
‘जजों की नियुक्ति भी अपनी पसंद-नापसंद से कर रही सरकार, ये अच्छे संकेत नहीं’
कॉलेजियम की सिफारिशों पर की जा रही देरी पर केंद्र को फटकार
हमने सरकार को पहले भी इसके लिए आगाह किया : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम की सिफारिशों पर जजों की नियुक्ति में केंद्र सरकार की ओर से की जा रही देरी के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर भी सरकार अपनी पसंद नापसंद के मुताबिक कर रही है। ये अच्छे संकेत नहीं हैं। मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमने सरकार को पहले भी इसके लिए आगाह किया है। बावजूद इसके अभी भी दिल्ली, इलाहाबाद, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट में जजों के तबादले की सिफारिश केंद्र सरकार के पास लंबित है। इन पर सरकार ने कुछ भी नहीं किया।
चुनावों के कारण हुई देरी: सरकार
इस पर अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि विधानसभा चुनावों में व्यस्तता की वजह से फाइलों पर कार्रवाई नहीं हो सकी। जजों के ट्रांसफर को लंबित रखने की सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं थी। हमने सरकार को इस मुद्दे पर सूचित कर रखा है।
तमिलनाडु के राज्यपाल तीन साल से क्या कर रहे थे: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने विधेयकों पर फैसला लेने के मामले में तमिलनाडु के राज्यपाल की ओर से देरी पर सोमवार को सवाल किया कि वह तीन साल से क्या कर रहे थे। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से पूछा कि राज्यपाल को संबंधित पक्षों के उच्चतम न्यायालय जाने का इंतजार क्यों करना चाहिए? राज्यपाल तीन साल तक क्या कर रहे थे। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने 10 नवंबर, 2023 को आदेश पारित किया था, जबकि ये विधेयक जनवरी 2020 से लंबित हैं। इसका मतलब है कि राज्यपाल ने अदालत द्वारा नोटिस जारी करने के बाद फैसला लिया।
हम जानते हैं क्यों लटकाए नाम: जस्टिस कौल
जस्टिस कौल ने कहा कि पिछली बार हमने जो नाम भेजे थे उनमें से आठ नाम अब तक लंबित हैं। हमें पता है वो नाम क्यों लटकाए गए हैं। आधे से ज्यादा नाम सरकार ने क्लियर नहीं किए। उन्होंने कहा कि हमें सरकार की चिंता भी मालूम है।
पसंद के आधार पर कार्रवाई से जजों की वरिष्ठता क्रम पर असर
जस्टिस कौल ने कहा कि हमने अलग-अलग हाईकोर्ट्स में से 14 जजों की नियुक्ति की सिफारिश की है लेकिन सिर्फ गौहाटी हाईकोर्ट में ही नियुक्ति की गई। सरकार की इस तरह से नियुक्ति और स्थानांतरण में पसंद के आधार पर कार्रवाई करने से जजों की वरिष्ठता क्रम पर असर पड़ता है। इसकी वजह से वकील जज बनने के लिए अपनी स्वीकृति वरिष्ठता के लिए ही नहीं देते हैं। जब इसकी सुरक्षा ही नहीं होगी तो वो क्यों जज बनने को राजी होंगे।
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