बढ़ती पेंडेंसी की चिंता को लेकर एफएसएल ने मांगे थे संसाधन, बजट में मिली शराब की जांच के लिए कैमिस्ट्री लैब

पुलिस अधीक्षक एफएसएल विभाग को डीओ लेटर जारी करते हैं

बढ़ती पेंडेंसी की चिंता को लेकर एफएसएल ने मांगे थे संसाधन, बजट में मिली शराब की जांच के लिए कैमिस्ट्री लैब

न्याय की बात करें तो 15 हजार दुष्कर्म के केस सिर्फ एफएसएल रिपोर्ट नहीं आने पर पेंण्डिग चल रहे हैं और दरिंदगी करने वाले आरोपियों को सजा नहीं मिल सकी है। 

जयपुर। प्रदेश में समय पर एफएसएल में नमूनों की जांच सही समय पर नहीं होने के कारण 15 हजार बच्चियों और महिलाओं को न्याय का इंतजार है। संसाधनों की कमी के कारण अब तक राजस्थान में डीएनए के 18 हजार केस और साइबर के चार हजार से अधिक केस पेण्डिंग हैं। जब समय पर हर रिपोर्ट नहीं मिलती तो कई केस में पुलिस अधीक्षक एफएसएल विभाग को डीओ लेटर जारी करते हैं और कोर्ट समय पर जांच रिपोर्ट नहीं भेजने के कारण एफएसएल अधिकारियों को तलब करते हैं। वहीं एफएसएल विभाग में डीएनए और साइबर जांच के मामलों की बात की जाए तो डीएनए और साइबर में स्टाफ जीरो है। डीएनए के 18 हजार केसों में से 15  हजार केस दुष्कर्म और पॉक्सो के हैं। 3000 मामले अज्ञात शव समेत अन्य प्रकरणों के हैं। हर माह 300 से अधिक केसों की पेंडेंसी बढ़ रही है। यानी न्याय की बात करें तो 15 हजार दुष्कर्म के केस सिर्फ एफएसएल रिपोर्ट नहीं आने पर पेंण्डिग चल रहे हैं और दरिंदगी करने वाले आरोपियों को सजा नहीं मिल सकी है। 

एफएससएल ने क्या मांगा
पॉक्सो और दुष्कर्म के केस में डीएनए जांच की बढ़ती पेंडेंसी को लेकर विभाग ने गृह विभाग को प्रस्ताव बनाकर भेजा। इसमें डीएनए को मजबूत करने की बात कही गई और करीब 20 यूनिट शुरू करने के लिए प्रस्ताव भेजा। एक यूनिट में करीब छह एक्सपर्ट होते हैं। इस तरह करीब 20 डीएनए जांच करने वैज्ञानिकों को देने के लिए पत्र भेजा गया। इसके अलावा बढ़ते साइबर अपराधों की जांच के लिए भी एक भी एक्सपर्ट नहीं होने के कारण चार चार यूनिट करीब 25 एक्सपर्ट देने का प्रस्ताव भेजा गया। कहा गया कि यदि ये प्रस्ताव मान लिया जाता है तो एफएसएल डीएनए जांच की पेंडेंसी को बहुत कम सकती है। 

ये कैसे हुआ
एफएसएल की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को नहीं माना गया और जानकारों के अनुसार बजट में कैमिस्ट्री विंग को मजबूत करने के लिए घोषणा की गई जबकि कैमिस्ट्री किसी भी तरह से प्राथमिकता में थी ही नहीं। कैमिस्ट्री में ज्यादातर केस शराब से संबंधित आते हैं, इसके अलावा काफी लम्बे समय में किसी केमिकल की जांच के लिए नमूने आ जाते हैं। बाकी समय एफएसएल का कोई अहम रोल कैमिस्ट्री में नहीं रहता। किसी भी जिला पुलिस अधीक्षक ने शराब की जांच  के लिए डीओ लेटर नहीं लिखा और कोर्ट ने किसी मामले में तलब नहीं किया। 

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