International Dog Day: एक एक्सीडेंट ने बदला डॉग्स का जीवन, मुहिम से जुड़कर स्ट्रीट डॉग्स को गोद ले रहे लोग
अब तक छह से सात हजार स्ट्रीट डॉग्स को जयपुरवासियों ने लिया गोद
जयपुराइट्स सिर्फ ब्रीड वाले डॉग्स ही न पालकर स्ट्रीट डॉग्स को भी गोद ले रहे हैं और देशभर में इसकी मिसाल पेश कर रहे हैं।
जयपुर। एक एक्सीडेंट से शुरू हुई यह मुहिम आज सात हजार से ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स को बेहतर जीवन दिलवा चुकी है। जयपुर के डॉग लवर वीरेन शर्मा ने पांच साल पहले स्ट्रीट डॉग्स को अडॉप्ट करने की मुहिम शुरू की और आमजन में हमेशा से बनी आ रही अच्छी ब्रीड के डॉग को पालने की भ्रांति को तोड़ा। जयपुराइट्स सिर्फ ब्रीड वाले डॉग्स ही न पालकर स्ट्रीट डॉग्स को भी गोद ले रहे हैं और देशभर में इसकी मिसाल पेश कर रहे हैं।
रोड एक्सीडेंट से शुरू हुई मुहिम
स्ट्रीट डॉग्स अडॉप्शन की मुहिम शुरू करने वाले वीरेन बताते हैं कि मालवीय नगर से महिला ने मुझे फोन पर बताया कि उनके घर के पास एक स्ट्रीट डॉग और उसके 10 बच्चे थे जिन्हें वह समय-समय पर खाना दिया करती थी लेकिन फीमेल डॉग और एक बच्चा रोड एक्सीडेंट में मारे गए। ऐसे में हमने उन बच्चों को लिया और इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर करके लोगों से उसे अडॉप्ट करने की अपील की। हमने इन डॉग्स को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने पर काम किया। स्ट्रीट डॉग्स कई मायनों में विदेशी नस्ल के डॉग्स से बेहतर होते हैं। उनकी इम्यूनिटी पावर अच्छी होती, लो मेंटीनेंस होते हैं। वीरेन ने बताया कि शुरूआत में पोस्ट शेयर करने पर उसका कोई रेस्पॉन्स नहीं मिलता था लेकिन जब हमने लोगों को स्ट्रीट डॉग्स के फायदे बताए तो अब इंस्टग्राम पर पोस्ट शेयर होते ही लोगों के मैसेज कॉल्स आने लगते हैं। हम दिन में औसतन 3 से 4 पपीज को अडॉप्ट कराते हैं। लीगल डॉक्यूमेंटेशन करके ही लोगों को बच्चा हैंडओवर करते हैं।
रिकॉर्ड बुक में दर्ज हुआ अडॉप्शन
मुहिम शुरू होने के बाद लोगों में देसी डॉग्स रखने का ऐसा उत्साह बना है कि एक कैंप में सबसे ज्यादा देसी डॉग्स के अडॉप्शन का विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया जा चुका है। इस एक्टीविटी को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड व वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिकॉर्ड बुक में दर्ज किया। रिकॉर्ड्स बुक के अनुसार विश्व में इस तरह का रिकॉर्ड पहली बार बना।
300 डॉग्स का कराया इलाज
वहीं दूसरी ओर होप एंड बियोंड के डॉ.जॉय गार्डनर और उनकी टीम पेडीग्री एवं स्ट्रीट डॉग्स को गोद लेने, इनके एनिमल बर्थ कंट्रोल कराने, उन्हें रेडियम कॉलर पहनाने और सड़कों पर घायल डॉग्स की मदद करने के लिए लगातार काम कर रही है। गार्डनर ने बताया कि 3 साल के दौरान संगठन ने लगभग 250 डॉग्स की नसबंदी करवाई है। वहीं कहीं भी घायल या बीमार डॉग्स मिलने पर इनका इलाज भी कराया गया है। अब तक इस पहल के तहत लगभग 300 डॉग्स का इलाज किया जा चुका है। समय-समय पर लोगों को जागरूक करने और उनमें डॉग्स के प्रति भय कम करने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है।
घर के आसपास रोजाना स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाता था। लेकिन जब देखा कि वे सड़क पर सर्वाइव नहीं कर पाएंगे तो इन्हें घर ले आया। अब ये भी मेरी फैमिली का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। लोगों से बोलना चाहूंगा कि वे भी इस मुहिम में जुड़ सकते हैं।
-रजनीश दास, निवासी, जवाहर नगर
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