शहरों में रोजगार गारंटी योजना बंद, फंड पर लगा ब्रेक
योजना का आगामी भविष्य तय हो सकेगा
योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई हैं। अब इसके रिव्यू की बात कही जा रही हैं। उसके बाद ही योजना का आगामी भविष्य तय हो सकेगा।
जयपुर। मनरेगा की तर्ज पर शहरों में रोजगार की गारंटी के लिए शुरू की गई इंदिरा गांधी शहरी गारंटी योजना बंद हो गई है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय शुरू हुई इस योजना के लिए भाजपा सरकार बनने के बाद से ना तो फंड मिला और ना ही नए कामों की स्वीकृति। स्थानीय निकायों में कई लोग तो योजना में काम करने के बाद पैसों के लिए भी चक्कर काट रहे हैं। योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई हैं। अब इसके रिव्यू की बात कही जा रही हैं। उसके बाद ही योजना का आगामी भविष्य तय हो सकेगा।
100 से बढ़ाकर 125 दिन का नहीं मिला रोजगार
वित्तीय वर्ष 2022-23 में 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया जाना था, जिसे वित्तीय वर्ष 2023-24 में बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया लेकिन 125 दिन का रोजगार करने वालों की संख्या ना के बराबर रही। अर्थात 101 से 125 दिन का रोजगार करने वालों की संख्या 2023-24 में 21 हजार 538 रही।
125 दिन के रोजगार की दी थी गारंटी
योजना 9 सितंबर 2022 से शुरू हुई। योजना का उदेश्य शहरी क्षेत्र में निवास कर रहे जरुरतमंद परिवार को वित्तीय वर्ष 2022-23 में 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध करवाया जाना था, जिसे वित्तीय वर्ष 2023-24 में बढ़ाकर 125 दिवस का गारंटी रोजगार उपलब्ध करवाकर उसकी आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। 15 जनवरी 2024 तक कुल 6.07 लाख परिवारों को जॉब कार्ड जारी किया गया। योजना के प्रारंभ से कुल 24224 कार्य स्वीकृत किए जाकर 1537.57 करोड़ की प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति जारी कर राशि 470.00 करोड़ का भुगतान कर 1.96 करोड़ मानव दिवस सृजित किए गए हैं।
राजस्थान के 56% ग्रेजुएट युवा बेरोजगार
एक रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा के बाद राजस्थान में बेरोजगारी ज्यादा हैं। राजस्थान में बेरोजगारी दर 26 प्रतिशत है, जबकि हरियाणा में यह आंकड़ा 36 प्रतिशत हैं। राजस्थान के 56 प्रतिशत ग्रेजुएट युवा बेरोजगार हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 20 प्रतिशत हैं। ग्रेजुएट की बेरोजगारी में राजस्थान राष्ट्रीय औसत से दोगुने से ज्यादा हैं। सीएमआईई की यह रिपोर्ट कोरोना काल की हैं। महिला बेरोजगारी में देश में हरियाणा और जम्मू कश्मीर के बाद राजस्थान तीसरे स्थान पर हैं। राजस्थान में महिला बेरोजगारी की दर 65 प्रतिशत हैं। शहरी महिलाओं की बेरोजगारी दर 92 प्रतिशत हैं। पुरूष बेरोजगारी दर में भी राजस्थान हरियाणा के बाद दूसरे स्थान पर हैं।
स्थायी रोजगार नहीं हैं, कभी रोजगार मिल जाता हैं, कभी नहीं मिल पाता। महंगाई में परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हैं।
- गुटकेश सिंह, मानसरोवर निवासी
गांवों से रोजगार के लिए ही शहरों में आए थे, लेकिन यहां भी बेरोजगारी का आलम गांवों की तरह हैं। सरकार कोई स्थायी रोजगार की व्यवस्था करें।
- मालीराम जांगिड़, झोटवाड़ा
महंगाई के दौर में शहरों में किसी तरह के स्थायी रोजगार की व्यवस्था जरुरी हैं।
- हितेश आर्य, नाड़ी का फाटक
चुनावी आचार संहिता के बाद अब वृक्षारोपण का कार्य स्थानीय निकायों में चलेगा। इसके लिए निकायों को लक्ष्य आवंटित किए गए हैं। शहरी रोजगार गारंटी में फिलहाल नए कामों का सृजन नहीं हुआ हैं।
- श्याम सिंह, अतिरिक्त निदेशक, डीएलबी
Comment List