सीएम शर्मा को बंगला नंबर 8 का इंतजार

मुख्यमंत्री फिलहाल ओटीएस के अस्थायी आवास में

सीएम शर्मा को बंगला नंबर 8 का इंतजार

अब उन पूर्व मंत्रियों को नोटिस की तैयारी, जिन्होंने खाली नहीं किए सरकारी आवास 

जयपुर। सिविल लाइंस स्थित बंगला नंबर आठ में अभी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शिफ्ट नहीं हुए हैं। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने बंगला खाली करने की शुरुआत तो कर दी है, लेकिन पूरी तरह से खाली नहीं हुआ है। ऐसे में मुख्यमंत्री भजनलाल ने अभी ओटीएस में ही अपना अस्थायी आवास बना रखा है, जो अभी कुछ समय वहीं और रह सकते हैं। वैसे तो सरकारी नियमों के तहत मुख्यमंत्री और मंत्रियों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद 60 दिन में बंगला खाली करना होता है। बंगला खाली नहीं करने पर हर दिन 10,000 रुपए की पैनल्टी का प्रावधान है। यह नियम 2020 में बना। इससे पहले पांच हजार रुपए प्रतिमाह पैनल्टी थी। 

निवर्तमान सीएम व मंत्रियों के लिए बंगला खाली करने की 60 दिवस की अवधि तीन फरवरी को ही समाप्त हो चुकी है। अब सामान्य प्रशासन विभाग उन पूर्व मंत्रियों को नोटिस देने की तैयारी कर रहा है, जिन्होंने अभी तक बंगला खाली नहीं किया है। गहलोत को 49 नंबर का बंगला आवंटित किया गया है, जिसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी रह रहे थे। राजस्थान में पहली प्रजातांत्रिक व्यवस्था लागू होने के बाद प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री को यह आवास के तौर पर आवंटित किया गया। उसके बाद से इस बंगले को मुख्यमंत्री के निवास के रूप में ही पहचाना जाने लगा और जो भी मुख्यमंत्री बना, उसका आशियाना भी यहीं बंगला रहा। बंगले में परिस्थितियों के अनुसार नए काम होते रहे है, लेकिन पुराना स्वरूप वैसा ही है।

शास्त्री-जोशी बंगले में नहीं रहे
आजादी से पहले बने बंगला नंबर आठ से जुड़ी कई विचित्र रोचक घटनाएं हैं। इनसे प्रदेश के ज्यादातर लोग अनजान हैं। 1941 में बना यह बंगला राजस्थान के ज्यादातर मुख्यमंत्रियों का आवास रहा, लेकिन हीरालाल शास्त्री बंगले में नहीं रहे। उन्होंने खेजडों का रास्ता चांदपोल स्थित अपने घर को ही सीएम आवास घोषित किया। इस बंगले में पहली बार भाजपा के मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने 1977 में रोजा इफ्तार कार्यक्रम किया। 1980 में जगन्नाथ पहाड़िया मुख्यमंत्री बने तो यहां रहे। हरिदेव जोशी मुख्यमंत्री बनने के बाद इस बंगले में नहीं रहे। वे अपने आवास पर ही रहते, लेकिन वे सुबह बंगले में आते और शाम को वापस अपने घर चले जाते। केवल दिन में ही बंगले पर रुकते और दूर-दराज से आए लोगों से इसी बंगले में मिलते थे। गहलोत तीनों बार इसी बंगले में रहे।

तांत्रिकों के प्रभाव में पहाड़िया के समय 8 नंबर को कर दिया गया था 9 नंबर
1980 में जगन्नाथ पहाड़िया के सीएम बनने के दौर में तांत्रिक का प्रभाव था। उस दौरान उन्हें बताया गया कि 3, 6 और 9 नंबर ही शुभ है। 8 नंबर अशुभ है। बगल का बंगला राज्यपाल के पास था। ऐसे में उन्हें सिविल लाइंस के 8 नंबर बंगले में बीच में दीवार लगाकर 9 नंबर करने को कहा गया। इसके चलते बंगले में बीच में दीवार लगा दी गई और बंगले के नंबर 9 कर दिए गए। उसके बाद वे 9 नंबर में रहे। उस दौरान उन्हें यह भी कहा गया कि सरकारी कामकाज के दौरान उनके पैर जमीन पर नहीं टिके। इसका समाधान निकालते हुए अपने ड्राइंग रूम में डैस बोर्ड लगवा दिया ताकि पैर जमीन पर नहीं टिक सके। नौ नंबर बंगले में रहते हुए उन्होंने दिल्ली का कृष्णा मेनन मार्ग पर स्थित 9 नंबर बंगला भी पास ही रखा।

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वसुंधरा दूसरे कार्यकाल में नहीं रही बंगले में
वसुंधरा राजे दूसरी बार मुख्यमंत्री बनी तो वे 2013 से 2018 के बीच पांच साल तक इस बंगले में नहीं रहीं। यहां इस दौरान वीरानी छाई रही। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान पूर्व में आवंटित आवास नंबर 13 को ही उन्होंने सीएम आवास घोषित कर दिया और बंगला नंबर आठ को केवल गेस्ट हाउस के तौर पर रखा। वे अब भी इसी बंगले में रहती हैं।

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नियमानुसार कार्रवाई करेंगे, पैनल्टी वसूलेंगे
आवास आवंटन के नियमों के तहत 60 दिन तक खाली करने की छूट हैं, उसके बाद पैनल्टी देय है। अभी जो बंगले खाली नहीं हुए हैं, उन्हें नियमानुसार नोटिस दिया जाएगा।
-मनमोहन गौड़, शासन उप सचिव, जीएडी

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