निगम की आय का सबसे बड़ा स्रोत जमीनें, उनकी ही नहीं हो रही नीलामी
करोड़ों की जमीनें पड़ी खाली, हो रहे कब्जे
नगर निगम उन कब्जों को छुड़ाने का प्रयास तक नहीं कर रहा है।
कोटा। कोटा विकास प्राधिकरण के बाद नगर निगम ही ऐसी स्थानीय निकाय है जिसकी आय का सबसे बड़ा स्रोत उसके स्वामित्व वाली जमीनें है। हालत यह है कि करोड़ों की जमीनें खाली पड़ी हैं उन पर कब्जे हो रहे है लेकिन नगर निगम उन जमीनों को न तो नीलाम कर पा रहा है और न ही बेच पा रहा है। जिस तरह से केडीए की आय का स्रोत उसके स्वामित्व वाली जमीनें है। जिन पर वह आवासीय व व्यवसायिक योजनाएं लॉच कर रहा है। साथ ही रोजाना भूखंडों की नीलामी की जा रही है। जिससे केडीए को आय प्राप्त हो रही है। उसी तरह से शहर के भीतर नगर निगम के स्वामित्व वाली भी करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीनें है। जो या तो बरसों से खालीपड़ी है। उनका कोई उपयोग नहीं हो रहा है या फिर उन पर अवैध रूप से अतिक्रमण व कब्जे हो रहे है। नगर निगम उन कब्जों को छुड़ाने का प्रयास तक नहीं कर रहा है। जिससे जमीनों की नीलामी नहीं हो पा रही है।
हर साल बजट में प्रावधान, कमाई कुछ नहीं
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से हर साल पारित होने वाले बजट में निगम कीआय का स्रोत भूमि विक्रय से प्राप्त आय को बताया जाता है। नगर निगम कोटा उत्तर के बजट में वित्त वर्ष 2023-24 में जहां इस मद में आय का बजट 91.65 करोड़ रुपए प्रस्तावित किया गया था। लेकिन कोटा उत्तर में इस मद में एक रुपए की भीआय नहीं हुई। जिस कारण से वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इस मद से होने वाली आय को घटाकर 81.65 करोड़ रुपए कर दिया गया। जिसमें प्लॉट बिक्री पर जनता से आय, सम्पति विक्रय से आय, भू परिवर्तन से आय और केडीए व हाउसिंग बोर्ड से प्राप्त आय शामिल है।
दक्षिण में यह किया प्रावधान
नगर निगम कोटा दक्षिण की ओर से वित्त वर्ष 2023-24 में भूमि विक्रय से प्राप्त आय के मद में 1.30.10 करोड़ का प्रावधान रखा गया था। जिसकी एवज में मात्र 5 करोड़ रुपए ही आय हुई। यहीकारण है कि वर्तमान विलतत वर्ष 2024-25 में इस मद में होने वालीआय को घटाकर 120.10 करोड़ रुपए कर दिया गया। हालत यह है कि वित्त वर्ष के 9 महीने बीत चुके है। अंतिम तिमाही शेष है। ऐसे में अभी तक सि मद में जितनी आय होनी चाहिए थी वह अभी तक नहीं हो सकी है।
अतिक्रमण से करवाए थे भूखंड
नगर निगम कोटा दक्षिण के तत्कालीन उपायुक्त राजेश डागा के समय में निगम की ओर से कई भूखंडों से अतिक्रमण हटाए गए थे। उन्हें अतिक्रमण मुक्त व अवैध कब्जों से मुक्त कराया था। उसके बाद उनकी नीलामी भी की गई थी। कई भूखंड नीलामी में बिके भी थे। लेकिन उनके जाने के बाद फिर से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जबकि निगम के पास महावीर नगर, दादाबाड़ी, प्रताप नगर व सीएडी रोड समेत कई जगह पर बेश कीमती जमीनें खाली पड़ी हुई है। उनमें से कई पर तो अभी भीपत्थर स्टॉक लगा हुआ है। हालांकि कई जमीनों पर निगम ने अपनी सम्पति के बोर्ड लगाकर उन पर चार दीवारी भी बनवा दी। लेकिन उसके बाद उन पर ध्यान नहीं दिया गया।
10 साल में मात्र 40 करोड़ के बिके भूखंड
नगर निगम अधिकारिक सूत्रों के अनुसार नगर निगम की ओर से वर्तमान में भी कई भूखंडों को नीलामी में लगाया हुआ है। हालांकि कई भूखंडों की लोकेशन सही नहीं होने व किसी की कीमत अधिक होने व कोई विवादित होने सेनहीं बिक रहे है। नगर निगम की ओर से गत दस वर्ष में2015 से 25 तक में मात्र 40 करोड़ के ही भूखंड बेचे जा चुके है।
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