कुलपति 10 मई तक अवकाश पर, जारी हो रही ‘वित्तीय स्वीकृतियां’

इधर, ग्रेच्युटी और सातवें वेतनमान का एरियर नहीं मिलने से कर्मचारी आक्रोशित

कुलपति 10 मई तक अवकाश पर, जारी हो रही ‘वित्तीय स्वीकृतियां’

सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली से खुद को त्रस्त बताते हुए रजिस्ट्रार सीआर देवासी ने राजभवन और राज्य सरकार को यह पत्र लिखा है कि ‘कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह एक तरफ अवकाश की अवधि बढ़ाते जा रहे हैं तो दूसरी तरफ वित्तीय स्वीकृतियां जारी करवा रहे हैं। विश्वविद्यालय में आए दिन अपने स्तर पर कार्यवाहक कुलपति बदल दिए जाते हैं, जबकि कार्यवाही कुलपति की नियुक्ति कुलाधिपति करनी होती है। कार्यवाहक कुलपति बदलने की जानकारी भी दो से तीन दिन के बाद कर्मचारियों से मिलती है। इस नियुक्ति प्रक्रिया में पूर्व निर्धारित एक्ट 11-5 का स्पष्ट उल्लंघन किया जा रहा है।’

उदयपुर। सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली से खुद को त्रस्त बताते हुए रजिस्ट्रार सीआर देवासी ने राजभवन और राज्य सरकार को यह पत्र लिखा है कि ‘कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह एक तरफ अवकाश की अवधि बढ़ाते जा रहे हैं तो दूसरी तरफ वित्तीय स्वीकृतियां जारी करवा रहे हैं। विश्वविद्यालय में आए दिन अपने स्तर पर कार्यवाहक कुलपति बदल दिए जाते हैं, जबकि कार्यवाही कुलपति की नियुक्ति कुलाधिपति करनी होती है। कार्यवाहक कुलपति बदलने की जानकारी भी दो से तीन दिन के बाद कर्मचारियों से मिलती है। इस नियुक्ति प्रक्रिया में पूर्व निर्धारित एक्ट 11-5 का स्पष्ट उल्लंघन किया जा रहा है।’


उल्लेखनीय है कि कुलपति प्रो. सिंह 19 अप्रेल से अवकाश पर हैं। पहले उन्होंने 30 अप्रेल को उदयपुर आने की बात कही, लेकिन बीमारी का हवाला देते हुए उन्होंने अवकाश 10 मई तक बढ़ा दिया है। इस दौरान दो अलग-अलग कार्यवाहक कुलपतियों की नियुक्तियां की गई। अवकाश अवधि में कुलपति ने वित्त नियंत्रक से साइंस कांग्रेस की अनुमति मिलने के बाद कोलकाता में 15 लाख रुपए जमा करवाने के लिए वित्तीय स्वीकृति जारी करने को कहा है। इस पर रजिस्ट्रार देवासी का कहना है कि सुविवि के कर्मचारियों में इससे आक्रोश है। कर्मचारियों का आरोप है कि सुविवि में न तो ग्रेज्युटी दी जा रही है और न सातवें वेतनमान की एरियर राशि। कर्मचारियों को दरकिनार खर्चीले आयोजनों को प्राथमिकता दी जा रही है।

हां, जारी किए हैं 15 लाख रुपए
वित्त नियंत्रक डीएस राठौड़ ने इस संबंध में बताया कि ‘सुविवि में साइंस कांग्रेस का होना एक ऐतिहासिक पहल होगी। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री का आना भी प्रस्तावित है। कुलपति प्रो. सिंह से मिले निर्देशों के अनुसार हमने वित्तीय स्वीकृति जारी की है। साइंस कांग्रेस की अनुमति पहले ही मिल चुकी थी। इसकी एवज में 15 लाख रुपए जमा करवाने थे। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो आयोजन की मेजबानी किसी अन्य विश्वविद्यालय को सौंपी जा सकती है। साइंस कांग्रेस इसके लिए बाध्य नहीं है कि सुविवि कब पैसा जमा करवाएगा और कब आयोजन करेगा। वह किसी भी विश्वविद्यालय को यह मौका दे सकती है।’
 
कुलपति सेठ-कंट्रोलर मुनीम
रजिस्ट्रार देवासी का कहना है कि कुलपति प्रो.सिंह सुविवि के सेठ बने हुए हैं और वित्त नियंत्रक उनके मुनीम है। यही कारण है कि सरकारी तंत्र में शामिल किसी भी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जा रहा है। कुलपति अवकाश पर बैठे-बैठे स्वीकृतियां जारी करने के निर्देश दे रहे हैं और वित्त नियंत्रक आंखें मूंद कर पैसा जारी कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार नाम की भी कोई चीज है। बहरहाल, सुविवि में क्या हो रहा है, इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। यही कारण है कि राजभवन के सचिव और प्रदेश सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा है।

 

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