जनता का धन चढ़ा कचरे की भेंट, लाखों के आधुनिक कचरा पात्र हुए कचरा
कचरा पात्रों के बाहर ही लगा कचरे का ढेर
वे अपनी बदहाली पर आसूं तो बहा ही रहे हैं साथ ही इन कचरा पात्रों के रूप में जनता का धन कचरे की भेंट चढ़ गया है। नगर निगम द्वारा शहर को स्वच्छ रखने के लिए जहां घर-घर कचरा संग्रहण किया जा रहा है।
कोटा । शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने की जिम्मेदारी निभाने वाले नगर निगम द्वारा लाखों रुपए खर्च कर शहर में लगाए गए आधुनिक कचरा पात्रों का उपयोग तक नहीं हो रहा है। वे अपनी बदहाली पर आसूं तो बहा ही रहे हैं साथ ही इन कचरा पात्रों के रूप में जनता का धन कचरे की भेंट चढ़ गया है। नगर निगम द्वारा शहर को स्वच्छ रखने के लिए जहां घर-घर कचरा संग्रहण किया जा रहा है। जिससे घरों व प्रतिष्ठानों से निकलने वाला कचरा कम से कम सड़क पर आए। घरों से निकलने वाले कचरे को घघर-घर जाकर टिपर में एकत्र किया जा रहा है। उसके बाद भी घरों का कचरा सड़क पर आए लेकिन फेले नहीं। इसके लिए निगम की ओर से समय-समय पर अलग-अलग तरह के कचरा पात्र सड़क किनारे लगाए गए व रखे गए। कचरा पात्रों पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी उनका उपयोग तक नहीं हो रहा है। कचरा पात्रों के आस-पास ही कचरे का ढेर लगा हुआ है। जिससे उन कचरा पात्रों की उपयोगिता ही नहीं हो रही। पिछले बोर्ड में लगाए थे आधुनिक कचरा पात्र: नगर निगम के पिछले भाजपा बोर्ड में शहर में कई जगह पर आधुनिक कचरा पात्र लगाए गए थे। इनका मकसद कचरे को सड़क पर गिरने से रोकना और कचरा पात्रों को समय पर खाली कर आस-पास के क्षेत्रों को भी साफ रखना था। नगर निगम द्वारा छावनी कॉलोनी में, लालबुर्ज पर और रेतवाली में ये आधुनिक कचरा पात्र लगाए थे। वहीं छावनी चौराहे पर निजी संस्थान के सहयोग से उस कचरा पात्र को लगाया गया था। निगम व कचरा पात्र लगाने वाली फर्म का दावा था कि ये 20 से 30 साल तक चलेंगे। इन कचरा पात्रों के आस-पास इतनी सफाई रहने का दावा किा गया था कि पास में बैंचें लगाई गई थी। जहां बैठकर लोग अखबार पढ़ सकेंगे। लेकिन हालत यह है कि कचरा पात्र बदहाल हो चुके है। उनका उपयोग नहीं हो रहा है। इन कचरा पात्रों के बैग तक नहीं बदले जा रहे। कचरा इनके आस-पास इतना अधिक फेला हुआ है कि वह दुर्गंध मार रहा है। इन कचरा पात्रों के पास बैंचें तो लगी है लेकिन वहां न तो कोई बैठ सकता है और न ही वहां समाचार पत्र आ रहे है। इस तरह जनता के लाखों रुपए कचरे की भेंट चढ़कर रह गए।
स्मार्ट कचरा पात्रों के स्टैंड बचे, डिब्बे गायब
हालत यह है कि पिछले बोर्ड के कचरा पात्रों का उपयोग नहीं हुआ। वहीं वर्तमान बोर्ड में नगर निगम कोटा दक्षिण की ओर से फिर लाखों रुपए कचरा पात्रों पर खर्च किए गए। नगर निगम की ओर से शहर में प्रमुख चौराहों, स्थानों व मुख्य मार्गों पर लाखों की कीमत के नए स्टैंड वाले स्मार्ट कचरा पात्र लगाए गए। लेकिन हालत यह है कि लगने के कुछ समय बाद ही उनके कचरा डालने वाले डिब्बे गायब होने लगे। वर्तमान में हालत यह है कि करीब 100 स्मार्ट कचरा पात्र लगाए गए थे जिनमें से एक में भी डिब्बे नहीं है। सभी डिब्बे गायब हो गए उनके स्थान पर सिर्फ क्लीन कोटा लिखे स्टैंड ही दिख रहे है। छावनी चौराहा, दादाबाड़ी, किशोरपुरा और घोड़ा चौराहा समेत कोटा दक्षिण निगम में कई स्थानों पर लगे ये स्मार्ट कचरा पात्र भी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।
कोटा उत्तर ने लगाए प्लास्टिक के कचरा पात्र
बार-बार चोरी होने व दुर्दशा का शिकार होने के बाद अब नगर निगम कोटा उत्तर ने प्लास्टिक के कचरा पात्र लगाए है। नगर निगम की ओर से नदी पार, रिवर फ्रंट के आस-पास और मुख्य मार्गों पर इस तरह के कचरा पात्र लगाए हैं। जिससे उनके चोरी होने का खतरा नहीं है। वहीं कई जगह पर लोहे के बड़े-बड़े कचरा पात्र भी रखवाए जा रहे हैं। नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि समय के साथ हर बीच में बदलाव होता है। कचरा पात्रों को भी जरूरत के हिसाब से उपयोग में लिया जाता है। पुराने कचरा पात्रों की दुर्दशा की जानकारी नहीं है। वर्तमान में ऐसे कचरा पात्र लगाए गए हैं। जिससे न तो कोई उन्हें चुरा सकता है और न ही उन्हें ले जा सकता है। कचरा इन कचरा पात्रों में ही डालने की लोगों को आदत बनानी होगी। निगम अधिकारी व कर्मचारी सभी जगह पर लोगों को समझाइश नहीं कर सकते। सभी को पता है कि कचरा कचरा पात्र में डालना चाहिए। निगम अधिकारियों का कहना है कि जब लोग दूसरे शहरों में जाकर नियमों का पालन कर सकते हैं तो फिर अपने शहर में क्यों नहीं कर सकते। शहर को स्वच्छ व सुंदर रखना निगम के साथ लोगों की भी जिम्मेदारी है।
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