राहुल गांधी से मांगा था समर्थन, नहीं समझा मतलब : चंद्रशेखर
मेरे समाज का नेता मेरे बाद निकलना चाहिए
यह परिवार का कोई सदस्य ही समझ सकता है कि वह कैसे मेरी मदद कर रही हैं। वह भी यही चाहती हैं कि मेरे समाज का नेता मेरे बाद निकलना चाहिए।
मेरठ। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने कहा कि यहां 70 फीसदी बनाम 30 फीसदी की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि वे 70 फीसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं। बाकी 30 फीसदी में शेष सभी दल हैं। उनका इशारा यह था कि वे दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों के प्रतिनिधि हैं। चंद्रशेखर ने कहा कि अखिलेश यादव और कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी से भी उन्होंने समर्थन मांगा था। मैंने सिर्फ इतना कहा था कि आप एक सीट पर मुझे समर्थन करें, मैं आपकी तमाम सीटों पर मदद करूंगा, लेकिन पता नहीं उन लोगों ने इसका क्या अर्थ समझा। भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने यूपी की नगीना सीट पर ताल ठोककर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। चंद्रशेखर आजाद ने खास बातचीत में कहा कि वह मायावती के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं। उन्होंने कहा कि आप देखिए कि कैसे बहनजी ने बाहर के उम्मीदवार सुरेंद्र मैनवाल को यहां उतारा है। ये काम उन्होंने मेरे लिए ही किया है और यह परिवार का कोई सदस्य ही समझ सकता है कि वह कैसे मेरी मदद कर रही हैं। वह भी यही चाहती हैं कि मेरे समाज का नेता मेरे बाद निकलना चाहिए।
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि आकाश आनंद यहां आ रहे हैं। अपने उम्मीदवार के लिए वह रैली करेंगे, लेकिन वह मेरे छोटे भाई हैं। उन्हें भी मालूम है कि उनका उम्मीदवार मैं ही हूं। पार्टी के लिए उन्हें रैली करना है। इसलिए औपचारिकता में कुछ बोलना भी होगा, लेकिन मेरी जनता को मालूम है कि वह रैली में कुछ भी बोलें, लेकिन सभी चाहते हैं कि मैं ही यहां से जीत का परचम फहराऊं। चंद्रशेखर ने कहा कि अखिलेश यादव और कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी से भी उन्होंने समर्थन मांगा था। जयंत चौधरी को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि कुछ तो मजबूरियां रही होंगी। बीजेपी के साथ जाने को लेकर जयंत ही बेहतर बता सकते हैं। इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। उन्होंने गलती की या नहीं की यह मैं नहीं कह सकता। उल्लेखनीय नगीना सीट पश्चिम यूपी के बिजनौर जिले में आती है। यहां से सपा ने पूर्व जज मनोज कुमार, बसपा ने सुरेंद्र मैनवाल और बीजेपी ने ओम कुमार को चुनावी मैदान में उतारा है। ऐसे में चंद्रशेखर ने यहां से नामांकन भरकर चुनावी मुकाबले को रोचक बना दिया है। यहां दलितों और मुसलमानों का वोट करीब 70 फीसदी है। अगर किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में ये वोट एकमुश्त चला जाए तो उसकी जीत तय है।
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