जान जोखिम में डाल यात्रा करने को मजबूर लोग

दो फेरों के कारण प्राइवेट वाहन संचालक कूट रहे चांदी

जान जोखिम में डाल यात्रा करने को मजबूर लोग

रोडवेज की कंडम बसें आए दिन रास्ते में होती रहती हैं खराब ।

रावतभाटा। चंबल की खूबसूरत वादियों से घिरी और मुकुंदरा अभयारण्य में क्षेत्र में बसा रावतभाटा शहर कहने को तो पर्यटन नगरी के तौर पर जाना जाता है, लेकिन पर्यटकों के यहां तक पहुंचने के लिए ना तो रेल कनेक्टिविटी है और ना ही सड़क मार्ग का कोई माकूल इंतजाम। जानकारी के अनुसार रावतभाटा शहर सहित ऐतिहासिक नगर भैंसरोड़गढ़ में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। लेकिन पर्यटन विभाग सहित स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते यहां तक आना अत्यंत कष्टदायक है। इतना ही नहीं चंबल परियोजना के तहत बना राणा प्रताप सागर डैम पर बना आरएपीपी प्लांट भी इसी नगरी में है। लेकिन कोटा से यहां पहुंचने के लिए एक जर्जर और सिंगल सड़क मार्ग है। जिस पर रोडवेज की मात्र दो छोटी बसें ही संचालित होती हैं। बसें भी इतनी कंडम हो चुकी हैं कि आए दिन रास्ते में खराब होती रहती हैं। जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। नाममात्र की बसें संचालित होने के कारण यात्री अपनी जान जोखिम में डाल कर यात्रा करने को मजबूर हैं। रोडवेज की इन दो छोटी बसों का संचालन मात्र दो फेरे में ही होता है। बसों की हालत इतनी खराब है कि चलते-चलते अचानक खराब होकर रुक जाती हैं। कई बार तो इनके टायर तक निकल जाते हैं। पूर्व में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं। अभी तीन दिन पूर्व ही कोलीपुरा के घाट पर ढलान के पास बस का ब्रेक फेल हो गया। अगर ड्राइवर ने सूझबूझ दिखाते हुए बस को नहीं रोक लिया होता तो 60-65 यात्रियों की जान खतरे में पड़ जाती। ड्राइवर ने जहां बस रोकी वहां से सैंकड़ों फिट गहरी खाई है। जिसमें किसी के बचने की संभावना ना के बराबर रहती है। इतने पर भी रोडवेज विभाग और राजस्थान सरकार की ओर से इनको हटाकर नई बसें चलाने की कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। जिसके कारण कई बार यात्री अपने निजी साधनों या प्राइवेट टैक्सियों में आवागमन करने को मजबूर हैं। दोपहर 12 से लेकर शाम 4 बजे तक इस रूट पर एक भी रोडवेज बस का संचालन नहीं होने के कारण यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

प्राइवेट बसों का लगातार बढ़ रहा संचालन
कोटा आने वाले देश-विदेश के लोगों की यह ख्वाहिश होती है कि वह एक बार रावतभाटा शहर भी घूम आएं। लेकिन रोडवेज बसों के अभाव में कई तो आने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते। लेकिन कोटा से बिल्कुल लगे होने के कारण और आरएपीपी प्लांट के कर्मियों के कारण इस रूट पर निरंतर यात्री भार बढ़ रहा है। सैंकड़ों लोग कोटा से रावतभाटा डेली अप डाउन करते हैं। इसी का फायदा उठाते हुए इस रूट पर प्राइवेट वाहन संचालकों की पौ बारह हो रही है। रोडवेज बसों के कम फेरों के कारण प्राइवेट बसों का संचालन दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। इससे सरकार को राजस्व की हानि तो हो ही रही है, प्राइवेट बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों की जान का भी जोखिम बना हुआ है। 

कोटा डिपो पर कई बसें, लेकिन नहीं हो रही व्यवस्था
कोटा डिपो पर कई बसें फालतू खड़ी हुई हैं। रोडवेज विभाग खड़ी बसों को चलाकर राजस्व भी कमा सकता है। यात्रियों की समस्या का समाधान भी कर सकता है। लेकिन इच्छा शक्ति के अभाव में बेकार में खड़ी इन बसों का संचालन नहीं कर पा रहा है। जिससे प्राइवेट वाहन संचालकों की चांदी हो रही है। जबकि सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। 

बसें काफी पुरानी और कंडम हैं। हमारी मजबूरी है कि हमें इन बसों को चलाना पड़ रहा है। जरूरत होने के बावजूद सरकार नई बसें नहीं दे रही है।
- जयराम, रोडवेज बस चालक

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रावतभाटा-कोटा मार्ग पर केवल दो ही बसों का दिन में संचालन होता है। वह भी पुरानी और खटारा स्थिति में हैं। कोई हादसा ना हो जाए बस यही डर लगा रहता है। 
- रिंकू सेन, व्यापारी

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दोपहर के समय रावतभाटा -कोटा मार्ग पर एक भी बस नहीं है। ऐसे में यात्री गर्मी में केवल परेशानी ही झेल रहे हैं। 
- बसंत, यात्री

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वर्तमान में बसों का संचालन कम हो रहा है। अगले महीने से एक बस और बढ़ा दी जाएगी। खटारा या कंडम बसों जैसी कोई स्थिति नहीं है। बसों में कोई कमी नहीं है। 
- अजय मीणा, रोडवेज प्रबंधक, कोटा डिपो 

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