पूर्ण बहुमत वाली सरकार यानी जनता की जीत : नरेंद्र चौधरी

पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने पर जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है की वो जनता से किए वादों को पूरा करें।

पूर्ण बहुमत वाली सरकार यानी जनता की जीत : नरेंद्र चौधरी

यदि पूर्ण बहुमत की सरकार आने के बाद भी जनप्रतिनिधि वादों को पूरा करने से मना करते हैं तो यह जनता की जिम्मेदारी है की वह उनसे वादे पूरे करवाए। यह प्रजातंत्र है।

हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत प्राप्त सरकारों का आना जनता की जीत है। इससे जनता को ही फायदा होगा। क्योंकि पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने पर जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है की वो जनता से किए वादों को पूरा करें। यदि पूर्ण बहुमत की सरकार आने के बाद भी जनप्रतिनिधि वादों को पूरा करने से मना करते हैं तो यह जनता की जिम्मेदारी है की वह उनसे वादे पूरे करवाए। यह प्रजातंत्र है। दूसरी ओर पूर्ण बहुमत नहीं आने की स्थिति में यदि त्रिशंकु सरकार आती है तो जनता का भला नहीं हो पाता है। जनता को ही इसका खामियाजा उठाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में ना तो जनता के कार्य होते हैं और ना ही किसी राज्य या देश का विकास हो पाता है। क्योंकि त्रिशंकु सरकार अपनी ही कुर्सी को बचाने में लगी रहती है। जिस भी पार्टी की त्रिशंकु सरकार बनती है उन्हें यह अनिश्चितता रहती है कि कितने दिन, कितने माह, कितने साल हमारी सरकार सत्ता में रहेगी। ऐसे में उस पार्टी के जनप्रतिनिधि भी जनहित कार्यों में दिलचस्पी नहीं लेते हैं। वह अपने हाथ खड़े कर देते हैं और उनके पास जनता को कहने के लिए यह बहाना मिल जाता है कि हम आपके कार्य कैसे पूरे करवाएं। जनता ने पूर्ण बहुमत से हमें नहीं चुना। हम आपके कार्य करवाने में सक्षम नहीं है। जबकि होता यह है कि अल्पमत में रहते हुए भी जनप्रतिनिधि स्वयं के कार्यों को तो पूरा करवा लेते हैं किंतु जनता से किए वादों को पूरा करने में हाथ खींच लेते हैं। दूसरा, जब भी चुनाव आते हैं, सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्र जारी करती हैं। उसमें यह कोई नहीं लिखता कि त्रिशंकु सरकार आने की स्थिति में भी हम जनता के कामों को प्रमुखता से प्राथमिकता देंगे। चुनाव जीतने के लिए चुनाव से पहले तो पार्टियां व जनप्रतिनिधि लुभावने वादों की बात करते हैं। जनता को आश्वासन देते हैं कि सत्ता में आते ही हम वादे निभाएंगे। लेकिन वो सिर्फ कोरे वादे ही साबित होते हैं। त्रिशंकु सरकार बनने पर जनता से किए वादे तो पूरे होते नहीं हैं। बल्कि जनता के सिर ही ठीकरा फोड़ते हैं कि आपने ही त्रिशंकु सरकार दी है। जबकि पार्टी व जनप्रतिनिधि स्वयं का पूरा फायदा उठा लेते हैं। वह भूल जाते हैं कि आज जो भी पद-प्रतिष्ठा उन्हें मिल रही है जनता की वजह से ही मिल रही है। सत्ता में होने पर जो फायदा उठाते हैं वह भी जनता की वजह से ही है। सत्ता में आते ही उन्हें अपने हित नजर आने लगते हैं। वह भूल जाते हैं कि जनता से भी हमने वादे किए हैं। जब भी चुनाव आए जनता को त्रिशंकु सरकार की जगह पूर्ण बहुमत वाली सरकार को चुनना चाहिए। चाहे किसी भी राजनीतिक पार्टी को चुनें उसे पूर्ण बहुमत के साथ चुनकर लाएं। तभी जनता को फायदा होगा। अन्यथा त्रिशंकु और अल्पमत सरकार में चुने गए जनप्रतिनिधियों को जनता का कार्य नहीं करने का यह बहाना मिल जाएगा कि हमारी त्रिशंकु सरकार है। ऐसे में अन्य पार्टी पर कार्य ना होने की बात डाल कर जनता के कार्यों से बच कर खुद का पूरा फायदा उठा लेंगे।

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