फेड के ब्याज दर में कटौती की संभावनाओं पर रहेगी बाजार की नजर
उच्च मांग और अनुकूल आय परिदृश्य के कारण भारतीय ऑटो क्षेत्र के लिए बीता सप्ताह मजबूत रहा
बैंकिंग क्षेत्र में भारी लिवाली ने सेंसेक्स और निफ्टी को नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ने में मदद की, जिससे ऊंचे मूल्यांकन और उच्च विनिमय मार्जिन जरूरतों पर चिंताओं के कारण बीते सप्ताह कारोबार की धीमी शुरुआत हुई।
मुंबई। अमेरिका में खुदरा बिक्री में भारी गिरावट आने से जून में ब्याज दरों में कटौती होने की संभावना बढ़ने से विश्व बाजार में आई तेजी से उत्साहित निवेशकों की स्थानीय स्तर पर हुई मजबूत लिवाली की बदौलत बीते सप्ताह एक प्रतिशत से अधिक चढ़े घरेलू शेयर बाजार की अगले सप्ताह नीतिगत दरों को लेकर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के रुख पर नजर रहेगी।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 831.15 अंक अर्थात 1.2 प्रतिशत की छलांग लगाकर सप्ताहांत पर 72 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार 7242664 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 258.2 अंक यानी 1.2 प्रतिशत उछलकर 22 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से ऊपर 22040.70 अंक पर पहुंच गया।
समीक्षाधीन सप्ताह में दिग्गज कंपनियों की तरह बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों में भी तेजी का रुख रहा। इससे मिडकैप 360.51 अंक अर्थात 0.9 प्रतिशत की मजबूती के साथ 39930.08 अंक हो गया। हालांकि स्मॉलकैप में लिवाली की रफ्तार धीमी रही और वह महज नौ अंक बढ़कर 45659.30 अंक पर रहा।
विश्लेषकों के अनुसार, बैंकिंग क्षेत्र में भारी लिवाली ने सेंसेक्स और निफ्टी को नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ने में मदद की, जिससे ऊंचे मूल्यांकन और उच्च विनिमय मार्जिन जरूरतों पर चिंताओं के कारण बीते सप्ताह कारोबार की धीमी शुरुआत हुई। अन्य एशियाई बाजारों के विपरीत अमेरिका के अपेक्षा से कमजोर महंगाई आंकड़ों से उत्साहित सूचकांकों ने अपनी तेजी जारी रखी। अमेरिका में खुदरा बिक्री में गिरावट के कारण फेड रिजर्व के ब्याज दर में कटौती की निवेशकों की उम्मीदों को बल मिला। इसके अलावा यूरोजोन में अवस्फीति की प्रवृत्ति और नए साल की छुट्टियों के बाद चीन में खपत बढऩे की उम्मीद ने बाजार को और समर्थन प्रदान दिया।
उम्मीद के अनुरूप उच्च मांग और अनुकूल आय परिदृश्य के कारण भारतीय ऑटो क्षेत्र के लिए बीता सप्ताह मजबूत रहा। संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार और राजकोषीय समझदारी पर सरकार के फोकस से लाभान्वित होकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। दिग्गज कंपनियों में तेजी आई लेकिन मूल्यांकन में अंतर के कारण मिड और स्मॉलकैप में मुनाफावसूली का दबाव रहा।
वित्तीय सलाहकार कंपनी जीओजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने बताया, ''उच्च मूल्यांकन जोखिमों के कारण अगले सप्ताह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में करेक्शन की संभावना है। इस बीच धातु, एफएमसीजी और कैपिटल गुड्स जैसे क्षेत्रों में मजबूत निर्माण मांग, ऑर्डर बैकलॉग, ग्रामीण पुनरुद्धार की संभावनाओं और भारत के कम होते व्यापार घाटे के कारण गति बढ़ने की उम्मीद है। इसे जिंसों की कीमतों में नरमी और सरकार के नेतृत्व वाली विनिर्माण पहलों से बढ़ावा मिला है।"
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