पवित्र सावन मास में गलता पीठ से निकल रही कांवड़ यात्राएं
पवित्र सावन मास में गलता पीठ से बड़ी संख्या में कांवड़ यात्राएं जल लेकर जा रही है। कावड़ यात्राएं छोटे बच्चों से लेकर बड़े युवा तक खुद अपने हाथों से बनाते हैं।
जयपुर। पवित्र सावन मास में गलता पीठ से बड़ी संख्या में कांवड़ यात्राएं जल लेकर जा रही है। कावड़ यात्राएं छोटे बच्चों से लेकर बड़े युवा तक खुद अपने हाथों से बनाते हैं। लोटे में जल भरकर कलाया आदि बांधकर कांवड़ को लकड़ी के दोनों तरफ बांध कर निकलते हैं। शनिवार को गलता पीठ से 50 श्रद्धालु गोनेर डाहर के गांव कावड़ लेकर गए।
कावड़ ले जाने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि बड़ी ही श्रद्धा के साथ कर ले जाने का कार्य किया जाता है यह उनकी 11वीं कावड़ यात्रा है इसके लिए कावड़ियों को कुछ सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं कावड़ का पूजन करने के बाद उसे जमीन पर रखने का विधान नहीं है। रात्रि विश्राम के दौरान एक अच्छे से ऊंचे स्थान पर कावड़ को रखा जाता है उसके बाद कावड़िया अपने खाने-पीने और नींद आदि का काम करते हैं इसके बाद उन्हें तड़के उठकर कावड़ यात्रा आरंभ हो जाती है। तपती धूप में नंगे पैर कावड़ को ले जाया जाता है कोसों दूर तक पैदल चलना पड़ता है बोल बम हर हर महादेव ओम नमः शिवाय के जयकारे लगाते हैं। पिछले 15 सालों से कावड़ यात्रा ले जा रहे हैं 90 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद डाहर गांव में स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर पर यह जल भगवान शिव को अर्पित किया जाएगा।
Comment List