भोपाल से कोटा आएगा टाइगर का जोड़ा!
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में बाघ-बाघिन, लॉयन लाने की कवायद तेज
वन्यजीव विभाग ने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को लिखे पत्र।
कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में भोपाल चिड़ियाघर से बाघ-बाघिन का जोड़ा लाया जाएगा। वहीं, लॉयन, ऐमु व चिंकारा सहित अन्य वन्यजीवों को भी लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके लिए वन्यजीव विभाग कोटा ने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को पत्र लिखे हैं। साथ ही केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को भी पत्र लिखे जा रहे हैं। जहां से अनुमति मिलने पर वन्यजीवों की शिफ्टिंग का रास्ता साफ हो जाएगा। गौरतलब है कि अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में बाघ नाहर की मौत व लॉयन नहीं होने से पार्क के राजस्व पर विपरीत असर पड़ा। ऐसे में वन्यजीव विभाग बड़े एनिमल लाने की तैयारी में जुटा है।
4 से 8 वर्ष के बाघ-बाघिन लाना प्राथमिकता
वन्यजीव विभाग के डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि भोपाल चिड़ियाघर में अच्छी संख्या में बाघ-बाघिन हैं। यहां से कम उम्र का ही जोड़ा लाना प्राथमिकता में है। हमारी कोशिश है कि 4 से 8 वर्ष के बीच आयु के बाघ-बाघिन लाने की है। ताकि, ब्रिडिंग होने से बायोलॉजिकल पार्क में इनकी संख्या में इजाफा हो सके और भविष्य में यहां बाघों का कुनबा पनप सके। इस संबंध में एक सप्ताह पूर्व ही मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को पत्र लिखा जा चुका है। भोपाल चिड़ियाघर के अधिकारियों से भी सम्पर्क किया जा रहा है।
जयपुर से लाए जाएंगे चार ऐमु
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नोन फ्लाई बर्ड यानी (उड़ने में अक्षम) पक्षी की झलक अब अभेड़ा बायलॉजिकल पार्क में देखने को मिलेगी। वन्यजीव विभाग ने पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से 4 ऐमु लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इनमें 1 नर व 3 मादा शामिल हैं। हालांकि, इससे पहले अगस्त 2019 में चार ऐमु माछिया बायोलॉजिकल पार्क से कोटा चिड़िया घर में लाए गए थे, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। गत वर्ष चारों ऐमु की मृत्यु हो गई थी।
चिंकारा भी करेंगे एंट्री
जोधपुर के माछिया बायोलॉजिकल पार्क से 4 चिंकारा अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किए जाएंगे। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर भिजवा दिए गए हैं। इनमें 2 मेल और 2 फिमेल जोड़े शामिल हैं। वर्तमान में अभेड़ा में 4 फिमेल चिंकारा है। ऐसे में 4 नए आने से इनकी संख्या 8 हो जाएगी। इस संबंध में भी सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू को पत्र लिखा जा चुका है।
लॉयन-टाइगर नहीं होने से घटा राजस्व
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, लॉयन व टाइगर जैसे बड़े एनीमल न होने से अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क की सालाना इनकम पर विपरीत असर पड़ रहा है। जनवरी 2023 से अगस्त 2024 तक बायोलॉजिकल पार्क को 61 लाख 72 हजार 550 रुपए का ही राजस्व एकत्रित हुआ है। राजस्व का यह आंकड़ा करीब दो साल का है। जबकि, गत वर्ष 12 महीनों में ही राजस्व करीब 48 लाख रुपए था। ऐसे में लॉयन, टाइगर व एमू, फॉक्स जैसे वन्यजीव के अभाव में पर्यटकों का अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के प्रति रुझान कम हो रहा है। जिससे सरकार को होने वाली आय में गिरावट हो रही है।
न कैफेटेरिया और न पर्याप्त वाटरकूलर
छावनी निवासी रेखा सोमानी, आशा सचदेवा, संजय नगर की गीता, पल्लवी व पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि यहां पिछले तीन साल से अब तक कैफेटेरिया नहीं बन पाया। चाय नाश्ते के लिए भटकना पड़ता है। वाटर कूलर भी मात्र दो ही लगे हैं, जो शुरुआत में दूसरा आखिरी छोर पर है। ऐसे में पानी के लिए तरसना पड़ता है। सुविधाएं अधूरी हैं, जिसकी वजह से कई बार आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ता है। विभाग को जरूरत की सुविधाएं तो बढ़ानी चाहिए।
सज्जनगढ़ से लॉयन लाने का प्रयास
डीएफओ भटनागर ने कहा, उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से लॉयन लाने के प्रयास फिर से तेज कर दिए हैं। हालांकि पूर्व में उदयपुर वन्यजीव विभाग के अधिकारी ने लॉयन सफारी शुरू किए जाने का हवाला देते हुए हाईब्रिड लॉयन अली कोटा को देने में असमर्थता जताई थी लेकिन, सज्जनगढ़ में गुजरात से लॉयन का जोड़ा लाया जा चुका है। ऐसे में एक लॉयन अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क को मिले, इसके लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को फिर से पत्र लिखा गया है। पार्क के विकास के लिए लगातार हर संभव कोशिश की जा रही है।
मगरमच्छ, घड़ियाल, लव बर्ड्स आएं तो दोगुनी हो आय
बायोलॉजिकल पार्क के निर्माण के दौरान 44 एनक्लोजर बनने थे लेकिन प्रथम चरण में मात्र 13 ही बन पाए। जबकि, 31 एनक्लोजर अभी बनने बाकी हैं। जब तक यह एनक्लोजर नहीं बनेंगे तब तक पुराने चिड़ियाघर में मौजूद घड़ियाल, मगरमच्छ, अजगर, बंदर, कछुए, सारस व लव बर्ड्स सहित एक दर्जन से अधिक वन्यजीव बायलॉजिकल पार्क में शिफ्ट नहीं हो पाए। यदि, यह जानवर व पक्षी यहां शिफ्ट किया जाए तो पार्क की कमाई में दोगुना इजाफा होगा। वहीं, पर्यटकों को देखने के लिए ज्यादा एनीमल मिल सकेंगे।
इनका कहना
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के विकास के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। भोपाल चिड़ियाघर से बाघ का एक जोड़ा लाने का प्रयास हैं। इसके लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को पत्र लिखा गया है। साथ ही लॉयन, ऐमू व चिंकारा सहित अन्य एनीमल लाने के भी प्रयास जारी हैं। बजट के अभाव में कैफेटेरिया सहित अन्य वन्यजीवों के एनक्लोजर का काम अटका हुआ है। बजट के लिए भी प्रयास कर रहे हैं।
- अनुराग भटनागर, डीएफओ वन्यजीव विभाग
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