पब्लिक के पैसे से बने ऑक्सीजन प्लांटों में से अधिकतर पड़े बंद

सरकारी अस्पतालों के 21 में से केवल सात प्लांट चालू, बाकी खराब या कागजी कारवाई में अटके

पब्लिक के पैसे से बने ऑक्सीजन प्लांटों में से अधिकतर पड़े बंद

कोटा के बड़े अस्पतालों में लगाए गए आॅक्सीजन प्लांटों में अधिकतर के बंद रहने से आपातकालीन स्थिति में गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

कोटा। कोटा के बड़े अस्पतालों में कोरोना महामारी के दौरान नए ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे। लेकिन अस्पतालों के रखरखाव में कमी के चलते उनमें से अधिकतर प्लांट बंद पड़े हैं। कोटा के लगभग सभी बड़े अस्पतालों में एक से दो प्लांट ही चल रहे हैं। बाकी प्लांट या तो खराब हैं या अस्पतालों के पास उन्हें चलाने की अनुमति नहीं है। ऐसे में आपातकालीन स्थिति में आॅक्सीजन की जरूरत पड़ने पर मरीजों को गंभीर हालातों से गुजरना पड़ सकता है। 

एनएमसीएच में दो एसएसच में एक प्लांट चालू
कोरोना महामारी के दौरान सबसे ज्यादा कोरोना से पीड़ित मरीजों को नवीन चिकित्सालय और सुपर स्पेशियलिस्ट हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। जिसके चलते इन दोनों अस्पतालों में आॅक्सीजन प्लांटों का निर्माण किया गया था। उस दौरान एनएमसीएच में तीन आॅक्सीजन प्लांट और सुपर स्पेशियलिस्ट हॉस्पिटल में चार आॅक्सीजन प्लांट का निर्माण किया गया था। जहां एनएमसीएच के मौजूदा चार आॅक्सीजन प्लांटों में से दो और सुपर स्पेशियलिस्ट के छ: प्लांटों में से केवल एक प्लांट संचालित हैं। एनएमसीएच प्रशासन के अनुसार मौजूदा चार प्लांटों में से दो की अनुमति प्रशासन के पास है, वहीं बाकि दोनों प्लांट को चलाने की अनुमति के लिए पत्र लिखा हुआ है। वहीं एसएसएच के छ: में से बचे हुए पांच प्लांटों में से एक प्लांट खराब है वहीं बाकि को आवश्यकता पड़ने पर ही चलाने की योजना है।

आपातकालीन स्थिति में हालात हो सकते हैं गंभीर
कोटा के बड़े अस्पतालों में लगाए गए आॅक्सीजन प्लांटों में अधिकतर के बंद रहने से आपातकालीन स्थिति में गंभीर परिणाम हो सकते हैं। क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान भी आॅक्सीजन की कमी के चलते सैंकड़ों लोग गंभीर स्थिति में पहुंच गए थे और कई लोगों को जान तक गंवानी पड़ गई थी। जिसे देखते हुए ही सरकार ओर भामाशाहों की मदद से इन प्लांटों का निर्माण किया गया था। लेकिन देखरेख की कमी और अस्पताल प्रशासनों की लापरवाही के चलते कई प्लांट या तो चल नहीं रहे या उन्हें चलाने की अनुमति नहीं है।

एमबीएस व जेके लोन में दो-दो प्लांट संचालित
संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में आॅक्सीजन के सात प्लांट मौजूद हैं जिनमें से केवल दो प्लांट ही चालू अवस्था में हैं। वहीं एक प्लांट का कंप्रेसर खराब होने के चलते उसे बंद किया हुआ है। वहीं अन्य दो प्लांटों भी तकनीकी खामियों के चलते बंद पड़े हुए हैं जिनमें प्रत्येक की क्षमता 150-150 सिलेंडर की है। वहीं 150-150 सिलेंडर की क्षमता के दो प्लांटों को चलाने की अनुमति नहीं है। इसी तरह जेके लोन हॉस्पिटल में भी चार प्लांट मौजूद हैं जिनमें से केवल दो प्लांट ही संचालित हैं। बाकि दोनों प्लांटों को प्रशासन की ओर से बंद किया हुआ है। 

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इनका कहना है
जितनी आवश्यकता है उसके अनुसार प्लांट चलाए हुए हैं, आवश्यकता पड़ने पर अन्य प्लांटों को भी चलाया जाएगा। बाकि दो प्लांट में से एक यूआईटी द्वारा और एक भामाशाह द्वारा दिया गया है। जिसके लिए कागजी कारवाई बाकि उसके लिए पत्र लिखा हुआ है।
- आरपी मीणा, अधीक्षक, नवीन चिकित्सालय, 

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अस्पताल के अभी दो प्लांट चलाए हुए हैं साथ ही हमेशा तीन प्लांट रनिंग में रहते हैं, एक प्लांट का कंप्रेसर खराब है और बाकि में कुछ तकनीकी खामियां हैं जिन्हें आचार संहिता हटते ही ठीक करा लिया जाएगा। वहीं दो प्लांटों का अभी संचालन के लिए कागजी कारवाई बाकि है।
- धर्मराज मीणा, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल, कोटा

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