आकरा वार होने से एक अप्रैल को मनेगा बास्योड़ा

माता को लगाएंगे ठंडे पकवानों का भोग, शील की डूंगरी में भरेगा मेला

आकरा वार होने से एक अप्रैल को मनेगा बास्योड़ा

शीतला माता की पूजा और व्रत करने से चेचक व कई बीमारियां नहीं होती 

जयपुर। लोकपर्व बास्योड़ा इस बार एक दिन पहले चैत्र कृष्ण पक्ष सप्तमी सोमवार को मनाया जाएगा। क्योकि अष्टमी पर मंगलवार होने के कारण यह दिन आकरा वार (गर्म दिन) माना गया है। ऐसी मान्यता है कि बास्योड़ा वाले दिन ठण्डा वार होना आवश्यक माना गया है। इस दिन माता शीतला को ठंडे पकवानों का भोग लगाया जाएगा। राधा-पोवा 31 मार्च को होगा। घरों में पुए, पकोड़ी, दही बड़ा, गुलगुले, कांजी बड़ा आदि बनेंगे। शील की डूंगरी चाकसू में एक अप्रैल से दो दिवसीय मेला भरेगा। जिला कलेक्टर ने शीतला अष्टमी का अवकाश भी एक अप्रैल को घोषित किया है। 
पौराणिक मान्यता है कि शीतला माता की पूजा और व्रत करने से चेचक और कई बीमारियां तथा संक्रमण नहीं होता है। पाल बालाजी संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि यह शीत ऋतु के जाने का और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है। इस दौरान मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। ठंडा खाना खाने से हमें मौसमी बीमारियों से लड़ने की क्षमता मिलती है। कुछ जगह शीतला माता की पूजा चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को और कुछ जगह अष्टमी पर होती है। इस बार ये तिथियां 1 व 2 अप्रैल को रहेंगी। सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्यदेव और अष्टमी के देवता शिव होते हैं। दोनों की उग्र देव होने से दोनोें तिथियों में शीतला माता की पूजा की जा सकती है। निर्णय सिंधु ग्रंथ के मुताबिक इस व्रत में सूर्योदय व्यापिनी तिथि ली जाती है, इसलिए सप्तमी की पूजा और व्रत सोमवार को किया जाना चाहिए। वहीं शीतलाष्टमी मंगलवार को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य मगन लाल गौड़ ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि गर्म वार को छोड़कर सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार जैसे ठंडे वार पर माता को भोग अर्पित किया जाता है। हालांकि यह बात मान्यता से जुड़ी हुई है।

तिथि
चैत्र कृष्ण अष्टमी 
तिथि एक अप्रैल को रात्रि 9.09 बजे से 
शुरू होकर 2 अप्रैल को रात्रि 8.08 बजे तक रहेगी।

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