असर खबर का - सरकारी मंदिरों की भूमि से अतिक्रमण हटाए सरकार, मंदिरों की भूमि पर काबिज हो रहे अतिक्रमी

विधायक संदीप शर्मा ने विधानसभा में उठाया मामला

असर खबर का - सरकारी मंदिरों की भूमि से अतिक्रमण हटाए सरकार, मंदिरों की भूमि पर काबिज हो रहे अतिक्रमी

मंदिर माफी की जमीन पर कब्जे एवं पुजारियों पर हमले के मामलों पर सख्त कार्रवाई की जाए तथा मंदिर माफी की जमीनों एवं पुजारियों को राजकीय संरक्षण प्रदान किया जाए।

कोटा। कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने विधानसभा में सरकारी मंदिरों की भूमि पर हो रहे अतिक्रमण का मामला उठाया। विधायक शर्मा ने कहा कि प्रदेश में हजारों बीघा सरकारी मंदिर माफी की जमीनों पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है, इन कब्जों के लिए पुजारियों पर हमले और हत्या की जघन्य घटनाएं हुई हैं, इसलिए सरकार तत्काल कब्जे हटाने के लिए अभियान चलाए और पुजारियों को संरक्षण प्रदान करे। विधायक शर्मा ने पर्ची के माध्यम से सदन में यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि मंदिर हमारी संस्कृति के पोषक तत्व हैं जो विभिन्न जातियों को श्रद्धा के एक सूत्र में संगठित करने का कार्य करते हैं। इसलिए इनका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। मेरा आग्रह है कि मंदिर माफी की जमीन पर कब्जे एवं पुजारियों पर हमले के मामलों पर सख्त कार्रवाई की जाए तथा मंदिर माफी की जमीनों एवं पुजारियों को राजकीय संरक्षण प्रदान किया जाए।  

नहीं बेच सकते मंदिर माफी की जमीन
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विधायक शर्मा की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि अजमेर में भी भूमाफियाओं ने कब्जे करके कॉलोनी काटकर मकान बना लिए हैं, ऐसी स्थिति में जहां सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन है कि मंदिर माफी बेची नहीं जा सकती, इनकी एफआईआर दर्ज है, तो सरकार कठोरतम कार्रवाई ऐसे लोगों के खिलाफ करे, प्रांत में जहां भी है, सब जगह कार्रवाई करे। विधायक शर्मा ने बजट में मंदिरों में भोग राशि बढ़ाकर 3 हजार तथा पुजारियों का मानदेय बढ़ाकर 7 हजार 500 रुपए प्रतिमाह करने पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि 70 साल में मंदिरों के हित में जिनके काम नहीं हुए, उतने भजनलाल सरकार ने 1 साल में कर दिए। 

भूमाफिया इस तरह कर रहे अतिक्रमण
विधायक शर्मा ने कहा कि पुजारियों को कृषि भूमि का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं दूसरी ओर जो खातेदारी पुजारियों के नाम नहीं खुल पा रही है, वही जमीनें भूमाफियाओं द्वारा कब्जा कर अपने खाते खुलवाई जा रही है। इन मंदिरों की जमीनों पर कब्जे के लिए भूमाफियाओं द्वारा हत्या, धमकाने, मारपीट कर गैरकानूनी रूप से खाते बंधवाने के कई प्रकरण सामने आए हैं। हाल ही में दौसा के महुआ में शम्भू पुजारी की हत्या इसका ताजा उदाहरण है।1963 में राजपत्र की घोषणा के अनुसार मंदिर माफी की जमीनों पर पुजारियों को खातेदारी दी गई थी। चूंकि इन जमीनों का लगान वसूल कर लिया गया था इसलिए इनकी माफी भी खत्म है। 

नवज्योति ने प्रमुखता से उठाया था अतिक्रमण का मामला
कोटा जिले में सरकारी मंदिरों की जमीन पर हो रहे अतिक्रमण के मामले को प्रमुखता से उठाया था। इसमें बताया था कि कोटा जिले के रायपुरा क्षेत्र में कृषि भूमि पर धड़ल्ले से भूखंड बेचे जा रहे है। कृषि भूमि के बीच में देवस्थान विभाग के अधीन मंदिरों की भूमि है। कृषि भूमि की आड़ में मंदिरों की भूमि पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है। रायपुरा क्षेत्र में जमीनें काफी बेशकीमती है। इस कारण सरकारी भूमि पर अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा था। कर्णेश्वर मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण का दायरा बढ़ने के कारण विभाग को यहां पर डिजिटल सर्वे करवाना पड़ा। सर्वे में पता चला था कि मंदिर की जमीन की काफी संख्या में मकान बन गए हैं। देवस्थान विभाग के पास कार्मिकों की फौज नहीं होने से सरकारी जमीनों से अतिक्रमण नहीं हट पा रहा है। 

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