Paris Paralympics: 10 मीटर एयर पिस्टल में जीता गोल्ड, कांस्य भी राजस्थान की मोना के नाम

जयपुर की बेटी अवनी ने दिलाया देश को पहला गोल्ड

Paris Paralympics: 10 मीटर एयर पिस्टल में जीता गोल्ड, कांस्य भी राजस्थान की मोना के नाम

दक्षिण कोरिया की ली युनरी और अवनी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। अवनी ने आखिरी शॉट पर 10.5 का स्कोर किया।

पेरिस। जयपुर की बेटी और अंतरराष्ट्रीय महिला निशानेबाज अवनी लेखरा ने शुक्रवार को पेरिस पैरालंपिक खेलों की 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच-1 कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीत देश को इन खेलों का पहला गोल्ड मेडल दिलाया। राजस्थान की ही एक और निशानेबाज मोना अग्रवाल ने भारत के लिए कांस्य पदक जीता। टोक्यो पैरालंपिक खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अवनी लेखरा ने फाइनल मुकाबले में नया रिकार्ड बनाते हुए 249.7 का स्कोर हासिल कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। 

अवनी और युनरी में रही कड़ी टक्कर
दक्षिण कोरिया की ली युनरी और अवनी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। अवनी ने आखिरी शॉट पर 10.5 का स्कोर किया। वहीं कोरियाई निशानेबाज का आखिरी शॉट पर 6.8 का स्कोर रहा। इसी के साथ अवनी ने स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। युनरी को 246.8 के स्कोर के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा। वहीं मोना अग्रवाल ने 228.7 का स्कोर करते हुए कांस्य पदक जीता।

आसान नहीं रहा अवनी का सफर
अवनी को यह जीत इतनी आसानी से नहीं मिली है। इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है। वर्ष 2012 में महज 12 साल की उम्र में अवनी लेखरा की जिंदगी उस समय बदल गई जब एक दुर्घटना के चलते उन्हें पैरालिसिस का शिकार होना पड़ा और व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ गया। लेकिन अवनी ने हार नहीं मानी। दुर्घटना के महज तीन साल बाद ही अवनी ने शूटिंग को अपनी जिंदगी बनाया और महज पांच साल के भीतर ही देश की गोल्डन गर्ल का तमगा हासिल कर लिया। अब अपने लगातार दूसरे पैरालंपिक में उन्होंने स्वर्ण जीतकर इतिहास तो रचा ही, साथ ही भारत की सबसे कामयाब शूटर भी बन गईं। ओलंपिक हो या पैरालंपिक भारत की महिला एथलीट ने दो स्वर्ण नहीं जीते हैं।

पैरालंपिक में दो स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला
इसी के साथ अवनी लेखरा पैरालंपिक में दो स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बन गई है। अवनी ने पिछले टोक्यो पैरालंपिक में भी एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता था। अवनी पेरिस में तीन स्पर्धाओं में हिस्सा ले रही हैं। अबी उनकी दो स्पर्धाएं और बाकी हैं।

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कौन है मोना अग्रवाल
पैरालिंपिक में भाग लेने वाले हर एथलीट की अपनी कहानी है। राजस्थान के सीकर की मोना का जीवन भी संघर्षों भरा रहा है। पोलियो की बीमारी के कारण वह बचपन से ही चलने में असमर्थ हो गई थीं। मोना अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकीं। दादी ने खेलों के लिए प्रेरित किया और मोना ने तब जयपुर का रुख किया। व्हीलचेयर के जरिए चलने वाली मोना ने पहले शॉट पुट, डिस्कस, जेवलिन थ्रो और पावरलिफ्टिंग में हाथ आजमाया और राज्य स्तरीय टूर्नामेंटों में पहचान बनाई। लेकिन बाद में 2021 में मोना ने पैरा शूटिंग की ओर रुख किया। इस खेल में उन्हें खूब कामयाबी मिली। उन्होंने 2023 में क्रोएशिया में डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप में कांस्य पदक जीता। 

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उसके बाद 2022 एशियाई पैरा खेलों और लीमा में 2023 डब्ल्यूएसपीएस वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। दिल्ली में हुए विश्व कप में मोना ने पेरिस पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई किया। 37 वर्षीय मोना अग्रवाल पेरिस में तीन स्पर्धाओं में हिस्सा लेंगी। वह मिश्रित 50 मीटर राइफल प्रोन आर6 और महिलाओं की 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन आर8 स्पर्धा में भी भाग लेंगी।

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