राणा प्रताप सागर बांध हुआ दुर्दशा का शिकार

2019 में आई बाढ़ के कारण वैकल्पिक मार्ग क्षतिग्रस्त, टेंडर के बावजूद जारी नहीं हुआ वर्क आॅर्डर

राणा प्रताप सागर बांध हुआ दुर्दशा का शिकार

कई जगह से टूटी हुई 2 फीट की रेलिंग न्यौता दे रही हादसों को।

रावतभाटा। 30 करोड रुपए सालाना कमा कर देने वाला रावतभाटा का राणा प्रताप सागर बांध इन दिनों दुर्दशा का शिकार है। 2019 की अतिवृष्टि के कारण वैकल्पिक मार्ग क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। जिनकी मरम्मत तक नहीं हो पाई है। संपूर्ण बांध की रेलिंग मात्र 2 फीट की ही बनाई गई है, जो कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है। रेलिंग में से सरिये तक बाहर निकल आए हैं। इतनी कम ऊंचाई के कारण गत वर्षो में कई लोग बांध में छलांग लगा कर आत्महत्या तक कर चुके हैं। दो दिन पहले  शनिवार को भी मानसिक परेशानी से ग्रस्त पीड़ित सत्तू गुर्जर ने छलांग लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। जानकारी के अनुसार यह बांध करीब 54 साल पहले चंबल नदी पर बांध परियोजना के अंतर्गत बनाया गया था। पूर्व कांग्रेस सरकार के शासन में सन 2019 में अतिवृष्टि के कारण संपूर्ण बांध की रेलिंग और कंस्ट्रक्शन को बहुत नुकसान पहुंचा। यहांं तक कि पन बिजली घर जो डाउनस्ट्रीम मेंं है वो भी बारिश के कारण डूब गया था। 4 साल के प्रयास के बाद पन बिजली घर को तो दोबारा चालू कर दिया गया। लेकिन वैकल्पिक मार्ग सब मर्सिबल ब्रिज पूरी तरह उखड़ कर गया। जिसकी पूर्व सरकार ने ना तो मरम्मत करवाई और ना ही किसी वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले और आवागमन पूर्ण रूप से बंद हो जाने के कारण सभी हल्के और भारी वाहनों को बांध के ऊपर से ही निकालना पड़ता है। जिससे बांध निरंतर दुर्दशा का शिकार हो रहा है। पिछली सरकार ने 5 साल गुजर जाने के बाद भी किसी बड़े आर्थिक सहयोग की घोषणा नहीं की। प्रशासन ने भी बांध की न तो मरम्मत करवाई और ना ही वैकल्पिक मार्ग को अभी तक चालू करवाने का प्रयास किया।

बांध से 30 करोड़ की होती है सालाना आय
बाद लगभग हर साल करोड़ों रुपए की आमदनी सरकार को दे रहा है। किंतु सरकार द्वारा बांध को अनदेखा कर नजर अंदाज किया जा रहा है। परमाणु बिजलीघर संयंत्र, हैवी वाटर प्लांट और अन्य कई आवासीय कॉलोनियों को दी जाने वाली पानी की आपूर्ति और पन बिजली घर द्वारा संचालित ऊर्जा के माध्यम से अभी तक अरबों रुपए का राजस्व सरकार को प्राप्त हो चुका है। लेकिन कभी इसकी मरम्मत की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया।  

पूर्व में भी कई लोगों ने बांध से छलांग लगाकर आत्महत्या की जा चुकी है। 2019 की बाढ़ के कारण सब मर्सिबल ब्रिज भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। बांध के दूसरी तरफ बड़ी संख्या में आबादी क्षेत्र है। जिससे प्रतिदिन लोग आते-जाते हैं। उनके पास अन्य कोई वैकल्पिक मार्ग भी नहीं है। 
- शुभम सोनी, पूर्व अध्यक्ष, विहिप

रेलिंग छोटी है और कई जगह से टूटी हुई भी है। जिससे आत्महत्या करने वाले व्यक्ति इसका फायदा उठा कर बांध में छलांग लगा देते हैं।
- जगदीश मीणा, होमगार्ड, गृह रक्षा दल, राणा प्रताप सागर बांध

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बांध की रेलिंग को ऊंचा करना संभव नहीं है। डब्ल्यूआरडी डिपार्टमेंट को कार्य करने में परेशानी आएगी। बाढ़ के समय मॉनिटरिंग में भी दिक्कत रहेगी। क्रेन को आगे पीछे करने में भी परेशानी आएगी। उच्च अधिकारियों द्वारा प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजा जाएगा। जिससे बांध की दशा में सुधार किया जा सके। 
- आशीष जैन, अधिशासी अभियंता, पनबिजली

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2019 में अतिवृष्टि बारिश के कारण बांध को नुकसान पहुंचा। जिसमें रेलिंग तथा अन्य कंस्ट्रक्शन क्षतिग्रस्त हुआ। वर्तमान में मेरी जानकारी में आया है। उच्च अधिकारियों को बताकर प्रस्ताव बना नए टेंडर निकाले जाएंगे। पुराने निकाले टेंडर पर किसी भी पार्टी ने टेंडर ही नहीं भरे। जिससे निर्माण में अवरोध आ गया।
- नीरज अग्रवाल, अधिशासी अभियंता, राणा प्रताप सागर बांध

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