Anant Chaturdashi
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Read More... इस चाल पर चलेगी तलवार रफ्ता...रफ्ता, अखाड़े में बालिकाएं सीख रही विभिन्न करतब
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व्यायामशाला द्वारा शहर में निकलने वाली अनंत चतुर्दशी की शोभायात्रा में महिला अखाड़े द्वारा एक से बढ़कर एक हैरतअंग्रेज प्रदर्शन किया जाता हैं। गणेशोत्सव पर बाजार में बरसा 100 करोड़
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कोटा में दस दिवसीय गणेशोत्सव में वाहन, इलेक्ट्रानिक सामान और भूमि, भवन और फ्लेट की भी जमकर बिक्री हुई । असर खबर का - निगम ने विसर्जन के दौरान ही बनाया भीतरिया कुंड में वैकल्पिक पौंड
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निगम की ओर से वैकल्पिक पौंड बनाने के बाद पीओपी की अधिकतर मूर्तियों का विसर्जन उसी पौंड में करवाया गया। खुद से की महिलाओं और लड़कियों के अखाड़े में आने की शुरूआत
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हर अनंत चतुर्दशी और डोल एकादशी से पहले व्यायामशाला में मानो जश्न सा माहौल बन जाता है। हमारा हौसला पूंछो, तो फिर मंझधार से पूंछो
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कोटा में भी ऐसे व्यक्तित्व वाली महिलाओं में से एक मंग्लेश्वर महादेव व्यायामशाला की गायत्री सुमन जो अपने दम पर पूरे अखाड़े और व्यायामशाला को चलाती ही नहीं बल्कि हर साल बड़े आयोजन भी करती हैं। शादी के बाद सास ने चूल्हा चौका नहीं हाथ में तलवार और लठ पकड़ाया था
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अनंत चतुदर्शी के अवसर पर निकलने वाले जुलूस में महिला अखाड़े भी अपने करतबों से लोगों को दांतों तले उंगलियां चबाने पर मजबूर कर देते हैं। हेरत अंगेज व परंपरागत करतब दिखाएंगे पट्टेबाज
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इस अखाड़े में पहले कुश्ती का दंगल का अखाड़ा हुआ करता था बाद में यहां व्यायामशाला और शस्त्रों के अखाड़े कि शुरूआत हुई और लड़के आने लगे। तलवार और अग्नि चक्कर के करतब से चौंकाने की कर रहे तैयारी
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इस अखाड़े में करीब 100 लड़के हर दिन प्रैक्टिस करने आते हैं और हर साल अनंत चर्तुदशी से 1 महीने पहले प्रैक्टिस करना शुरू कर देते हैं। चाकू से लगाएंगें आंखों में काजल, पलकों से उठाएंगें सूई
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यह अखाड़ा कोटा का सबसे पुराना अखाड़ा है जिसकी स्थापना उस्ताद चौथमल द्वारा करीब सौ साल पहले की गई थी। तलवार, चक्कर और भाला चलाने में माहिर हैं यह लड़कियां
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लडकियां तलवार, भाला घुमाने और अखाड़े के साथ साथ मलखम्ब और कुश्ती की भी यहां प्रैक्टिस करती हैं। तलवार चलाने से लेकर भाला घूमाने तक लौहा मनवा रही नारी शक्ति
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पीरामिड बनाना या मटकी फोड़ना हो इन लड़कियों को किसी भी करतब को करने में महारत हासिल है। नन्ही बेटियां ही नहीं साड़ी पहनकर महिलाएं भी चलाती हैं यहां तलवार
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व्यायामशाला में 2 वर्ष से लेकर 40 वर्ष तक कि बालिकाएं व महिलाएं हर दिन शाम होते ही घर के काम खत्म कर अभ्यास में जुट जाती हैं। 