संयुक्त राष्ट्र ने बढ़ाया भारत का विकास अनुमान
रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि कमजोर बाहरी मांग का माल निर्यात वृद्धि पर असर जारी रहेगा। फार्मास्यूटिकल्स और रसायनों के निर्यात में जोरदार वृद्धि की उम्मीद है।
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र ने मजबूत सार्वजनिक निवेश और निजी खपत में बढ़ोतरी का हवाला देते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वर्ष के वृद्धि पूर्वानुमान में 0.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए इसे 6.9% और 2025 में 6.6% की दर से बढ़ने की संभावना जतायी है। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं समाजिक मामलों के विभाग की ओर से जारी विश्व आर्थिक स्थिति एवं परिदृश्य 2024 की मध्यावधि रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि कमजोर बाहरी मांग का माल निर्यात वृद्धि पर असर जारी रहेगा। फार्मास्यूटिकल्स और रसायनों के निर्यात में जोरदार वृद्धि की उम्मीद है।
मुद्रास्फीति 4.5% रहने की उम्मीद
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के 2023 के 5.6% से घटकर 2024 में 4.5% पर आने का अनुमान है, जो भारतीय रिजर्व बैंक के इसके 2 से 6% के बीच रखने के लक्ष्य सीमा के भीतर रहेगी।
वैश्विक संभावनाओं में सुधार
संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी के बाद से वैश्विक आर्थिक संभावनाओं में सुधार हुआ है, प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं गंभीर मंदी से बच रही हैं, बेरोजगारी में वृद्धि के बिना मुद्रास्फीति में कमी आई है। लंबे समय तक ऊंची ब्याज दरें, ऋण स्थिरता चुनौतियां, निरंतर भू-राजनीतिक तनाव और लगातार बिगड़ते जलवायु जोखिम विकास के लिए चुनौतियां पैदा कर रहे हैं, जिससे दशकों के विकास लाभ को खतरा है, खासकर कम विकसित देशों और छोटे द्वीप विकासशील देशों के लिए।
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