6 महीने बाद भी नहीं लगे डिवाइडर पर पौधे

झालावाड़ सिटी फोरलेन पर पौधे उखाड़कर डिवाइडर पर नए लगाना भूल गए जिम्मेदार

6 महीने बाद भी नहीं लगे डिवाइडर पर पौधे

वन महोत्सव के दौरान जिलेभर में सघन पौधारोपण किया जाता है।

झालावाड़। झालावाड़ के सिटी फोरलेन के मध्य बनाया गया डिवाइडर जो कुछ समय पहले तक हरियाली और फूलों से गुलजार हुआ करता था, इन दिनों उजड़ा हुआ पड़ा है, लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस डिवाइडर को उजाड़ तो दिया गया, लेकिन उजाड़ते समय इसको वापस आबाद करने के जो वादे हुए थे उनमें से एक भी वादा पूरा नहीं हो पाया है। 23 जुलाई 2024 को इस डिवाइडर पर लगे हुए पौधों को हटाकर नए फूलदार पौधे लगाए जाने की बात कही गई थी और प्रशासन की तरफ से इस कार्यवाही को शुरू किया गया था, लेकिन अब लगभग 6 महीने का समय बीत जाने के बाद भी यह डिवाइडर उजड़े हुए वीरान पड़े हैं। झालावाड़ सिटी फोर लेन के निर्माण के साथ ही इस डिवाइडर का निर्माण भी हुआ था तथा इस वक्त इस पर फूलदार पौधे लगा दिए गए थे। धीरे-धीरे यह पौधे बड़े होने लगे और फूल भी देने लगे। समय के साथ-साथ पौधों ने अच्छा आकर ले लिया जिससे एक लाइन में चलने वाली गाड़ियों की हेडलाइट की रोशनी दूसरी लाइन में जाना भी बंद हो गई। डिवाइडर पर पौधे लगाए जाने का मुख्य कारण यही होता है कि आमने-सामने चलने वाली गाड़ियों की हेडलाइट की रोशनी एक दूसरे पर ना पड़े, क्योंकि इसके कारण काफी दुर्घटनाएं घटित हो जाती हैं झालावाड़ के सिटी फोरलेन पर लगे हुए पौधों को हटाने का विचार जिला प्रशासन के मन में उस वक्त आया, जब वन महोत्सव की शुरूआत की गई। वन महोत्सव के दौरान जिलेभर में सघन पौधारोपण किया जाता है। इसी के चलते इस डिवाइडर पर रंगीन फूलों वाले खूबसूरत पौधे लगाने का मन बनाया गया और जिला प्रशासन की तरफ से आदेश जारी कर दिए गए। अभियान की शुरूआत विधिवत्त झालावाड़ मिनी सचिवालय के मुख्य द्वार के सामने डिवाइडर पर लगे पुराने पौधों को हटाकर नए पौधे लगाकर की गई और एक बड़ा आयोजन हुआ, जिसमें कई संस्थाएं, एनजीओ और निजी विद्यालयों ने भाग लिया। इस अवसर पर सभी संस्थाओं ने अपने-अपने हिसाब से डिवाइडर को गोद लेकर पौधे लगाने और सार संभाल करने की बात कही और अनेक वादे किए गए, लेकिन नतीजा हमेशा की तरह वही "ढ़ाक के तीन पात" रहा। आज डिवाइडर की हालत किसी से छुपी नहीं है ऐसे में सवाल पैदा होता है कि आखिर वह सभी संस्थाएं जिन्होंने पौधे लगाने और संभालने के वादे किए थे वह अब कहां है।
  
 पुराने पौधे हटाकर नए पौधे लगाए जाने के अभियान की शुरूआत झालावाड़ जिला कलेक्टर के सानिध्य में हुई थी। ऐसे में जब हमने जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौर से इस पूरे मामले को लेकर बात की तो उन्होंने कहा कि मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए ऐसे सभी हिस्से जहां पर पौधे नहीं है या सूख गए हैं, वहां पर पौधे लगवाएंगे। जिला कलेक्टर ने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निर्देश भी दिए कि तुरंत प्रभाव से उन सभी संस्थाओं और लोगों से संपर्क करें जिन्होंने पौधे लगाने की जिम्मेदारी ली थी और जहां से भी पौधे उजड़ गए हैं उनको वापस लगवाया जाए।  जिला प्रशासन ने पूरे अभियान की शुरूआत मिनी सचिवालय के सामने वाले हिस्से से की थी तथा यह अभियान मिनी सचिवालय के सामने से लेकर झालावाड़ अस्पताल के सामने मौजूद डिवाइडर तक चला। जहां पौधे उजाड़ तो दिए गए लेकिन लगाए नहीं गए। झालावाड़ पशु चिकित्सालय के सामने और झालरापाटन रोड पर आज भी पुराने पौधे बरकरार हैं, उन्हें देखकर एहसास होता है कि इन पौधों में भी किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी तथा इनको सड़क बनाने वाले विशेषज्ञों द्वारा सोच समझकर उस वक्त लगवाया गया था। ऐसे में एक बड़ा सवाल पैदा हो जाता है कि क्या जरूरत पड़ी थी कि हरे भरे पौधों को उखाड़ कर फेंक दिया गया और हद तो तब हो गई जब उनके स्थान पर नए पौधे भी नहीं लग पाए। 

डिवाइडर पर पौधे लगाने की जिम्मेदारी जिन संस्थाओं ने ली थी, उनसे बात करके पौधों को वापस लगाया जाएगा। ताकि डिवाइडर फिर से हरे भरे हो सके। 
-  अजय सिंह राठौड, जिला कलेक्टर झालावाड़

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