कैंसर पीड़ित महिलाओं के इलाज को बेहतर बनाने की जरूरत
भारत में महिलाओं के कैंसर के इलाज तथा रोकथाम में आने वाली इन सभी चुनौतियों को दूर करने और कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक जन शिक्षा अभियानों का आयोजन करना बहुत जरूरी है।
हाल ही में लैंसेट पत्रिका में महिला, शक्ति और कैंसर नामक शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति सामाजिक उदासीनता ने कैंसर की रोकथाम तक उनकी पहुंच में देरी की है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कैंसर देखभाल में किस प्रकार लैंगिक असमानता बाधा बनती है। दुनियाभर में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार कैंसर के मामलों में देखा गया है कि पुरुषों में कैंसर का खतरा अधिक होने के बावजूद, महिलाओं में कैंसर की घटनाएं और इससे संबंधित मृत्यु उच्च दर की है। वैश्विक स्तर पर महिलाओं में नए कैंसर के मामले लगभग 48 प्रतिशत हैं और कैंसर से होने वाली मौतें लगभग 44 प्रतिशत हैं। इस रिपोर्ट में भारतीय महिलाओं में कैंसर की रोकथाम और इलाज की स्थिति का विश्लेषण किया गया है। लैंसेट के इस अध्ययन के अनुसार एशिया में कैंसर से महिलाओं की मौतों के मामलों में भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या सबसे अधिक है। यह एक गंभीर और चिंताजनक स्थिति है? और इसके हल के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है। भारत में महिलाओं में कैंसर के पांच सबसे आम प्रकार पाए जाते हैं- जिनमें स्तन कैंसर, फेफड़े का कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर (सर्वाइकल कैंसर), गर्भाशय कैंसर (एंडोमेट्रियल कैंसर) और त्वचा कैंसर शामिल हैं। भारत में महिलाओं में कैंसर की रोकथाम और इलाज से संबंधित कई चुनौतियां हैं। जैसे कैंसर के बारे में जागरूकता की कमी, प्रारंभिक निदान में देरी, इलाज तक पहुंच की कमी तथा लिंग आधारित भेदभाव आदि। दरअसल भारत में कई महिलाओं को कैंसर के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती। वे कैंसर के लक्षणों और जोखिम कारकों के बारे में भी नहीं जानतीं। इसके अलावा कई महिलाओं को कैंसर का पता देरी से चल पाता है। इसका कारण यह है कि वे कैंसर के लक्षणों को नजरअंदाज कर देती हैं या उन्हें अन्य बीमारियों के रूप में समझती हैं। भारत में कैंसर के इलाज के लिए प्रशिक्षित डॉक्टरों और अस्पतालों की कमी होने की वजह से, कैंसर का इलाज कराने में लागत बहुत अधिक आती है। इसलिए भारत में गरीब वर्ग की महिलाओं के लिए इलाज तक पहुंच की कमी है। भारत में कई महिलाओं को कैंसर के इलाज के दौरान लिंग आधारित भेदभाव का भी सामना करना पड़ता है। अक्सर उन्हें इलाज के दौरान डॉक्टरों द्वारा कम गंभीरता से लिया जाता है और उनकी आवश्यक देखभाल जिस प्रकार होनी चाहिए, वह नहीं हो पाती। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में महिलाओं के सीमित ज्ञान, वित्तीय संसाधनों की कमी और स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण महिलाओं को समय पर इलाज नहीं मिल पाता, जिससे कैंसर के कारण उनकी मृत्यु तक हो जाती है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के किसी भी हिस्से में रहने वाली और समाज के किसी भी तबके से आने वाली महिलाओं में पुरुषों की तुलना में जानकारी और निर्णय लेने की क्षमता कम हो सकती है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में कैंसर देखभाल के क्षेत्र में नेतृत्व के पदों पर महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व होना लैंगिक भेदभाव और उत्पीड़न का कारण बनता है। साथ ही आर्थिक रूप से वंचित क्षेत्रों में महिलाओं के उपचार को प्राथमिकता नहीं दी जाती। उदाहरण के लिए महिला व पुरुष दोनों ही समान रूप से तंबाकू से होने वाले कैंसर से प्रभावित होते हैं, लेकिन इसके उपचार में महिलाओं के इलाज पर कम ध्यान दिया जाता है, जबकि पुरुषों को अधिक प्राथमिकता दी जाती है। कुछ अन्य सामाजिक कारण भी हैं, जो महिलाओं के इलाज में बाधक बनते हैं। जैसे स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर महिलाओं में सबसे आम है, लेकिन भारत में कई महिलाएं समाज में शर्म के कारण और सामाजिक कलंक के डर से इनका इलाज कराने से झिझकती हैं। पुरुष डॉक्टरों से इलाज कराने में और महिला डॉक्टरों के पास जाने में भी कई महिलाओं को संकोच का अनुभव होता है। जिसकी वजह से अक्सर इलाज में देरी होती है। इसके अलावा जांच और इलाज करवाने के लिए उन्हें घर से दूर अस्पतालों में जाना पड़ता है। इन सभी दिक्कतों की वजह से भी जांच और उपचार में लापरवाही बरती जाती है।
भारत में महिलाओं के कैंसर के इलाज तथा रोकथाम में आने वाली इन सभी चुनौतियों को दूर करने और कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक जन शिक्षा अभियानों का आयोजन करना बहुत जरूरी है। इन अभियानों में कैंसर के लक्षणों, जोखिम कारकों और रोकथाम के उपायों के बारे में समुचित जानकारी दी जानी चाहिए। प्रारंभिक निदान के लिए नियमित स्क्रीनिंग कार्यक्रमों को लागू करना आवश्यक है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को कैंसर का पता जल्दी लग पाने में मदद मिलेगी, जिससे वे समय रहते अपना इलाज करवा सकेंगी। समाज के सभी वर्गों की महिलाओं की इलाज तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार करना भी जरूरी है। सरकार को कैंसर के इलाज के लिए प्रशिक्षित डॉक्टरों और अस्पतालों की संख्या बढ़ानी चाहिए। लैंगिक भेदभाव को दूर करने के लिए कानून और नीतियों को मजबूत करना जरूरी है। कैंसर के इलाज के मामले में महिलाओं को समान अधिकार और पहुंच प्रदान करने के लिए भी सरकार को कानून और नीतियां बनानी चाहिए।
-रंजना मिश्रा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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