हमारा हौसला पूंछो, तो फिर मंझधार से पूंछो
अखाड़ा करतब सीखने में लगे पांच साल लेकिन हार नहीं मानी
कोटा में भी ऐसे व्यक्तित्व वाली महिलाओं में से एक मंग्लेश्वर महादेव व्यायामशाला की गायत्री सुमन जो अपने दम पर पूरे अखाड़े और व्यायामशाला को चलाती ही नहीं बल्कि हर साल बड़े आयोजन भी करती हैं।
कोटा। भंवर में कैसे बच पाया, किसी पतवार से पूछो, हमारा हौसला पूंछो, तो फिर मंझधार से पूंछो। अपने दम पर किसी संस्था को खड़ा करना और उसका सफलता पूर्वक संचालन करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। लेकिन कुछ शख्सियतें ऐसी होती हैं जो हर नामुमकिन काम को मुमकिन बना ही लेती हैं। कोटा में भी ऐसे व्यक्तित्व वाली महिलाओं में से एक मंग्लेश्वर महादेव व्यायामशाला की गायत्री सुमन जो अपने दम पर पूरे अखाड़े और व्यायामशाला को चलाती ही नहीं बल्कि हर साल बड़े आयोजन भी करती हैं। गायत्री सुमन ने पहले अखाड़ा खेलना सीखा फिर उसे बाकी लड़कियों को सिखाया और आज अपने दम पर पूरी व्यायामशाला को एक संस्था के रूप में चलाती हैं।
पांच साल लगे करतब सीखने में
सुभाष नगर स्थित मंग्लेश्वर व्यायामशाला की उस्ताद गायत्री सुमन ने बचपन से ही अखाड़ा खेलने और करतब दिखाने को लेकर मन बना लिया था। जिसकी शुरूआत उन्होंने अपने घर से ही कर दी थी। गायत्री ने सबसे पहले अखाड़ा खेलना छावनी स्थित मंग्लेश्वर व्यायामशाला में गुरू नाथूलाल पहलवान की देखरेख में शुरू किया। गायत्री बताती हैं कि शुरूआत में खुद को भी थोड़ी घबराहट हुई लेकिन धीरे धीरे सीखते चली गई तो आसान लगने लगा। वहीं आस पास भी लोग कहते थे कि अखाड़ा कैसे करोगी, कैसे लठ और तलवार को चला पाओगी। लेकिन घर वालों के प्रोत्साहन के चलते लोगों को नजरअंदाज कर अखाड़ा खेलना जारी रखा और आज 20 साल हो चुके हैं।
अपने दम पर शुरू की व्यायामशाला
गायत्री सुमन ने अखाड़ा सीखने के बाद अखाड़ा खेलना जारी रखने साथ ही साल 2020 में सुभाष नगर में भी मंगलेश्वर महादेव व्यायाम शाला के नाम से खुद की व्यायाम शाला की शुरू कर दी। गायत्री बताती हैं कि उन्हें अखाड़े से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को मुश्किल समय में अपनी रक्षा करने के लिए तैयार करने का लक्ष्य रखा है। गायत्री का कहना है कि जब लड़कियां और महिलाएं हाथों में लठ, बल्लम और तलवार जैसे शस्त्र लेकर निकलती हैं तो उन्हें अच्छा लगता है। जिसके चलते ही वो अपने खर्चे पर आज करीब 100 बालिकाओं और महिलाओं को अपनी व्यायामशाला में अखाड़ा सिखाती हैं। इसके अलावा अपने खर्चे पर ही हर साल अनंत चतुर्दशी पर जुलूस का आयोजन करती हैं।
दिन में दुकान और शाम को अखाड़ा
गायत्री सुमन का कहना है कि वो एक र्स्वणकार का कार्य भी करती हैं, जिसके लिए वो दिन का समय रखती हैं। गायत्री हर रोज अपने कार्य से आने के कुछ समय बाद ही व्यायामशाला आ जाती है। जहां अपनी व्यायामशाला में आने वाली महिलाओं और बालिकाओं को करतब सिखाना शुरू कर देती हैं। गायत्री हर दिन शाम को 7 बजे से 9.30 बजे अखाड़े में समय व्यतित करती हैं।
देश के लिए खेलने की चाहत
अखाड़े में करतब सीखने आने वाली बालिका सपना ने कहा, वो पिछले दो साल से तलवारबाजी और कुश्ती सीखने आ रही हैं और आगे भविष्य में भारत के लिए कुश्ती खेलना चाहती हैं। अच्छा लगता हैं जब लोग उनके करतबों पर दंग रह जाते हैं और तारीफ करते हैं। ज्योति सुमन ने कहा, वो हर दिन शाम को सारे कामों से फ्री होकर अखाड़े में आ जाती हैं ताकि प्रैक्टिस के बाद कुछ नया सीख सकें। ज्योति ने बताया कि वो पहले अन्य अखाड़े में प्रैक्टिस करती थी लेकिन पिछले साल से यहां अखाड़ा शुरू होने के बाद यहीं करती हैं।
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