ई ऑटो दे सकते हैं बच्चों को सुरक्षा, संरक्षा और सस्ती सुविधा

बाल वाहिनी क्यों ना हो ई-बाल वाहिनी

ई ऑटो दे सकते हैं बच्चों को सुरक्षा, संरक्षा और सस्ती सुविधा

स्कूली बच्चों के लिए ई- आॅटो चलें तो फायदा ही फायदा।

कोटा। एक ओर देश दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों की उपयोगिता बढ़ती जा रही है, दूसरी ओर शहर में आज भी लगभग सभी  स्कूल अपने विद्यार्थियों के लिए परिवहन के रूप में ऑटो, वैन या बस का उपयोग कर रहे हैं। जहां पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण स्कूलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले इन वाहनों का भार अभिभावकों पर पड़ता है। साथ ही उन्हें स्कूल की मोटी फीस के अलावा अतिरिक्त रूप से वाहनों का किराया भी देना पड़ रहा है, जिससे अभिभावकों पर दोगुनी मार पड़ रही है। इसके साथ पेट्रोल व गैस से संचालित ऑटो बच्चों के लिए सुरक्षित भी नहीं रहते। कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी है। ऐसे में निजी विद्यालयों में ई वाहनों का उपयोग बढ़ाने पर सरकार को ध्यान देना चाहिए जो अभिभावकों पर अतिरिक्त भार के साथ पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में भी कारक साबित हो और बच्चों को लिए सुरक्षित हो सके।

वैन एलपीजी से चलती हैं जिससे हादसे का रहता है खतरा
निजी विद्यालयों में बच्चों को लाने ले जाने के लिए सबसे अधिक ऑटो या वैन का उपयोग किया जाता है जिनमें वाहन मालिक मोडिफिकेशन करवाकर एलपीजी किट लगवा लेते हैं। बिना किसी सुरक्षा जांच के लगी इन किट से कभी भी हादसा हो सकता है जो बच्चो की जान को भी खतरा पैदा कर सकता है। वहीं गैस लीकेज होने की दशा में भी दम घुटने से बच्चों की जान पर बन सकती है। कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में इन वाहनों के स्थान पर ई वाहनों का उपयोग किया जाए तो इस प्रकार के हादसे की संभावनाओं से बचा जा सकता है। इसके अलावा ई वाहन बच्चों के लिए बेहतर परिवहन भी साबित हो सकता है।

नियमों की नहीं कर रहे पालना
वर्तमान में कई निजी विद्यालयों में संचालित बाल वाहिनियां तय मापदंडों का खुले रूप से उल्लघंन कर रही हैं। नियमानुसार विद्यालयों में बच्चों के परिवहन के लिए उपयोग की जाने वाली बाल वाहिनियों में बच्चों के बैठने व बैग रखने के लिए पर्याप्त जगह, फर्स्ट एड किट बॉक्स, अग्निशमन यंत्र और सीसीटीवी कैमरा होना आवश्यक है। इसके अलावा बाल वाहिनियों में सही अक्षरों में विद्यालय का नाम, पता सपंर्क संख्या तथा विद्यालय की बीट के पुलिस अधिकारी और थाने की जानकारी भी प्रदर्शित होना आवश्यक है। लेकिन शहर में दौड़ रही बाल वाहिनियों में ना तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं और ना ही उन पर बाल वहिनी लिखा हुआ है।

ई वाहन में दूसरों के मुकाबले कई गुना कम खर्चा
विद्यार्थियों के स्कूल तक आवागमन में ऑटो, वैन और बसों को उपयोग किया जाता है। ये सभी वाहन पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और एलपीजी जैसे जीवाश्म र्इंधनों पर चलते हैं, साथ ही इन्हें मेंटिनेंस करने का भी खर्चा अधिक होता है। ऐसे में इन वाहनों के उपयोग का सीधा खर्चा अभिभावकों की जेब पर पड़ता है। जहां अभिभावकों को प्रत्येक बच्चे के लिए प्रतिमाह हजारों रुपए स्कूलों में अतिरिक्त शुल्क के रूप में जमा करवाने पड़ते हैं। वहीं अगर इन वाहनों के स्थान पर स्कूलों द्वारा ई वाहनों का उपयोग किया जाए तो स्कूल के साथ अभिभावकों के खर्च में भी कमी आएगी। दरअसल ई वाहन के बिजली से चलने के कारण उसका मेंटिनेंस कम होता है। जहां एक वैन 100 किलो मीटर चलने के लिए करीब 4 लीटर यानी 450 रुपए की खपत होगी वहीं ई वाहन में यही खर्च 450 से घटकर 50 से 100 रुपए के बीच होगा।

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इनका कहना है
विद्यालयों में बाल वाहिनियों के उपयोग के लिए शिक्षा निदेशालय द्वारा ही दिशा निर्देश बनाए जाते हैं। शिक्षा विभाग का कार्य केवल मोनिटिरिंग का है। किसी भी प्रकार के सुझाव को राज्य सरकार द्वारा ही अमल में लाया जा सकता है। स्कूलों में ई वाहनों का उपयोग बढ़े तो सभी का फायदा है। इसके लिए प्रयास किए जाएंगे।
- चारूमित्रा सोनी, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी

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स्कूलों में संचालित बाल वाहिनियों के लिए दिशा निर्देश तय किए हुए हैं। जिनकी पालना के बाद ही बाल वाहिनियां चलाई जा सकती हैं। वहीं ई वाहनों के लिए सरकार द्वारा टैक्स में छूट दी हुई है जिसमें व्यक्ति को ग्रीन टैक्स नहीं भरना होता साथ ही ई वैन खरीदने पर 50 से 60 हजार, ई बस खरीदने पर 2 लाख तक की छूट का प्रावधान है। ई वाहन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन के रूप में ये छूट दी जाती है। 
- दिनेश सिंह सागर, आरटीओ, कोटा

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सरकार टैक्स में छूट दे तो कदम अच्छा होगा
विद्यालयों में बच्चों के आवागमन के लिए वर्तमान में संचालित वाहनों के स्थान पर अगर ई वाहनों का उपयोग किया जाए तो, ये बहुत अच्छा कदम होगा। सरकार भी इस पर गाइडलाइन बनाकर ई वाहन खरीदने वाले चालाकों को सब्सिडी देना चाहिए। क्योंकि मौजूदा समय में ई वाहन मंहगे हैं। ई वाहन के उपयोग से प्रदुषण के साथ बच्चों की सेहत पर भी कम असर पड़ेगा। 
- गौरव सेन झाला, निदेशक, सेंट्रल अकेडमी शिक्षांतर

हम भी अभिभावक हैं और हम भी चाहते हैं कि कम खर्च में अधिक काम हो जाए और अभिभावकों के उपर भी भार नहीं पड़े। लेकिन ई वाहन मंहगे आ रहे हैं और हम सालों से ऑटो चला रहे हैं ऐसे में एकदम बेच भी नहीं सकते सरकार सहायता करे और टैक्स में छूट मिले तो ई वाहन का प्रयास अच्छा होगा। 
- शंभुनाथ राठौर, ऑटो चालक

स्कूलों में ई वाहन का उपयोग बहुत कारगर साबित होगा, क्योंकि इनसे प्रदूषण नहीं होता है और ना ही ये खर्चीले होते हैं। सरकार विद्यालयों के लिए गाइडलाइन बनाएगी तो पालना करेंगे ही साथ ही स्कूलों में ई वाहनों के उपयोग पर जोर देंगे। 
- राजेंद्र शर्मा, प्रधानाध्यापक, सुभाष सीनियर सैकंड्री स्कूल

अभिभावकों का कहना है
स्कूलों में बच्चों के आने जाने के लिए ई वाहनों का उपयोग कई पहलुओं पर कारगर साबित होगा। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण बच्चों की सुरक्षा है क्योंकि दूसरे वाहनों में गैस के लीकेज होने के अलावा आग पकड़ने का भी खतरा रहता है। वहीं ई वाहन से प्रदुषण नहीं होने पर बच्चों की सेहत पर भी कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- दीपक कुमार, अभिभावक नयापुरा

निजी स्कूल संचालक बसों की फीस लेकर ऑटो या वैन से बच्चों का परिवहन करते हैं जो गलत है साथ ही इनका उपयोग करने पर स्कूल की मोटी फीस के साथ अतिरिक्त रूप से वाहन शुल्क देना होता है जो वित्तीय भार को बढ़ा देता है। अगर ई वाहनों का उपयोग हो तो स्कूल के साथ में अभिभावकों का भी खर्चा कम हो। वहीं ई वाहन में बच्चे ऑटो या वैन की तुलना में अधिक सुरक्षित होंगे क्योंकि ई वाहन में ज्वलनशील पदार्थ नहीं होने के साथ प्रदूषण भी कम होता है।
- हरिराम गुर्जर, अभिभावक प्रेम नगर 

बच्चों के स्कूल वाहन अगर ई वाहन हो तो उससे काफी सकारात्मक बदलाव होंगे जिसमें सबसे पहले अभिभावकों पर वाहन शुल्क का अतिरिक्त भार कम होगा। उसके अलावा प्रदूषण कम होने से बच्चों की सेहत पर भी कोई बुरा प्रभाव वहीं पड़ेगा। वहीं बच्चों को गर्मी के मौसम में र्इंजन की गर्मी से होने वाली परेशानी से भी राहत मिलेगी। 
- अतीक अहमद, अभिभावक स्टेशन क्षेत्र

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