की डीपी

बरसात में पार्कों में पानी भरा, दौड़ रहा खतरा

शहर के अधिकतर क्षेत्रों के पार्कों की हालत ऐसी हो रही है कि वहां इन दिनों जाना खतरे से खाली नहीं है।

कोटा। बरसात के सीजन और सावन के महीने में जहां पार्कों में महिलाओं और बच्चों का आवागमन अधिक होता है। वहां इन  बड़ी-बड़ी घास, खुली पड़ी बिजली की डीपी और बरसाती पानी में करंट का खतरा दौड़ रहा है। बरसात के सीजन में अधिकतर लोग परिवार समेत मोहल्ले के पार्कों और बड़े गार्डन में घूमने व पिकनिक मनाने के लिए जाते हैं। कई लोग तो घर से खाना बनाकर ले जाते हैं और वहां घूमने के बाद खाना खाकर पिकनिक का आनंद लेते हैं। जबकि सावन के महीने में महिलाएं पार्कों में झूला झूलने, पूजन करने और हरियाली का आनंद लेनी जाती हैं। लेकिन हालत यह है कि शहर के अधिकतर क्षेत्रों के पार्कों की हालत ऐसी हो रही है कि वहां इन दिनों जाना खतरे से खाली नहीं है। 

बड़ी घास में कीड़े काटे का डर
शहर के हर क्षेत्र में मोहल्लों में छोटे-छोटे पार्क बने हुए हैं। जिनमें झूले भी लगे हुए हैं। बैठने की बैंच हैं तो हरियाली के लिए घास लगी हुई है। नगर निगम की ओर से हर बार बरसात से पहले घास को कटवाया जाता है। लेकिन इस बार कई पार्कों में घास नहीं कटवाने से वह काफी बड़ी हो गई है। घास भी इतनी बड़ी है कि वहां बैठना तो दूर खड़े रहना ही मुश्किल है। साथ ही बड़ी घास में कीड़े काटों का डर रहता है। शहर में सांप व जहरीले काटने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। बरसाती पानी और खुली डीपी से करंट का खतरा: मोहल्लों के पार्कों में रोशनी के लिए लाइटें लगाई गई है। लेकिन उन लाइटों की डीपी खुली पड़ी हैं। उनके तार जमीन पर पड़े हैं। जिससे बरसात  के पानी में खुले तार पड़े होने से करंट का खतरा बना हुआ है। पार्क में घूमने जाने वाली महिलाओं व बच्चों के लिए यह अधिक खतरा है। 

सभी जगह के पार्कों के यही हाल
पार्क चाहे विज्ञान नगर का हो या नयापुरा का। दादाबाड़ी का हो या वल्लभ नगर का। महावीर नगर विसतार योजना का हो या सुभाष नगर का। सभी जगह के अधिकतर पार्कों के यही हाल है।  नगर निगम कोटा दक्षिण में 80 वार्ड हैं। हर वार्ड में कम से कम 4 से 5 पार्क हैं। इस तरह से दक्षिण क्षेत्र में ही 300 से अधिक छोटे-बड़े पार्क हैं। जिनमें से अधिकतर में बड़ी घास, खुली डीपी व बरसात का गंदा पानी परेशानी के साथ ही खतरा भी बने हुए हैं। 

फव्वारों में गंदा पानी, पनप रहे मच्छर
अधिकतर पार्कों में फव्वारे तो लगे हुए हैं लेकिन उनमें से कुछ ही चल रहे हैं। अधिकतर फव्वारे बंद पड़े हैं। उन बंद फव्वारों का पानी दुर्गंध मारने लगा है। उनमें मच्छर पनप रहे हैं। जिससे वहां जाने वालों के लिए यह गंदा पानी बीमारी का खतरा बने हुए हैं। 

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निगम को समय पर देना चाहिए ध्यान
बसंत विहार निवासी पिंकी झमटानी का कहना है कि पार्क में लोग सुबह-शाम सैर के लिए जाते हैं। जिससे हवां उन्हें ताजी हवा मिल सके। सावन के महीने में महिलाएं झूला झूलने व पूजन के लिए भी पार्क में जाती हैं। लेकिन पार्कों में बड़ी घास व खुली डीपी के रूप में खतरा बना हुआ है। निगम को समय से पहले घास को कटवाने व डीपी को सही करवाने का काम करना चाहिए था। वल्लभ नगर निवासी सुनीता गर्ग का कहना है कि मोहल्लों में छोटे-छोटे पार्क हैं। यदि नगर निगम उनकी ही देखभाल सही ढंग से नहीं कर सकता तो फिर क्या फायदा। बरसात में पार्कों में घास बढ़ जाती है। उसे कटवाने की व्यवस्था निगम को करनी चाहिए। इधर नगर निगम कोटा दक्षिण के भाजपा पार्षद सुरेन्द्र राठौर का कहना है कि उनके वार्ड में 7 पार्क  हैं। जिनमें से एक दो पार्क  में घास बड़ी हुई है। उन्हें कटवाने के लिए निगम में अधिकारियों को अवगत कराया हुआ है। 

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इनका कहना है
नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में करीब 300 से अधिक पार्क हैं। जिनमें घास कटाई का ठेका दिया है। हर 8 से 10 वार्ड के बीच एक संवेदक व घास कटाई की मशीन है। संवेदक को लेबर भी दी हुई है। वह समय-समय पर पार्कों में घास कटाई करते हैं। हालांकि बरसात में घास तेजी से बढ़ती है। साथ ही बरसात का पानी भरने पर घास की कटाई नहीं हो पाती। मशीन बिजलीे से चलने पर उसके करंट का खतरा रहता है। ऐसे में जहां पानी भरा हुआ है वहां उसके सूखने पर ही घास की कटाई की जाएगी। बिजली अनुभाग से कहकर खुले तारों को भी सही करवाया जाएगा। 
- ए.क्यू कुरैशी, एक्सईएन नगर निगम कोटा दक्षिण 

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