रियायती दर पर भूमि आवंटनों का सरकार कर रही है रिव्यू 

आमजन से आपत्ति के लिए डाला जाएगा

रियायती दर पर भूमि आवंटनों का सरकार कर रही है रिव्यू 

संस्थाओं के आवेदन को आवंटन से पहले 15 दिन निकाय की वेबसाइट पर आमजन से आपत्ति के लिए डाला जाएगा, उसके बाद निर्णय होगा।

जयपुर। पूर्ववर्ती सरकार के समय 800 से अधिक रियायती दर पर भूमि आवंटनों का सरकार रिव्यू कर रही है। वहीं दूसरी ओर मौजूदा सरकार में नई भूमि आवंटन नीति का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। इसमें राजनीतिक दलों पर मेहरबानी की गई है, जबकि संस्थाओं को भूमि आवंटन से पहले बेलेंस सीट का अवलोकन करने का प्रावधान किया गया है। अर्थात नए प्रावधानों के तहत यदि कोई राजनीतिक दल भूमि आवंटन के पश्चात राष्ट्रीय स्तर का नहीं रह जाता है, तो आवंटित भूमि एवं निर्मित भवन सरकार अपने अधिकार में नहीं लेगी। भूमि आवंटन नीति-2015 में आवंटित भूमि एवं निर्मित भवन स्थानीय निकाय की ओर से अपने कब्जे में लेने का प्रावधान था, लेकिन अब इसे खत्म किया गया है। वहीं संस्थाओं के आवेदन को आवंटन से पहले 15 दिन निकाय की वेबसाइट पर आमजन से आपत्ति के लिए डाला जाएगा, उसके बाद निर्णय होगा।

आवेदन के साथ 25 हजार रुपए का डिमांड ड्राफ्ट
नई नीति के तहत भूमि का आवंटन केवल भारत निर्वाचन आयोग की ओर से मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को ही किया जाएगा। दलों को आवेदन पत्र तथा 25 हजार रुपए का डिमांड ड्राफ्ट लगाना होगा। 

आवंटन के बाद दो साल में निर्माण जरूरी
भूमि आवंटन का निर्णय होने के पश्चात स्थानीय निकाय की ओर से मांग-पत्र जारी किया जाएगा, जिसके अनुरूप मांग राशि के साथ संबंधित राजनीतिक दल की ओर से भवन मानचित्र अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। भूमि प्रारंभिक तौर पर दो वर्ष के भवन निर्माण की अनुज्ञा के साथ आवंटित की जाएगी। इस अवधि में भवन का निर्माण पूर्ण कराना होगा।

दो साल अवधि बढ़ाने का प्रावधान
निर्धारित अवधि में निर्माण नहीं करने पर निकाय राज्य सरकार से अनुमति लेकर भूमि का आवंटन निरस्त कर सकेंगी। प्राधिकरण, न्यास निर्माण की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए दो साल की छूट प्रदान कर सकते हैं व राज्य सरकार स्तर पर अतिरिक्त छूट की भूमि की आवंटित दर का दस प्रतिशत प्रतिवर्ष शास्ति के अधीन प्रदान की जा सकती है। 

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Tags: land

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