विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करेगी भाजपा
इसी महीने अपना चुनावी घोषणापत्र भी जारी करेगी
उम्मीदवारों की पहली सूची पर मुहर लग जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी इसी महीने अपना चुनावी घोषणापत्र भी जारी करेगी।
रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी किसी को भी मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं करेगी। बीजेपी मोदी के चेहरे और कमल निशान पर ही चुनाव लड़ेगी। चुनाव प्रचार की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर को जमशेदपुर से कर दी है। वहीं भाजपा की ओर से उम्मीदवारों की पहली सूची नवरात्र में जारी कर दिए जाने की संभावना है। केंद्रीय मंत्री और झारखंड बीजेपी के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को बताया कि उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में चुनाव समिति की बैठक होने की संभावना है। जिसमें उम्मीदवारों की पहली सूची पर मुहर लग जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी इसी महीने अपना चुनावी घोषणापत्र भी जारी करेगी।
शिवराज सिंह ने कहा कि बीजेपी बहनों के आर्थिक सशक्तीकरण, युवाओं को रोजगार, गरीबों के उत्थान और किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टी में उम्मीदवारों के चयन और सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक तस्वीर साफ हो जाएगी। झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी का आजसू पार्टी और जेडीयू के साथ गठबंधन तय है। इसके अलावा जीतन राम मांझी की हम पार्टी, चिराग पासवान की लोजपा (आर) और एनसीपी अजीत पवार की पार्टी के लिए भी बीजेपी एक एक सीट छोड़ सकती है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार पहली सूची में उन सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा होगी जहां पिछली बार पार्टी हार गई थी। इनमें से ज्यादातर सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। दो चार सामान्य सीटों पर भी उम्मीदवारों के नाम घोषित किए जा सकते हैं। भाजपा ने कई राज्यों में बिना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए चुनाव लड़ा है और जीत हासिल की है।
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी ने ऐसा ही किया था। हालांकि झारखंड में बाबूलाल मरांडी प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में ही पार्टी चुनाव मैदान में उतरेगी। इस संबंध में चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान पहले ही कह चुके हैं कि बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में ही पार्टी चुनाव लड़ेगी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। पार्टी के पास आदिवासी नेताओं में बाबूलाल मरांडी के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और हाल ही में भाजपा में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन जैसे कई दिग्गज नेता हैं। इनमें एक प्रमुख नाम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी का भी शामिल है। ऐसी स्थिति में पार्टी सीएम फेस घोषित करने से बच रही है। बताया गया है कि अगर पार्टी किसी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करती है तो चुनाव से पहले ही गुटबाजी शुरू हो सकती है। एक दूसरे को हराने में नेता लग जाएंगे। इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। इसीलिए पार्टी सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी। इससे सभी दावेदार पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे। वे चाहेंगे कि उनके समर्थन में ज्यादा से ज्यादा विधायक जीतें। भाजपा की रणनीति है कि वह प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और अपने कामकाज के आधार पर वोट मांगेगी। पार्टी को उम्मीद है कि जनता एक बार फिर उसे मौका देगी।
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