जहां गूंजती थी शेरों और बाघों की दहाड़, अब वहां बघेरे और जरख का हो रहा इलाज
बाघों और शेरों की दहाड़ गूंजती थी
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क स्थित रेस्क्यू सेंटर में साल 2002-03 से 2020 तक बाघों और शेरों की दहाड़ गूंजती थी। आखिरी बची शेरनी की बीमारी से मृत्यु के बाद रेस्क्यू सेंटर खाली हो गया था।
जयपुर। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क स्थित रेस्क्यू सेंटर में साल 2002-03 से 2020 तक बाघों और शेरों की दहाड़ गूंजती थी। आखिरी बची शेरनी की बीमारी से मृत्यु के बाद रेस्क्यू सेंटर खाली हो गया था। अब रेस्क्यू सेंटर में प्रतापगढ़, अचरोल और जयपुर से रेस्क्यू कर लाए गए 6 बघेरों और 3 जरखों की दहाड़ सुनाई देती है। यहां इनमें से बीमार बघेरे और जरख का इलाज किया जा रहा है। सबसे उम्रदराज बघेरे की उम्र 18 और सबसे छोटे की उम्र 10 माह है।
बिना दांतों वाला बघेरा
प्रतापगढ़ से रेस्क्यू कर लाए बघेरे की उम्र करीब 18 साल है। खास बात ये है कि इसके दांत नहीं है।
रेस्क्यू कर लाए बघेरों में यहीं सबसे उम्रदराज है। इसने प्रतापगढ़ में इंसानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। अब रेस्क्यू सेंटर में समय बीता रहा है। इसे खाने में सॉफ्ट मीट दिया जाता है।
अचरोल रेंज से आया था शिवा
25 मई, 2021 को अचरोल रेंज से 10 दिन के शावक को रेस्क्यू कर यहां लाया गया। जानकारी के अनुसार ये अपनी मां से बिछुड़ गया था। अब ये 10 महीने का हो गया है। वन विभाग के स्टाफ ने ही इसका लालन-पालन कर इसका नाम ‘शिवा’ रखा है। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरविंद माथुर ने बताया कि 9 जनवरी, 2022 को अचरोल से 4 साल के बीमार बघेरे को रेस्क्यू कर लाए गया था, जिसका इलाज किया जा रहा है। इसे स्टाफ ने माधव नाम दिया है। इससे पहले 2016-17 में सरिस्का से एक मादा (10 वर्षीय), एक नर (13 वर्षीय) और 2018 में जयपुर स्थित नाहरसिंह बाबा मंदिर से 5 साल के बघेरे को रेस्क्यू कर यहां लाए थे। इसके अतिरिक्त नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में 2 नर और एक मादा बीमार जरख का इलाज चल रहा है।
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