अब भोपाल पर टिकी कोटा की उम्मीदें

बायोलॉजिकल पार्क में भोपाल चिड़ियाघर से लाया जाएगा बाघ-बाघिन का जोड़ा

अब भोपाल पर टिकी कोटा की उम्मीदें

कोटा वन्यजीव विभाग ने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक व सीजेडए को लिखा पत्र।

कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में युवा बाघ-बाघिन का जोड़ा लाने की कवायद तेज हो गई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य  वन्यजीव प्रतिपालक व भोपाल चिड़िया घर प्रशासन को पत्र भेजा जा चुका है। अब भोपाल जू प्रशासन की स्वीकृति का इंतजार है। भोपाल की रजामंदी मिलने के साथ ही शिफ्टिंग का रास्ता भी साफ हो जाएगा। हालांकि, कोटा वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट स्वीकृति मिलने की उम्मीद जता रहा है। गौरतलब है कि अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में बाघ नाहर की मौत व लॉयन नहीं होने से पार्क के राजस्व पर विपरीत असर पड़ा। ऐसे में वन्यजीव विभाग बड़े एनिमल लाने की तैयारी में जुटा है। 

4 से 8 वर्ष के बाघ-बाघिन लाना प्राथमिकता
वन्यजीव विभाग के डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि भोपाल चिड़ियाघर में अच्छी संख्या में बाघ-बाघिन हैं। वहां से कम उम्र का ही जोड़ा लाना प्राथमिकता है। हमारी कोशिश है कि 4 से 8 वर्ष के बीच आयु के बाघ-बाघिन लाने की है। ताकि, ब्रिडिंग होने से बायोलॉजिकल पार्क में इनकी संख्या में इजाफा हो सके और भविष्य में यहां बाघों का कुनबा पनप सके। इस संबंध में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को पत्र लिखा जा चुका है। भोपाल चिड़ियाघर के अधिकारियों से भी सम्पर्क किया गया है। 

सज्जनगढ़ ने लॉयन देने से किया इंकार  
डीएफओ भटनागर ने कहा, उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से लॉयन लाया जाना था लेकिन उनके यहां लॉयन सफारी शुरू किए जाने के कारण लॉयन देने से मना दिया। वहीं, सज्जनगढ़ में गुजरात से लॉयन का जोड़ा लाया जा चुका है। ऐसे में एक लॉयन अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क को मिले, इसके लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को फिर से पत्र लिखा गया है। पार्क के विकास के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। 

समय पर चेत जाते तो मिल जाता लॉयन
जानकारी के अनुसार अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में लॉयनेस व लॉयन का जोड़ा लाने की तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जयपुर से स्वीकृति दिसम्बर 2022 में ही मिल गई थी। इसके लिए कोटा से वन्यजीव डीएफओ उदयपुर से पत्राचार भी किया गया था। उस समय वहां से हाईब्रिड लॉयन अली कोटा को दिए जाने की हरी झंडी भी मिल गई थी। लेकिन, कोटा वन्यजीव विभाग के तत्कालीन अधिकारी स्वीकृति मिलने के दो साल बाद भी केंद्रिय चिड़ियाघर प्राधिकरण से शिफ्टिंग की स्वीकृति नहीं ले सके। जिसकी वजह से शिफ्टिंग में अनावश्यक देरी होती रही। इसका नतीजा यह रहा कि वर्तमान में सज्जनगढ़ में अब लॉयन सफारी शुरू किए जाने की तैयारी चल रही है। ऐसे में अब उन्होंने कोटा को लॉयन देने में असमर्थता जाहिर कर दी। 

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लॉयन-टाइगर नहीं होने से घटा राजस्व
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, लॉयन व टाइगर जैसे बड़े एनीमल न होने से अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क की सालाना इनकम पर विपरीत असर पड़ रहा है। जनवरी 2023 से 14 अक्टूबर 2024 तक बायोलॉजिकल पार्क को 63 लाख 25 हजार 82 रुपए का ही राजस्व एकत्रित हॉुआ है। राजस्व का यह आंकड़ा करीब दो साल का है। जबकि, गत वर्ष 12 महीनों में ही राजस्व करीब 48 लाख रुपए था। ऐसे में लॉयन, टाइगर व एमू, फॉक्स जैसे वन्यजीव के अभाव में पर्यटकों का अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के प्रति रुझान कम हो रहा है। जिससे सरकार को होने वाली आय में गिरावट हो रही है। 

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मगरमच्छ, घड़ियाल आए तो दोगुनी हो आय 
बायोलॉजिकल पार्क के निर्माण के दौरान 44 एनक्लोजर बनने थे लेकिन प्रथम चरण में मात्र 13 ही बन पाए। जबकि, 31 एनक्लोजर अभी बनने बाकी हैं। जब तक यह एनक्लोजर नहीं बनेंगे तब तक पुराने चिड़ियाघर में मौजूद घड़ियाल, मगरमच्छ, अजगर, बंदर, कछुए, सारस व लव बर्ड्स सहित एक दर्जन से अधिक वन्यजीव बायलॉजिकल पार्क में शिफ्ट नहीं हो पाएंगे। यदि, यह जानवर व पक्षी यहां शिफ्ट किया जाए तो पार्क की कमाई में दोगुना इजाफा होगा। वहीं, पर्यटकों को देखने के लिए ज्यादा एनीमल मिल सकेंगे। 

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पर्यटक बोले-क्या देखें, बड़े एनिमल तो है ही नहीं
विज्ञान नगर निवासी भावेश नागर, कविता नागर, गांधी गृह निवासी मेहमूद भाई ने बताया कि अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में पहले दो टाइगर थे, लेकिन  कुछ महीनों पर वह भी मर गया। जिसके बाद वन अधिकारी कोई बड़ा एनिमल्स नहीं लाए। वहीं, ऐमू पक्षी लाने की सिर्फ बातें ही की जाती है लेकिन लाते नहीं है। इसके अलावा वर्ष 2022 से ही लॉयन लाने की बात कही जा रही है लेकिन अब तक वह भी नहीं आ सका। ऐसे में यहां बड़े एनिमल तो है ही नहीं तो देखने क्या जाएं। सुविधाएं भी आधी-अधूरी हैं। जबकि, टिकट महंगा है। 

इनका कहना
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के विकास के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। भोपाल चिड़ियाघर से बाघ का एक जोड़ा लाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक  व भोपाल चिड़ियाघर अधिकारियों को पत्र लिखा जा चुका है। साथ ही ऐमू व चिंकारा सहित अन्य एनीमल लाने की परमिशन मिल चुकी है, जो अगले हफ्ते तक कोटा ले आएंगे। 
- अनुराग भटनागर, डीएफओ वन्यजीव विभाग

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