WHO-AIIMS के सर्वे में खुलासा, कोरोना की तीसरी लहर का बच्चों पर ज्यादा असर होने की संभावना नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन और दिल्ली एम्स का सर्वेक्षण सामने आया है। इस रिसर्च के मुताबिक अगर कोरोना की तीसरी लहर आई भी तो इसका बच्चों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की तीसरी संभावित लहर का बच्चों पर कितना प्रभाव पड़ेगा, इस बारे में दुनियाभर में अध्ययन जारी हैं। विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के अलग-अलग दावे भी सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में विश्व स्वास्थ्य संगठन और दिल्ली एम्स का सर्वेक्षण सामने आया है। इस रिसर्च के मुताबिक अगर कोरोना की तीसरी लहर आई भी तो इसका बच्चों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसके लिए 5 राज्यों में सीरो सर्वे करवाया था और सैंपल लिए थे, जिससे इस बात का अनुमान लगाया जा सके कि कितने लोगों को अनजाने में कोरोना का संक्रमण हो चुका है, या उनके शरीर में एंटीबॉडी बन गई है।
शहरी इलाकों में 1000 लोगों में से 748 सीरो पॉजिटिव पाए गए। यानी यह अंदाजा लगाया गया कि 74.7 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी बनी। वहीं ग्रामीण इलाकों में 3508 लोगों का अध्ययन हुआ, इनमें 2063 लोग सीरो पॉजिटिव पाए गए। यानी 58.8 फीसदी लोगों के शरीर में कोरोना के एंटीबॉडी मिली। सर्वे में वयस्कों के मुकाबले बच्चों में सार्स-सीओवी-2 की सीरो पॉजिटिविटी रेट ज्यादा पाई गई इसलिए ऐसी संभावना नहीं है कि भविष्य में कोविड-19 का मौजूदा स्वरूप दो साल और इससे अधिक उम्र के बच्चों को ज्यादा प्रभावित करेगा।
इस स्टडी में अंतरिम रिपोर्ट के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के आयु समूह में सीरो मौजूदगी 55.7 फीसदी पाई गई जबकि 18 साल से अधिक उम्र के आयु समूह में 63.5 फीसदी दर्ज की गई है। इसका मतलब साफ है कि तीसरी लहर में बच्चों पर खतरे की जो बात कही जा रही है, उम्मीद है वैसा नहीं होगा। अध्ययन में पाया किया कि शहरी स्थानों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में सीरो पॉजिटिविटी दर कम पाई गई।
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