राजस्थान कांग्रेस में नजर आएंगे बड़े बदलाव, डोटासरा-पायलट का बढ़ा कद
सचिन पायलट की मेहनत रंग लाई
गठबंधन सीटों में सीकर में डोटासरा, नागौर में अशोक गहलोत और बांसवाडा में आलाकमान का दखल रहा।
जयपुर। राजस्थान लोकसभा चुनाव में 11 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस में जबरदस्त उत्साह बना हुआ है। अब राजस्थान कांग्रेस की आगामी राजनीति भी जल्द नई करवट ले सकती है। संगठन को मजबूत करने के लिए संगठन की कमान नए सिरे से तय की जाने की तैयारी है। पिछले 2 लोकसभा चुनाव से कांग्रेस राजस्थान में खाता नहीं खोल पाई। इस बार भी मोदी से चुनौती के बीच दिग्गज नेताओं में पीसीसी चीफ गोविन्द डोटासरा और कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट की मेहनत रंग लाई, तो गहलोत के राजनीतिक अनुभव का रणनीति बनाने में फायदा मिला। कुल 11 सीट में से कांग्रेस के जीते 8 प्रत्याशियों में अकेले पायलट के 6 समर्थक जीते हैं और 2 गोविन्द डोटासरा के जीते हैं। गठबंधन सीटों में सीकर में डोटासरा, नागौर में अशोक गहलोत और बांसवाडा में आलाकमान का दखल रहा।
राजस्थान में 10 साल बाद 11 सांसदों का जीतना कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी साबित हुआ है। अब इन परिणामों का असर राजस्थान कांग्रेस की आगामी कार्यशैली पर पड़ेगा। चुनाव परिणाम की समीक्षा बैठक के बाद कांग्रेस राजस्थान में जीत के नायक नेताओं को संगठन सौंपेगी। सत्ता पक्ष पर जमकर हमला बोलने वाले तेज तर्रार बयान देने वाले गोविन्द डोटासरा का कद और बढ़ गया है, तो पायलट का कद दिल्ली में और मजबूत हो गया है, क्योंकि पायलट ने देशभर में सभाओं का अच्छा रिकॉर्ड बनाकर आलाकमान पर प्रभाव छोड़ा है। आगामी दिनों में पायलट और डोटासरा जैसे नेताओं के हाथ में ही संगठन की कमान रहेगी। गहलोत की रणनीति मजबूत रही, लेकिन अपने जोधपुर संभाग और गृह जिले जोधपुर सहित जालोर सीट पर उम्मीद अनुसार सफलता नहीं दिला पाए। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी भी कोई खास कमाल नहीं कर पाए। अब कांग्रेस को राजस्थान में मजबूत करने के लिए वरिष्ठ नेताओं की नए सिरे से जिम्मेदारी तय होगी। गहलोत के अनुभव का राष्ट्रीय स्तर पर लाभ लिया जा सकता है।
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